Dhanteras Puja 2022:कुबेर महाराज सुख, समृद्धि और धन के देवता और राजा हैं। उन्हें देवताओं का कोषाध्यक्ष माना गया है। ऐसा माना जाता है कि भगवान कुबेर की मूर्ति को घर में रखने से यह परिवार पर हमेशा अपनी कृपा बनाए रखते है। देवता कुबेर का निवास उत्तर दिशा की ओर है। इनकी मूर्ति को हमेशा उत्तर की ओर रखना चाहिए। धनतेरस के दिन कुबेर जी की विशेष पूजा और मंत्रो का जाप करने से धन की प्राप्ति होती है। धन की प्राप्ति के लिए देवी लक्ष्मी और भगवान कुबेर को सर्वश्रेष्ठ देवता माना जाता है। कुबेर भगवान शिव के भी प्रिय सेवक और परम भक्त हैं। धन के अधिपति होने के कारण उन्हें पूजा, मंत्र साधना और जाप द्वारा प्रसन्न करने का विधान बताया गया है।
कुबेर महाराज का दूसरा नाम यक्ष था। दानव के अलावा, कुबेर को यक्ष भी कहा जाता है। यक्ष धन का रक्षक है जो उसे कभी प्राप्तः नहीं करता । कुबेर का दिक्पाल रूप भी उनके रक्षक और चौकीदार का रूप बताता है। पुराने मंदिरों के बाहरी हिस्सों में पाए जाने वाले कुबेर मूर्तियों का रहस्य यह है कि उन्हें मंदिरों के धन के रक्षक के रूप में कल्पना और स्वीकार किया जाता है।
कौटिल्य ने कुबेर की मूर्तियों को खजानों में रखवाली करने के बारे में भी लिखा है। प्रारंभिक गैर-आर्य देवता कुबेर, बाद में आर्य देवता में भी स्वीकार किए गए। बाद में पुजारी और ब्राह्मण भी कुबेर के प्रभाव में आ गए और उनकी पूजा आर्य देवों की तरह लोकप्रिय हो गई। लक्ष्मी जी के धन से मंगल का भाव जुड़ा हुआ है। कुबेर के धन से लोकमंगल की भावना विवेकपूर्ण नहीं है। लक्ष्मी का धन स्थायी नहीं, यह गतिशील है। इसलिए उनका चंचल नाम लोकविश्रुत है जबकि कुबेर का धन जड़ या खजाना है।
कुबेर जी की कथा
रामायण में, कुबेर ने भगवान शंकर को प्रसन्न करने के लिए हिमालय पर्वत पर ध्यान किया था। शिव और पार्वती ध्यान के अंतराल में प्रकट हुए। कुबेर ने बहुत ही सात्विक दृष्टि से पार्वती को अपनी बाईं आँख से देखा। पार्वती की आकाशीय महिमा ने उनकी आँखों को नम कर दिया। कुबेर वहाँ से उठे और दूसरी जगह चले गए। वह गहन तपस्या शिव या कुबेर ने की थी, कोई अन्य देवता इसे पूरी तरह से पूरा करने में सक्षम नहीं थे। कुबेर से प्रसन्न होकर शिव ने कहा – तुमने मुझे तपस्या में जीता है। आपकी एक आंख पार्वती के तेज से नष्ट हो गई थी, इसलिए आपको एकक्ष्मीलिंग कहा जाएगा।
रावण के सौतेले भाई
जब कुबेर को रावण के कई अत्याचारों के बारे में पता चला, तो उन्होंने अपने एक दूत को रावण के पास भेजा। दूत ने कुबेर का संदेश दिया कि रावण अधर्म के क्रूर कर्मों का त्याग करता है। रावण द्वारा नंदनवन के विनाश के कारण, सभी देवता उसके दुश्मन बन गए। रावण ने क्रोधित होकर उस दूत को अपने खड्ग से काट दिया और उसे राक्षसों को सौंप दिया। यह सब जानकर कुबेर को बहुत बुरा लगा। रावण और राक्षसों ने कुबेर और यक्ष का मुकाबला किया। यक्षों ने बल और माया से राक्षसों का मुकाबला किया, इसलिए राक्षस विजयी होकर उभरे। रावण ने माया से कई रूप ले लिए और कुबेर के सिर पर प्रहार किया, जिससे वह घायल हो गया और उसका पुष्पक विमान ले लिया।
