बाबा विश्वनाथ की नगरी #काशी पर होली का रंग पूरी तरह से चढ़ा है। अबीर, गुलाल, रंग और फूलों के अलावा काशी में चिता की राख से खेली जाने वाली होली का अलग ही अंदाज है। काशी के प्रसिद्ध हरिश्चंद्र घाट पर चिता भस्म से मसाने की होली खेली जा रही है।
काशी में नागा साधुओं ने हरिश्चंद्र घाट पर चिता भस्म से खेली अनूठी अद्भुत मसाने की होली ,शिवभक्तों ने किया शिव तांडव खेली मसाने की होली,सड़कों से गलियों तक भूतभावन की टोली नज़र आई ।इसे चिता भस्म होली के नाम से भी जाना जाता है। यह होली देवों के देव महादेव को समर्पित है। मसान की होली को मृत्यु पर विजय का प्रतीक माना गया है।धार्मिक मान्यता के अनुसार, भगवान भोलेनाथ ने यमराज को हराने के बाद चिता की राख से होली खेली थी।इसके अलावा यह भी मान्यता है कि रंगभरनी एकादशी के दिन भगवान शिव माता पार्वती को विवाह के बाद काशी लाए और सभी देवी-देवताओं के साथ होली खेली।
किंतु इस उत्सव में भगवान भोलेनाथ के प्रिय गण, भूत-प्रेत, पिशाच, निशाचर, और अदृश्य शक्तियां शामिल नहीं हो पाईं। ऐसे में होली खेलने के लिए भगवान शिव खुद ही मसान घाट पर आ गए थे।