नई दिल्ली। अपनी बेहद आक्रामक कारोबारी नीतियों के लिए जानी जाने वाली देश की सबसे बड़ी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) प्रबंधन के मामले में मजबूरी में ही सही देश की सबसे प्रतिष्ठित कंपनी टाटा संस की राह पर चल पड़ी है। कंपनी के इतिहास में उसे पहली बार ऐसा मैनेजिंग डायरेक्टर (एमडी) मिल सकता है जो नॉन-अंबानी यानि अँबानी परिवार से नहीं होगा। गौरतलब है कि टाटा संस में चैयरमैन पद पर भी ऐसा व्यक्ति रह चुका है जो टाटा परिवार से नहीं था। चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्ट का पद अलग-अलग रखने संबंधी सेबी के निर्देश के पालन की स्थिति में ऐसा होगा।

सेबी के इस निर्देश को 1 अप्रैल 2020 तक लागू करना है। ऐसी स्थिति में आरआईएल के सीएमडी मुकेश अंबानी कंपनी के नॉन-एक्जीक्यूटिव चेयरमैन होंगे। अब इंडस्ट्री में इस बात को लेकर चर्चा का बाजार गर्म है कि देश के सबसे बड़े कारोबारी समूहों में शामिल आरआएल का नया एमडी कौन होगा। इस संबंध में आरआएल को भेजे गए सवालों का जवाब अब तक नहीं मिल सका है। 

आरआईएल पर नजर रखने वालों का मानना है कि सेबी का निर्देश अमल में आने के बाद आरआईएल के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर और मुकेश अंबानी के विश्वासपात्र निखिल मेसवानी और कंपनी के वर्चुअल सीईओ माने जाने वाले मनोज मोदी इस पद के लिए चुने जा सकते हैं। दो अन्य एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर्स हीतल मेसवानी (निखिल के छोटे भाई) एवं पीएमएस प्रसाद भी इस पद की रेस में बताए जा रहे हैं। मेसवानी बंधु लंबे समय से आरआईएल के बोर्ड में हैं और मुकेश अंबानी के कजिन हैं। उनके पिता रसिकलाल मेसवानी आरआएल के संस्थापक निदेशकों में शामिल थे। मनोज मोदी आरआईएल के बोर्ड में नहीं है लेकिन वह आरआएल के लिए बहुत अहम व्यक्ति हैं।  

सेबी ने सभी लिस्टेड कंपनियों के लिए एक अप्रैल तक चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर/सीईओ के पद को अलग करने का निर्देश दिया था। इस निर्देश के मुताबिक परिवार के सदस्य या रिश्तेदार को एमडी नहीं बनाया जा सकता।

error: Content is protected !!