कुबेर के पिता विश्वेश्वर की दो पत्नियां थीं। कुबेर पुत्रों में सबसे बड़े थे। बाकी रावण, कुंभकर्ण और विभीषण सौतेले भाई थे। रावण ने अपनी माँ से प्रेरणा लेते हुए, कुबेर का पुष्पक विमान लिया और सारी संपत्ति लंका पुरी से छीन ली। कुबेर अपने पितामह के पास गए। उनकी प्रेरणा से, कुबेर ने शिव की पूजा की। परिणामस्वरूप, उन्हें ‘धनपाल’, पत्नी और पुत्र की उपाधि से लाभ हुआ। गौतमी के तट पर वह स्थान धनादिर्थ के रूप में प्रसिद्ध है।
धनतेरस पूजा का शुभ मुहूर्त:—–धनतेरस (23 अक्टूबर 2022,रविवार )—–
इस वर्ष कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी दिनाँक 22 एवं 23 अक्टूबर को प्रदोष व्यपिनी है दोनों दिन प्रदोष काल लगभग सांय 5:45 बज़े से रात्रि 8:15 बज़े तक रहेगा।अतः उपरोक्त शास्त्रानुसार दिनाँक 23 अक्टूबर 2022, रविवार को ही प्रदोष व्रत ग्राह्म एवं मान्य होग़ा।
पौराणिक सन्दर्भ
शास्त्रों के अनुसार, कुबेर देव अपने पूर्व जीवन में एक चोर थे। वे मंदिरों में जाके धन की चोरी भी करते थे। एक रात की बात है, वह चोरी करने के लिए भगवान शिव के बड़े से मंदिर में पहुंचे। अधिक रात्रि होने के कारण वहा पर बहुत अंधेरा था। वे अंधेरे में कुछ भी नहीं देख सकते थे, फिर उन्होंने चोरी करने के लिए मंदिर में रखा एक दीपक जलाया। दीपक की रोशनी में, वह मंदिर के धन को स्पष्ट रूप से देखने लगे।
कुबेर देव मंदिर की वस्तुओं और आभूषणो को चुरा रहे थे कि तेज हवा से दीपक बुझ गया। उन्होंने फिर से दीपक जलाया, थोड़ी देर बाद फिर से हवा चली और दीपक बुझ गया। कुबेर ने फिर एक दीपक लिया और जलाया। यह प्रक्रिया कई बार हुई। रात में शिव के सामने दीपक जलाकर महादेव की अपार कृपा प्राप्त होती है। कुबेर को यह पता नहीं था, लेकिन भोलेनाथ रात में बार-बार दीपक जलने से कुबेर से अधिक प्रसन्न हो गए।
महादेव के सेवक
कुबेर महाराज द्वारा अनजाने में की गई इस पूजा के परिणामस्वरूप, महादेव ने उन्हें अपने अगले जन्म में देवताओं का कोषाध्यक्ष नियुक्त किया। तभी से, कुबेर देव महादेव के परम भक्त और धनपति बन गए। आज भी, यदि कोई व्यक्ति रात में शिवलिंग के सामने दीपक लगाता है, तो वह अखंड लक्ष्मी को प्राप्त करता है। यह उपाय नियमित रूप से किया जाना चाहिए।
धन की प्राप्ति के लिए देवी महालक्ष्मी की पूजा की जानी चाहिए। महादेवी के साथ-साथ धन के देवता कुबेर देव की भी पूजा करने से धन संबंधी समस्याएं दूर होती हैं। इस कारण से, किसी भी देवता की पूजा करने के साथ-साथ उनकी पूजा करना बहुत फायदेमंद होता है। कुबेर भगवान शिव के भी प्रिय सेवक हैं। धन-संपत्ति का स्वामी होने के कारण, वे मंत्र साधना से खुश हो सकते हैं। जिस भक्त को उनका आषीर्वाद मिलता है वह धनवान हो जाता है। दक्षिण की ओर मुख करके कुबेर मंत्र का जाप करना चाहिए।
कुबेर मंत्र साधना के चमत्कार
1. कुबेर मंत्र
ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये
धनधान्यसमृद्धिं मे देहि दापय स्वाहा॥
यह धन और समृद्धि के स्वामी श्री कुबेर जी का 35 अक्षरी मंत्र है। भगवान शिव के सेवक कुबेर इस मंत्र के देवता हैं। इस मंत्र को उनका अमोघ मंत्र कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि तीन महीने तक 108 बार इस मंत्र का जाप करने से घर में कभी धन की कमी नहीं होती है। यह मंत्र सभी प्रकार की सिद्धियों को श्रेष्ठ करने के लिए प्रभावी है। इस मंत्र में, देवता कुबेर के विभिन्न नाम और गुण को बताते हुए धन और समृद्धि देने के लिए प्रार्थना की गई है। यदि बेल के पेड़ के नीचे बैठकर इस मंत्र का एक लाख बार जप किया जाए तो धन और अनाज की समृद्धि प्राप्त होती है।
