पंचतत्व में विलीन हुए गीतकार किशन सरोज

बरेली। सुविख्यात वरिष्ठ गीतकार किशन सरोज गुरुवार को पंचतत्व में विलीन हो गये। उन्हें सिटी शमशान भूमि में उनके ज्येष्ठ पुत्र अजिताभ सक्सेना ने मुखाग्नि दी। किशन सरोज के अंतिम संस्कार के अवसर पर साहित्य, सांस्कृतिक और सामाजिक दुनिया से जुड़े लोग बड़ी संख्या में मौजूद रहे। किशन सरोज का लम्बी बीमारी के बाद कल बुधवार को निधन हो गया था।

उनके निधन कवि कुमार विश्वास ने भी ट्वीट कर शोक जताते हुए उन्हें गीत ऋषि कहा था। बरेली में भी उनके निधन से शोक की लहर दौड़ गयी थी। पत्रकार, साहित्यकार, सीए, रंगकर्मी, सीए, हर समाज से लोगों ने सोशल मीडिया पर अपने संस्मरण शेयर करते हुए अपने-अपने तरीके से भावभीनी श्रद्धांजलि अपित की।

बता दें कि बरेली के बल्लिया गांव में 19 जनवरी 1939 को जन्मे किशन सरोज का साहित्यिक सफर 1959 में शुरू हुआ। उन्होंने प्रेम, श्रृंगार और विछोह के 400 से ज्यादा गीत लिखे। 1986 में उनका पहला गीत संग्रह ‘चंदन वन डूब गया’ प्रकाशित हुआ, जो बहुत चर्चित रहा। तुम निश्चिन्त रहना गीत की पंक्तियों-कर दिए लो आज गंगा में प्रवाहित, सब तुम्हारे पत्र, सारे चित्र, तुम निश्चिन्त रहना… ने उन्हें शोहरत की बुलंदियों तक पहुंचा दिया।

किशन सरोज पिछले काफी दिनों से अस्वस्थ चल रहे थे। अपने अंतिम दिनों में वे लोगों को पहचान भी नहीं पा रहे थे। बीते दो दिनों से उन्होंने खाना छोड़ दिया था। बुधवार को उनकी अचानक तबियत खराब हो गई और दोपहर 12 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली।

By vandna

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