Bareillylive : मनुष्य बच्चों के रूप में इस संसार में आता है और अपनी आयु पूरे होने पर यहां से विदा हो जाता है। अपने जीवन काल में वह संसार में बहुत कुछ करता है। परंतु प्रश्न यह है कि वह अपने लिए क्या करता है? हम जगत के लिए कुछ भी करते हैं वह हमारे अपने लिए होता है क्या? इन प्रश्नों का उत्तर जानने के लिए ही हम सभी को राम कथा सुनना आवश्यक है।उक्त बातें बरेली के मॉडल टाउन स्थित श्रीहरि मंदिर के कथा मंडप में गंगा समग्र के आवाहन और अरुण गुप्ता जी के पावन संकल्प से आयोजित पंच दिवसीय श्रीराम कथा का गायन करते हुए प्रथम दिन पूज्य श्री प्रेमभूषण जी महाराज ने व्यासपीठ से कहीं। सरस् श्रीराम कथा गायन के लिए लोक ख्याति प्राप्त प्रेममूर्ति पूज्य श्री प्रेमभूषण जी महाराज ने कथा गायन के क्रम में कहा कि राम कथा हमें यह सिखाती है कि इस संसार में रहते हुए हमें अपने लिए क्या करना चाहिए? ऐसा क्या करें जो हमारे जीवन के बाद भी हमारे साथ जाए? जगत का व्यवहार और प्रति जगत में रहने तक ही है जाने के बाद उसका कोई अस्तित्व नहीं होता है। महाराज जी ने कहा कि श्रेष्ठ व्यक्ति कुछ ऐसी परंपरा छोड़ जाते हैं जो युगों तक अगली पीढ़ी के लोगों का मार्गदर्शन करते हैं। मनुष्य की श्रेष्ठता इसी में है कि वे अपने तप से अपनी आने वाली पीढ़ी के लोगों को गौरव करने के लिए कुछ न कुछ अवश्य दे जाते हैं।
पूज्य श्री ने कहा कि हम जिस युग में जी रहे हैं वहां कोई भी मनुष्य विकारों से दूर नहीं रह पाता है। कामनाओं के मैल मन में तरह-तरह के विकार पैदा करते रहते हैं और इससे मनुष्य का जीवन कष्टमय हो जाता है। अगर हम सहज रहना चाहते हैं और सहज जीना चाहते हैं तो हमारे पास इस कलियुग के मल को काटने और धोने का एकमात्र साधन है श्री राम कथा। काम, क्रोध, लोभ, मद और मत्सर आदि विकार कलिमल कहे जाते हैं। इससे बचने का एकमात्र सहज साधन श्री राम कथा ही है। मानस जी में लिखा है इस कथा को जो सुनेगा, कहेगा और गाएगा वह सब प्रकार के सुखों को प्राप्त करते हुए अंत में प्रभु श्री राम के धाम को भी जा सकता है। उन्होंने कहा कि सत्य मार्ग पर चलकर धन अर्जित करने वाले लोग ही शाश्वत सुख की प्राप्ति कर पाते हैं। छल प्रपंच से धन तो अर्जित किया जा सकता है लेकिन उसे सुख की प्राप्ति कदापि संभव नहीं है। अधर्म के पथ पर चलकर धन अर्जित करने वाले जीवन में कभी भी सुखी नहीं हो सकते हैं। दूसरों को वह दूर से सुखी तो दिखते हैं लेकिन वास्तव में वह सुखी होते नहीं हैं। अगर उनके दिल का हाल जाना जाए तो पता चलता है कि उनके दुख की कोई सीमा नहीं है।
पूज्य महाराज श्री ने कहा कि भगवान को केवल और केवल प्रेम ही प्यारा है। बार-बार मानस जी में इसका इसकी चर्चा आई है। यह जरूरी नहीं है कि भगवान भी हमसे प्रेम करें। परंतु हमें भगवान से अवश्य प्रेम करना चाहिए। अगर हम भगवान से प्रेम की अपेक्षा करते हैं तो यह व्यापार हो जाएगा लेनदेन का व्यापार। भगवान से बदले में कुछ चाहना तो व्यापार ही है। इस आयोजन का राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रान्त संघचालक चालक शशांक भाटिया जी, भाजपा के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष राजेश अग्रवाल जी, बरेली के जिला अधिकारी श्री रविंद्र कुमार, उच्च शिक्षा आयोग के सदस्य डॉक्टर राधाकृष्ण दीक्षित और महिला आयोग सदस्य श्रीमती पुष्पा जी ने पंच दीप जलाकर उद्घाटन किया। व्यासपीठ का सपत्नीक पूजन यजमान अरुण गुप्ता जी ने किया। महाराज श्री ने कई सुमधुर भजनों से श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। बड़ी संख्या में उपस्थित रामकथा के प्रेमी, भजनों का आनन्द लेते हुए झूमते नजर आए।
आयोजन संरक्षक मण्डल के सदस्यों सर्वश्री शशांक भाटिया (भाटिया फार्म हाऊस, बहेड़ी), के०सी० गुप्ता जी (सी०ए०), कृष्ण कुमार मोहता, चेयरमेन (I.W.P.), राजकुमार अग्रवाल (I.W.P.) मुख्य प्रबन्धक, डॉ. शालिनी माहेश्वरी (चेयरपर्सन गंगाशील ग्रुप) और डॉ. राधाकृष्ण दीक्षित (राष्ट्रीय आयाम प्रमुख) तथा सर्वश्री राजेश कुमार जी राष्ट्रीय आयाम प्रमुख सहायक नदी गंगा समग्र, सतीश खट्टर अध्यक्ष, रवि छाबड़ा सचिव हरि मंदिर मॉडल टाउन, अश्विनी ओबरॉय डायरेक्टर प्रबंधन समिति हरि मंदिर मॉडल टाउन, सुशील अरोड़ा उपाध्यक्ष हरि मंदिर मॉडल टाउन, डॉ रविशंकर सिंह चौहान प्रांत संयोजक गंगा समग्र ब्रज, अमित शर्मा भाग संयोजक गंगा समग्र, अखिलेश सिंह महानगर संयोजक गंगा समग्र सहित गिरधर गोपाल खंडेलवाल जी, विजय शर्मा जी, अतुल कपूर जी, पवन अरोड़ा जी विक्रम अग्रवाल जी, कुलदीप गौड़ जी, डॉ रामनारायण सक्सेना जी, सोमेन्द्र गंगवार जी, अजय राज शर्मा जी , विशेष कुमार जी , लाल बहादुर सिंह जी , अर्चना चौहान जी, गीता सिंह जी, कीर्ति शर्मा जी, नीतू द्रवेदी जी, विनीता खंडेलवाल जी, संजय शुक्ला जी, राज भारती जी के साथ नगर के कई विशिष्ट व्यक्ति कथा में सपरिवार उपस्थित रहे।