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बीरघातिनी तेजपुंज लछिमन उर लागी, लक्ष्मण को लगी शक्ति, कुंभकर्ण पहुंचा परलोक

Bareillylive : ब्रह्मपुरी में चल रही ऐतिहासिक 164 वीं रामलीला में आज गुरु व्यास मुनेश्वर जी ने लीला के साथ-साथ वर्णन किया कि अंगद द्वारा समझाने और बल दिखाने पर भी जब रावण नहीं माना तो एक तरह से युद्ध की घोषणा हो गयी, अगली सुबह पौ फटते ही वानरों ने क्रोध पूर्वक लंका के दुर्गम किले को घेर लिया। नगर में कोलाहल मच गया। राक्षस बहुत तरह के अस्त्र-शस्त्र धारण करके दौड़े उधर जब मेघनाद ने कानों से ऐसा सुना कि वानरों ने किले को घेर लिया है। तब वह किले से उतरा और डंका बजाकर उनके सामने चला और पुकारकर कहा समस्त लोकों में प्रसिद्ध धनुर्धर कोसलाधीश दोनों भाई कहाँ हैं? नल, नील, द्विविद, सुग्रीव और बल की सीमा अंगद और हनुमान्‌ कहाँ हैं? वो भाई से द्रोह करने वाला विभीषण कहाँ है? आज मैं सबको और उस दुष्ट को तो अवश्य ही मारूँगा। ऐसा कहकर उसने धनुष पर कठिन बाणों का सन्धान किया और वानर सेना को क्षति पहुंचानी शुरू कर दी तब रामजी से आज्ञा माँगकर, अंगद आदि वानरों के साथ हाथों में धनुष- बाण लिए हुए श्री लक्ष्मणजी क्रुद्ध होकर चले। लक्ष्मणजी उस पर अनेक प्रकार से प्रहार करने लगे तो मेघनाद ने मन में अनुमान लगाया कि ये मेरे प्राण हर लेंगे। तब उसने वीरघातिनी शक्ति चलाई। वह तेजपूर्ण शक्ति लक्ष्मणजी की छाती में लगी। शक्ति लगने से उन्हें मूर्छा आ गई। सब मायूस हो गए तो विद्वान जाम्बवत ने बताया कि लंका में सुषेण वैद्य रहता है, ये सुनकर हनुमान्‌जी छोटा रूप धरकर गए और सुषेण को उसके घर समेत उठा लाए।

“जामवंत कह बैद सुषेना। लंकाँ रहइ को पठई लेना॥ धरि लघु रूप गयउ हनुमंता। आनेउ भवन समेत तुरंता॥”

सुषेण ने आकर लक्ष्मणजी को देखा व पर्वत और औषधि का नाम बताया, तब रामजी के कहने पर औषधि लेने पवनपुत्र हनुमान्‌जी चले। उन्होंने पर्वत को देखा, पर औषध न पहचान सके। तब उन्होंने उस पर्वत को ही उखाड़ लिया। पर्वत लेकर हनुमान्‌जी ने समय से पूर्व संजीवनी बूटी पहुंचायी। बीच में कालनेमि नामक राक्षस को परलोक भी पहुंचाया, वैद्य सुषेण ने तुरंत उपाय किया, जिससे लक्ष्मण जी उठ बैठे। समाचार जब रावण ने सुना, तब वह व्याकुल होकर कुंभकर्ण के पास गया और बहुत से उपाय करके उसको जगाया। जागने पर मद से चूर कुंभकर्ण युद्धभूमि में गया उस ने वानर सेना को तितर- बितर कर दिया। यह देखकर रामचंद्रजी ने तीक्ष्ण बाणों से कुंभकर्ण के सिर को धड़ से अलग कर दिया और वह सिर रावण के आगे जा गिरा जिसे देखकर रावण व्याकुल हो गया।

प्रवक्ता विशाल मेहरोत्रा ने बताया कि कल रामलीला में मेघनाद बध व सती सुलोचना कथा की लीला का मंचन होगा। अध्यक्ष सर्वेश रस्तोगी ने कल हुई अंगद रावण संबाद में सहयोग के लिए सबका आभार व्यक्त किया।

Sachin Shyam Bhartiya

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