2. कुबेर धन प्राप्ति मंत्र
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय नमः॥
धन की कामना करने वाले साधकों को कुबेर जी के इस मंत्र का जाप करना चाहिए। इसके नियमित जाप से अचानक धन की प्राप्ति होती है।
3. कुबेर अष्टलक्ष्मी मंत्र
ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्ट-लक्ष्मी मम गृहे धनं पुरय पुरय नमः॥
यह कुबेर महाराज और माँ लक्ष्मी का मंत्र है जो कि जीवन की सभी श्रेष्ठताएँ, ऐश्वर्या, लक्ष्मी, दिव्यता, प्राप्ति, सुख, समृद्धि, व्यवसाय वृद्धि, अष्ट सिद्धि, नव निधि, आर्थिक विकास, संतान सुख, उत्तम स्वास्थ्य, आयु वृद्धि, और सभी शारीरिक और परिप्रेक्ष्य देने में सक्षम है। इस मंत्र का अभ्यास शुक्ल पक्ष के किसी भी शुक्रवार की रात को शुरू किया जाना चाहिए। यदि आप इन तीनों में से किसी एक मंत्र का जाप करते हैं, तो हवन करें या एक हजार मंत्रों का अधिक जाप करें।
कुबेर का पौधा
मनीप्लांट एक ऐसा पौधा है की ये जिसके घर में रहता है उसके घर कभी पैसो की कमी नहीं होती ऐसा कहा गया है की अगर मनीप्लांट को अपने घर लगायें तो यह शुभ परिणाम देता है ।
मनीप्लांट को कभी भी अपने घर की उत्तर दिशा में नहीं लगाना चाहिए इससे फल की प्राप्ति नहीं होती है और आपको किसी भी प्रकार की धन हानि हो सकती है इसलिए इस दिशा में मनीप्लांट लगाने से बचना चाहिये। मनीप्लांट को हमेशा अपने घर की दक्षिण दिशा में लगाना चाहिये, इस दिशा में मनीप्लांट का पौधा लगाने से कुबेर महाराज देव प्रसन्न होंगे और उनकी कृपा दृष्टि आपके परिवार पर बनी रहेगी।
कुछ लोग मनी प्लांट का पौधा लगाते हैं लेकिन उसका सही तरीके से उपयोग नहीं करते हैं और इस वजह से आपके धन से जुड़ा नुकसान होता है, इसलिए जब भी आप मनी प्लांट लगाएं तो शाम को इसकी पूजा करें और दीपक जलाएं, ऐसा करने से धन लाभ होगा और धन देव कुबेर प्रसन्न होंगे जिसका आपको उच्च परिणाम मिल सकता है। कुछ लोग मनीप्लांट के पौधे को जमीन में लगाते है और जब उसकी बेल बढ़ती जाती है तो उसकी बेल को जमीन में ही फेलने देते है लेकिन यह गलत है इससे आपको नुकसान भी हो सकता है या फिर आपके घर धन आने का रास्ता भी बंद हो सकता है, इसलिए मनीप्लांट के पौधे की बेला को हमेशा ऊपर की और जाने दें।
कुबेर पूजन सामग्री:कुबेर जी को बिठाने के लिए चौकी,चौकी पर बिछाने के लिए लाल कपडा,जल कलश,पंचामृत,रोली , मोली , लाल चन्दन,हल्दी, धनिया, कमलगट्टा, दूर्वा,गंगाजल,सिन्दूर,लाल फूल माला,इत्र,मिठाई,धानी,सुपारी,लौंग,इलायची,नारियल,फल,पंचमेवा,घी का दीपक,धूप , अगरबत्ती,कपूर,
पूजन विधि
सर्वप्रथम स्नान कर स्वच्छ हो जाएं उसके पश्चात् पुजा स्थल के सामने अपना स्थान ग्रहण करें। जबभी कोई पुजा की जाती है उस वक्त मुख पुर्व दिशा की तरफ होना चाहिये और पीठ पश्चिम दिशा में। ज्यादातर लोग किसी भी दिशा में खडें हो कर पुजा करना शुरु कर देते है। जिस कारण उन्हे पुजा का उत्तम फल नही मिल पाता है।
पुर्व दिशा को देवताओं का निवास स्थल माना गया है।
अब कुबेर जी का ध्यान करते हुए इस मंत्र का जाप करें
मनुज ब्राह्मा विमान स्थितम्, गरुड़ रत्न निधि नायकम् ।
शिव सुखं मुकुटादि विभूषितम्, वर गदे दधतं भजे तुन्दिलम् ।।
