Bareillylive : श्री राधा संकीर्तन मंडल ट्रस्ट रजिस्टर्ड बरेली द्वारा आयोजित विशाल श्रीमद् भागवत कथा एवं ज्ञान यज्ञ समारोह के चतुर्थ दिवस बड़ी धूमधाम से कृष्ण जन्मोत्सव एवं नंदोत्सव मनाया गया। श्री त्रिवटी नाथ मंदिर प्रांगण बरेली में श्री राधा संकीर्तन मण्डल ट्रस्ट (रजि), बरेली के तत्वावधान में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के चतुर्थ दिवस की कथा में आचार्य मृदुल कृष्ण गोस्वामी जी महाराज ने कहा कि श्रीमद्भागवत में पुत्र के लिये, मां का दर्जा सबसे ऊपर बतलाया गया है। मां की कृपा पाने वाले व्यक्ति के ऊपर सदैव संत- महात्मा की कृपा होती है और महात्मा की कृपा प्राप्त कर लेने वाले जीव को परमात्मा की कृपा प्राप्ति होती है। अतः मां की सदैव सेवा करते हुए उनकी कृपा प्राप्त करनी चाहिए। जिस घर में मां सुखी होती है वह घर स्वर्ग के समान बन जाता है।
महाराज श्री ने कहा कि भजन के चार प्रकार बताए गए हैं। प्रथम प्रकार का भजन जीव कोई आशा अर्थात लोभ के कारण करता है, प्रभु शरणागत होता है। द्वितीय प्रकार का भजन किसी प्रकार के भय के कारण किया जाता है। तीसरे प्रकार का भजन जीव अपना कर्तव्य समझकर करता है। परंतु चौथे प्रकार के लोग केवल प्रेम के कारण ईश्वर का भजन करते हैं। लोभ अर्थात आशा के कारण की जाने वाले भक्ति अधिक दिनों तक नहीं टिकती है। एक कामना की पूर्ति होते ही दूसरी कामना जन्म ले लेती है क्योंकि कामनाएं अनंत होती हैं। लेकिन जब दूसरी कामना की पूर्ति नहीं होती है तो मन में नास्तिकता आ जाती है। अतः निष्काम अर्थात बिना कामना की भक्ति सर्वश्रेष्ठ होती है।
महाराज श्री ने कहा कि गीता में भगवान ने चार प्रकार के भक्त बताये हैं – प्रथम ज्ञानी भक्त, दूसरे आर्त भक्त, तीसरे जिज्ञासु भक्त तथा चौथे अर्थार्थी भक्त होते हैं अर्थात धन की कामना से भक्ति करते हैं। परंतु सबसे श्रेष्ठ तो निष्काम भक्ति ही है। निष्काम भक्ति करने वाले भक्त पर प्रभु की विशेष कृपा होती है। महाराज श्री ने राजा के चरित्र के बारे में वर्णन करते हुए कहा कि किसी राजा का चरित्र श्रेष्ठ, समभाव और सदाचारी होना चाहिए। जिस राज्य का राजा पापी तथा दुराचारी होता है वहां अकाल एवं विभिन्न प्रकार के प्रकोप होते रहकर, प्रजा सदैव दुःखी रहती है। सत्संग की महिमा का बहुत सुंदर वर्णन करते हुए महाराज श्री ने कहा कि सभी लोग समय निकाल कर अवश्य ही सत्संग करें। सत्संग करने से व्यक्ति किसी भी प्रकार की अनीति और पाप कर्म से दूर रहता है तथा बुद्धि की जड़ता और अज्ञानता दूर होकर ईश्वर से प्रीति बढ़ती है। श्रीमद्भागवत, रामायण एवं श्रीमद्भगवद्गीता का अवश्य पाठ और श्रवण करना चाहिए। जिस घर में ये तीनों पवित्र ग्रंथ विद्यमान रहते हैं उस घर में सदैव भगवान का वास रहता है।
महाराज श्री ने अपने श्रीमुख से आज की कथा में, मनु और प्रियव्रत की कथा, भगवान के चौबीस अवतारों की कथा, जड़ भरत की कथा, ऋषभदेव जी महाराज की कथा, विभिन्न नरकों का वर्णन, श्री कृष्ण जन्म कथा आदि मुख्य दिव्य कथाओं का अद्भुत वर्णन किया। श्री कृष्ण जन्मोत्सव की मनमोहक झांकियों की छवि देखते ही बनती थी। जीवन है तेरे हवाले मुरलिया वाले, तेरे चरण कमल में श्याम लिपट जाऊं रज बन के, तेरी बन जायगी गोविंद गुण गाये से, जय गोविन्दा गोपाला, मुरली मनोहर नंदलाला.. आदि भावपूर्ण सुमधुर भजनों को सुनकर श्रोतागण मंत्रमुग्ध होकर झूमने लगे।
आज की कथा में अनुज अग्रवाल, राकेश गर्ग, विकास अग्रवाल, कथा यजमान मोहित अग्रवाल, पूजा अग्रवाल, हिमांशु शुक्ला ख़ुशी शुक्ला, शुभम शुक्ला, प्राची शुक्ला, अनुराग सक्सेना, पूजा सक्सेना, अवधेश अग्रवाल, वीरेंद्र अग्रवाल, गिरधारी लाल, विक्रम कपूर, शिव चावला, अतुलनीय अग्रवाल, ध्रुव अग्रवाल, उमेश अग्रवाल एवं भारी संख्या में क्षेत्रवासी उपस्थित रहे। मीडिया प्रभारी रिशुल अग्रवाल ने बताया की कल गिरिराज पूजन एवं छप्पन भोग की महिमा का महाराज श्री वर्णन करेंगे।