धन्वन्तरि जयंती :-पंच दिवसीय दीपावली का पहला दिन धन त्रियोदशी से आरम्भ होता है। धन त्रयोदशी प्रदोष व्यापिनी कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रियोदशी के दिन मनायी जाती है। यमदीप दान–यमदीप दान भी धन्वंतरि जयंती पर प्रदोष कालीन कृष्ण त्रयोदशी तिथि को ही मनाया जाता है।इस बार दिनाँक 23 अक्टूबर 2022,रविवार को मनाई जाएगी।इस दिन शुभ फल देने वाला उ फा एवं हस्त नक्षत्र अपराह्न 2:34 बजे के बाद होग़ा आरम्भ जोकि अगले दिन तक रहेगा।इस दिन चंद्र का भी संचार कन्या राशि मे होना शुभ रहेगा।गोचर में शुक्र-बुध ग्रह का राजयोग भी बन रहा है जोकि धनतेरस पर कुबेर जी को प्रसन्न करने के साथ व्यापार शुभ कार्यों के आरम्भ करने के लिए भी अतिश्रेष्ठ रहेगा।* इस दिन चुर्तमास की समाप्ति होगी। पौराणिक मान्यता के अनुसार इस दिन भगवान धन्वन्तरि का जन्म हुआ था, भगवान धनवन्तरि आयुर्वेद विद्या के जनक माने जाते हैं। भगवान धन्वन्तरि देवताओं के चिकित्सक है और भगवान विष्णु के अवतारों में से एक माने जाते हैं। धन्वन्तरि त्रयोदशी के दिन को धन्वन्तरि जयन्ती के नाम से भी जाना जाता है।
पुराणों के अनुसार समुद्र मन्थन के दौरान धन्वन्तरि इसी दिन अमृत पात्र के साथ प्रकट हुए थे। इसीलिए जो लोग आयुर्वेद और दवाओं का अभ्यास करते हैं, उनके लिए धन्वन्तरि त्रयोदशी का दिन बहुत महत्वपूर्ण है। इस दिन लोग भगवान धन्वन्तरि की पूजा करते हैं और उनसे अच्छे स्वास्थ्य की प्रार्थना करते हैं। ऐसा भी माना जाता है कि समुद्र मन्थन के समय शरद पूर्णिमा के दिन चन्द्र देव, कार्तिक द्वारदाशि के दिन कामधेनू गाय, त्रियोदशी के दिन, भगवान धन्वन्तरि, चर्तुदशी तिथि के दिन माँ काली एवं अमावस्या के दिन महा लक्ष्मी का प्रर्दुभाव हुआ था।
—रविवार को धन्वन्तरि पूजा मुहुर्त– प्रात: काल 07:40 बजे से 12:04 बजे तक। बर्तन एवं आभूषण क्रय मुहुर्त अपराह्न 1:28 बजे से 2:53 बजे तक एवं सांय काल 5:47 बजे से रात्रि 10:28 बजे तक यम दीप दान मुहुर्तसायं काल (प्रदोष काल )5:44 बज़े से 7:14 बजे तक प्रदोष काल वेला की निशा मुख में शुभ रहेगा। –कुबेर पूजन मुहुर्त– रात्रि काल 7:09 बजे से रात्रि 8:47 बजे।
–—-धन्वन्तरि जयंती मनाने की विधि—–
पूजन सामग्री:- चौकी, पीला रेशमी वस्त्र, रोली, मौली, पान, सुपारी, पुष्प, धूप दीप चावल, चन्दन हल्दी, दूध, दही, घी, शहद, शक्कर, नैवेध, शुद्ध जल, आवश्यक पात्र आदि। इस दिन दीर्घायु की प्राप्ति एवं आरोग्यपूर्ण जीवन हेतु प्रात:काल शरीर पर तेल लगाकर, स्नान करके भगवान, धन्वन्तरी का ध्यान एवं पूजन करना चाहिए। सर्वप्रथम चौकी पर स्वच्छ वस्त्र बिछाकर भगवान धन्वन्तरिा जी की का चित्र स्थापिता कर रोली, मोली, अक्षत्र, चन्दन आदि से उनका पूजन करना चाहिए, पुष्प माला पहनाकर निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करते हुए भगवान धन्वन्तरि से आरोग्य की प्रार्थना करना चाहिए।