उसके बाद भगवान कुबेर जी की प्रतिमा व तिजोरी का चावल, हल्दी व रोली का तिलक लगाये। उसके पश्चात् अपने हाथ में एक फुल लेकर भगवान कुबेर का आहवान करते हुएइस मंत्र का जाप करें। ।
आवाहयामि देव। त्वामिहायहि कृपां कुरु । ।
कोशं वर्ध्दय नित्यं त्वं परि – रक्ष सुरेश्र्वर ।। ।।
श्री कुबेर – देवं आवाहयमि ।। उसके पश्चात् उस फुल को अपनी तिजोरी में स्थापित कर दे। उसके पश्चात् कुबेर जी को प्रसाद अर्पित करे। चीनी कुबेर जी को बहुत प्रिय है।
मंत्र- पुजा करते वक्त इन निम्म मंत्रों का जाप जरुर करे ।।
ॐ श्री कुबेराय नम: पादयो पाघं समर्पयामि ।।
ॐ श्री कुबेराय नम: शिरसि अर्घ्य समर्पयामि ।।
ॐ श्री कुबेराय नम: गन्धाक्षतं समर्पयामि ।।
ॐ श्री कुबेराय नम: पुष्पं समर्पयामि ।।
ॐ श्री कुबेराय नम: धूपं घ्रापयामि ।।
ॐ श्री कुबेराय नम: दीपं दर्शयामि ।।
ॐ श्री कुबेराय नम: नैवेघं समर्पयामि ।।
ॐ श्री कुबेराय नम: आचमनीयं समर्पयामि ।।
ॐ श्री कुबेराय नम: ताम्बूलं समर्पयामि ।।
कुबेर आरती
ॐ जै यक्ष कुबेर हरे,स्वामी जै यक्ष जै यक्ष कुबेर हरे ।
शरण पड़े भगतों के,भण्डार कुबेर भरे ।
शिव भक्तों में भक्त कुबेर बड़े,स्वामी भक्त कुबेर बड़े ।
दैत्य दानव मानव से,कई-कई युद्ध लड़े ॥
स्वर्ण सिंहासन बैठे,सिर पर छत्र फिरे,
स्वामी सिर पर छत्र फिरे ।योगिनी मंगल गावैं,
सब जय जय कार करैं ॥गदा त्रिशूल हाथ में,
शस्त्र बहुत धरे,स्वामी शस्त्र बहुत धरे ।
दुख भय संकट मोचन,धनुष टंकार करें ॥
भांति भांति के व्यंजन बहुत बने,
स्वामी व्यंजन बहुत बने ।मोहन भोग लगावैं,
साथ में उड़द चने ॥बल बुद्धि विद्या दाता,
हम तेरी शरण पड़े,स्वामी हम तेरी शरण पड़े ।
अपने भक्त जनों के,सारे काम संवारे ॥
मुकुट मणी की शोभा,मोतियन हार गले,
स्वामी मोतियन हार गले ।अगर कपूर की बाती,
घी की जोत जले ॥यक्ष कुबेर जी की आरती,
जो कोई नर गावे,स्वामी जो कोई नर गावे ।
कहत प्रेमपाल स्वामी,मनवांछित फल पावे ॥
इति श्री कुबेर आरती ॥
ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये
धनधान्यसमृद्धिं मे देहि दापय स्वाहा॥
Om Yakshaya Kuberaya Vaishravanaya Dhanadhanyadhipataye
Dhanadhanyasamriddhim Me Dehi Dapaya Svaha॥
2. Kubera Dhana Prapti Mantra
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय नमः॥
Om Shreem Hreem Kleem Shreem Kleem Vitteshvaraya Namah॥
3. Kubera Ashta-Lakshmi Mantra
ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्ट-लक्ष्मी मम गृहे धनं पुरय पुरय नमः॥
Om Hreem Shreem Kreem Shreem Kuberaya Ashta-Lakshmi
Mama Grihe Dhanam Puraya Puraya Namah॥
ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये
धनधान्यसमृद्धिं मे देहि दापय स्वाहा॥
Om Yakshaya Kuberaya Vaishravanaya Dhanadhanyadhipataye
Dhanadhanyasamriddhim Me Dehi Dapaya Svaha॥
2. Kubera Dhana Prapti Mantra
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय नमः॥
Om Shreem Hreem Kleem Shreem Kleem Vitteshvaraya Namah॥
3. Kubera Ashta-Lakshmi Mantra
ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्ट-लक्ष्मी मम गृहे धनं पुरय पुरय नमः॥
Om Hreem Shreem Kreem Shreem Kuberaya Ashta-Lakshmi
Mama Grihe Dhanam Puraya Puraya Namah॥
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