BareillyLive : देश की तीसरी सबसे बड़ी व 456 वर्ष पुरानी चौधरी तालाब की रामलीला सोमवार 9 अक्तूबर से प्रारंभ होगी इसका शुभारंभ वन मंत्री डॉ अरुण कुमार, महापौर उमेश गौतम, अलखनाथ के महंत कालूगिरी, तुलसी मठ के नीरज दास आदि की उपस्थिति में स्वरूप का पूजन से होगा। यह जानकारी रामगोपाल मिश्रा, श्रेयांश बाजपेई ने प्रेस वार्ता में दी। रामलीला का बड़े बाग हार्टमैन मैदान पर दशहरा मेला 24 अक्तूबर 2023 को होगा। आज चौधरी तालाब पर शाम 7 बजे से श्री गणेश लक्ष्मी पूजन के बाद रामलीला का मंचन शुरू होगा। रामलीला का मंचन निरंतर 18 दिनों तक आदर्श रामलीला मंडल मधुवनी बिहार के कलाकारों द्वारा किया जायेगा। विराट दशहरा मेला 24 अक्टूबर को श्री रामलीला मैदान बड़ा बाग़ पर समाप्त होगा जिसके मुख्य अतिथि डिप्टी सीएम ब्रिजेश पाठक होंगे।

बरेली में होली की 163 वर्ष पुरानी रामलीला तो देश भर में जानी ही जाती है पर यहां के चौधरी तालाब पर भी पिछले 456 साल से श्री रानी महालक्ष्मी बाई रामलीला समिति के बैनर के अंतर्गत एक पखवाड़े यानि लगभग 18 दिन तक मथुरा अयोध्या से आये कलाकारों द्वारा रामलीला का मंचन निरंतर होता रहा है। रावण दहन के बाद नगर में भगवान राम की शोभायात्रा भी निकाली जाती है। सांसद संतोष कुमार गंगवार वर्षो तक इस रामलीला कमेटी के अध्यक्ष रहे। वह अब कमेटी के संरक्षक हैं जबकि राम गोपाल मिश्रा अध्यक्ष, प्रभु नारायण महामंत्री धीरेंद्र शुक्ल मंत्री हैं।

बरेली में कनागत के बाद भादो में इस रामलीला का शुभारंभ लखना स्टेट, इटावा के राजा बसंत राव त्रिपाठी, जो चौधरी मोहल्ला के रानी लक्ष्मीबाई फाटक बरेली में ही रहते थे, के द्वारा प्रारंभ कराया गया था। उनकी मौत के बाद उनकी पत्नि रानी लक्ष्मी बाई इस रामलीला मंचन को कराती रहीं। इसमें 8 दिन रामलीला मंचन चौधरी मोहल्ला में होता था इसके बाद नाव से सागर पार होकर इसका मंचन बड़े बाग में होता रहा। जहां पर रावण का अब वध होता है। मंचन को आये कलाकार गंगा मंदिर, चंपत राय मंदिर एवम बड़ा बाग मंदिर में ही विश्राम करते थे। लंका विजय के बाद नगर में भगवान राम की विजय शोभायात्रा निकली जाती है। इस कमेटी में पूर्व में महामंत्री रहे पार्षद मनोज शुक्ल के अनुसार बुंदेलों के समय से चल रही यह रामलीला औरंगजेब के काल मे भी बंद नहीं होने दी गयी, उस काल में रहे पुरखे भी अपनी पीढ़ी को यह जानकारी देते रहते थे। कमेटी के ही धीरेंद्र शुक्ला के अनुसार 455 वर्ष की रामलीला का भारत पाक युद्ध के दौरान भी मंचन बंद नही हुआ था।

रामलीला कमेटी के अध्यक्ष राम गोपाल मिश्र ने बताया कि विवाद होने पर रामलीला कमेटी पर लगभग 6 वर्ष प्रशासन की ओर से रिसीवर भी तैनात रहा। बाद में हाइकोर्ट के आदेश पर विवाद समाप्त हुआ। अब उनकी ही कमेटी रामलीला का मंचन करा रही है। कमेटी की आय का साधन चौधरी तालाब व अन्य संपत्ति में किराये की आय एवम श्रद्धालुओं के द्वारा मिला चंदा ही है। जिससे ही रामलीला का निरंतर मंचन कराया जाता रहा है। उत्तर भारत के प्राचीन के विभिन्न प्रान्तों में ऐसे धार्मिक आयोजन देश की सनातन संस्कृति को जीवंत बनाये हुए हैं, बदलती सभ्यता एवं आधुनिक इन्टरनेट व टीवी के युग में इस प्राकृतिक परंपरा एवं स्वदेशी सभ्यता को बचाया रखना बहुत बड़ी चुनौती है फिर भी इस प्राकृतिक रामलीला में श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या व उनकी रुचि समाज के आधुनिक युग के बहुत सारे लोगों के लिए दर्पण भी है।

शिव नारायण दीक्षित ने बताया कि जब उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से इस प्राचीन रामलीला की चर्चा की, तब उन्होंने ही बरेली की इस रामलीला को देश की तीसरी सबसे पुरानी रामलीला होना बताया। अब हार्टमैन पुल का नाम भी इसी महारानी लक्ष्मीबाई के नाम पर करने का प्रस्ताव नगर निगम ने पास किया है जो अभी विचाराधीन है। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में पुन मुख्यमंत्री योगी सरकार पुनः आने से धार्मिक कार्यक्रमों के प्रति लोगो का रुझान और बढ़ रहा है।

प्रेसवार्ता में उपाध्यक्ष हरी शुक्ल, महामंत्री शिव नारायण, समिति के कोषाध्यक्ष प्रभु नारायण तिवारी, अभिषेक मिश्र, कपिल शुक्ल, घनश्याम मिश्र, प्रदीप नारायण बाजपेई, मेला महाप्रबंधक श्रेयांश बाजपेई, मेला सुरक्षा प्रभारी ब्रजेश प्रताप सिंह, मीडिया प्रभारी यश चौधरी उपस्थित रहे।

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