मन्त्र:- ऊँ रं रूद्र रोगनाशय धन्वन्तयै फट्।।
अन्त में धूप, दिखाकर भगवाान धन्वन्तरि की आरती उतारें, ऐसा करने से साधक को आरोग्य की प्राप्ति होती है।
धनतेरस मनाने की विधि:इसी दिन धनतेरस का पर्व भी मनाया जाता है। धनत्रयोदशी के सन्दर्भ में यह दिन धन और समृद्धि से सम्बन्धित है और लक्ष्मी-कुबेर पूजा के लिए यह दिन महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन लोग धन-सम्पत्ति और समृद्धि की प्राप्ति के लिए देवी लक्ष्मी के साथ-साथ भगवान कुबेर की पूजा करते हैं। भगवान कुबेर जिन्हें धन-सम्पत्ति का कोषाध्यक्ष माना जाता है और श्री लक्ष्मी जिन्हें धन-सम्पत्ति की देवी माना जाता है, की पूजा साथ में की जाती है।
धनत्रयोदशी एक स्वयं सिद्ध मुहुर्त है इस बार विशेष तौर पर शुक्रवार को प्रदोष मासिक शिवरात्रि होने के कारण इस दिन चांदी के आभूषण एवं बर्तन खरीदना शुभ होगा। इस बार विशेष तौर पर चांदी के आभूषण के साथ ताबे का बर्तन खरीदना विशेष शुभ होगा। इस दिन गणेश लक्ष्मी की मूर्ति खरीदना भी शुभ माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन गणेश लक्ष्मी की मूर्ति खरीदने से घर में साल भर धन का आगमन होता रहता है। इस दिन सोने-चांदी के गहने और चांदी के बर्तन खरीदने की भी प्रथा है। लेकिन जो लोग चांदी के बर्तन नही खरीद सकते वह अन्य धातुओ से बने बर्तन भी खरीद सकते है।
इस दिन पीतल के बर्तन खरीदना भी शुभ माना जाता है। पीतल भगवान धन्वन्तरि को प्रिय है इसलिए ऐसी मान्यता है कि पीतल के बर्तन खरीदने से भगवान धन्वन्तरि प्रसन्न होते है। क्योंकि इस दिन भगवान धन्वन्तरि हाथ में अमृत कलश लिये हुआ प्रकट हुए थे। इस दिन बर्तन आदि खरीदना एक विशेष अनुष्ठानिक क्रिया है। धन त्रियोदशी पर किये जाने वाला यह विशेष अनुष्ठान घर में बरकत देने वाला होता है इसका क्रय शुभ मुहुर्त प्रातः काल 9:17 बजे से अपराह्न 1:05 बजे एवं अपराह्न 1:28 बज़े से 2:53 बज़े तक के बीच में ही करना चाहिए।
विशेषकर जब बर्तन खरीदकर घर में लाये तो उसे खाली न लायें। बल्कि उसमें अन्न अथवा धन रखकर लाना चाहिए। धन के रूप में चाहें चांदी का सिक्का हो, घर पर बर्तनों केा लाकर जल से छीटा लगाकर शुद्ध करें और रोली-मौली तथा अक्षत से उसका पूजन करें तथा माँ लक्ष्मी से प्रार्थना करें कि कि वह सदा इसी प्रकार से उन्नति दें और यह बर्तन व आभूषण समृद्धि में सहायक बनें। इन बर्तनों को लक्ष्मी पूजन के समय अवश्य काम में लेना चाहिए। सोने अथवा चांदी का खरीदा हुआ सिक्का भी लक्ष्मी पूजन के समय अवश्य पूजन स्थल मे ंरखें उसके बाद उसको लाल कपड़े में लपेटकर तिजोरी अथवा धन के स्थान में रखें। इस दिन स्वयं सिद्ध मुहुर्त होने के कारण वाहन, घर, जमीन, आदि खरीदना भी शुभ होता है। धन से सम्बन्धित कोई भी कार्य करना इस दिन लाभदायक होता है।