श्री राम चालीसा, श्री राम रक्षा स्तोत्र

राम नवमी 2022: भगवान राम का जन्म चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को हुआ था। हर साल इस दिन को भगवान राम के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। भगवान राम का जन्म मध्याह्न काल के दौरान हुआ था जो हिंदू दिवस के मध्य में है। मध्याह्न जो छह घाटियों (लगभग 2 घंटे और 24 मिनट) तक चलता है, राम नवमी पूजा अनुष्ठान करने के लिए सबसे शुभ समय है। मध्याह्न का मध्य बिंदु उस क्षण का प्रतीक है जब श्री राम का जन्म हुआ था और मंदिर इस क्षण को भगवान राम के जन्म के क्षण के रूप में दर्शाते हैं। इस दौरान श्री राम का जप और उत्सव अपने चरम पर पहुंच जाता है।
भगवान राम का जन्मदिन मनाने का सही समय सुबह 11 बजे से दोपहर 1 बजे के बीच है।
शुभ मुहूर्त
राम नवमी रविवार, 10 अप्रैल, 2022
राम नवमी मध्याह्न मुहूर्त – सुबह 11:06 से दोपहर 01:39 बजे तक
अवधि – 02 घंटे 33 मिनट
सीता नवमी मंगलवार, 10 मई, 2022
राम नवमी मध्याह्न क्षण – दोपहर 12:23 बजे
नवमी तिथि प्रारंभ – 01:23 पूर्वाह्न 10 अप्रैल, 2022
नवमी तिथि समाप्त – 11 अप्रैल, 2022 को 03:15 AM

राम नवमी के दिन क्या करें?
राम नवमी एक बहुत ही पवित्र दिन है। इस दिन आप उपवास भी रखस अक्तें हैं।प्रातः काल उठ कर स्नान आदि करने के पश्चात सूर्य देव को अर्घ अवस्य दें।इस दिन अयोध्या के पवित्र सरयू नदी में स्नान करने का भी बहुत अधिक धार्मिक महत्व है।सम्पूर्ण भक्ति भाव के साथ श्री राम जी की पूजा अर्चना करें।इस दिन जुलुस आदि भी निकालें जातें हैं।बजरंगबली की ध्वजा की भी इस दिन पूजा होती है।आप भी बजरंगबली हनुमान की ध्वजा की पूजा करने के पश्चात अपने घर पर लगा सकतें हैं।

इस दिन दान पुण्य करने का भी बहुत अधिक धार्मिक महत्व है।आप इस दिन हनुमान चालीसा का भी पाठ अवस्य करें।राम नवमी के दौरान आठ प्रहर उपवास का सुझाव दिया जाता है। यानी भक्तों को सूर्योदय से सूर्योदय तक व्रत का पालन करना चाहिए। राम नवमी व्रत तीन अलग-अलग तरीकों से मनाया जा सकता है, आकस्मिक (नैमित्तिक) – जिसे बिना किसी कारण के मनाया जा सकता है, नित्य (नित्य) – जिसे जीवन भर बिना किसी इच्छा और वांछनीय (काम्य) के देखा जा सकता है – जिसे पूरा करने के लिए मनाया जा सकता है कोई इच्छा।

राम जी के जन्म दिवस पर राम जी का भजन भये प्रकट कृपाला को भी अवशय गातें हुए श्री राम जी की स्तुति करें।यह श्री रामअवतार स्तुति, भगवान श्री रामचंद्र के इस भूलोक पर आगम की एक सुंदर अनुभूति को दर्शित करती है। श्री रामअवतार स्तुति नवजात शिशु बधाई, सोहर, जन्मदिन जैसे अवसरों पर अत्यधिक लोकप्रिय है। इन स्तुति शब्दों को सुनने के पश्चात प्रभु श्रीराम भक्त कुछ और सुनने की चाह अपने मन से त्याग ही देते है।

भए प्रगट कृपाला दीनदयाला,
कौसल्या हितकारी ।
हरषित महतारी, मुनि मन हारी,
अद्भुत रूप बिचारी ॥

लोचन अभिरामा, तनु घनस्यामा,
निज आयुध भुजचारी ।
भूषन बनमाला, नयन बिसाला,
सोभासिंधु खरारी ॥

कह दुइ कर जोरी, अस्तुति तोरी,
केहि बिधि करूं अनंता ।
माया गुन ग्यानातीत अमाना,
वेद पुरान भनंता ॥

करुना सुख सागर, सब गुन आगर,
जेहि गावहिं श्रुति संता ।
सो मम हित लागी, जन अनुरागी,
भयउ प्रगट श्रीकंता ॥

ब्रह्मांड निकाया, निर्मित माया,
रोम रोम प्रति बेद कहै ।
मम उर सो बासी, यह उपहासी,
सुनत धीर मति थिर न रहै ॥

उपजा जब ग्याना, प्रभु मुसुकाना,
चरित बहुत बिधि कीन्ह चहै ।
कहि कथा सुहाई, मातु बुझाई,
जेहि प्रकार सुत प्रेम लहै ॥

माता पुनि बोली, सो मति डोली,
तजहु तात यह रूपा ।
कीजै सिसुलीला, अति प्रियसीला,
यह सुख परम अनूपा ॥

सुनि बचन सुजाना, रोदन ठाना,
होइ बालक सुरभूपा ।
यह चरित जे गावहिं, हरिपद पावहिं,
ते न परहिं भवकूपा ॥

दोहा:
बिप्र धेनु सुर संत हित,
लीन्ह मनुज अवतार ।
निज इच्छा निर्मित तनु,
माया गुन गो पार ॥

  • तुलसीदास रचित, रामचरित मानस, बालकाण्ड-192

By vandna

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