विश्व ध्यान दिवस @BareillyLive. संयुक्त राष्ट्र द्वारा हर वर्ष 21 दिसंबर को विश्व ध्यान दिवस मनाने की एक सराहनीय घोषणा की गई है। आज के इस प्रतिस्पर्धात्मक समय में ध्यान हर आयु वर्ग के लोगों के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण है।
वर्तमान समय में विश्व जिन समस्याओं से जूझ रहा है, उनमें सबसे बड़ी समस्या मानसिक स्वास्थ्य की है। एक ओर लोगों में आक्रामकता और हिंसा बढ़ रही है तो दूसरी ओर वे अवसाद और आत्महत्या की प्रवृत्ति से पीड़ित हो रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन, डब्ल्यूएचओ के अनुसार, आज 1 अरब से अधिक लोग विभिन्न मानसिक रोगों से ग्रस्त हैं। यह एक स्वस्थ समाज की निशानी नहीं है। किसी भी समाज के विकास और समृद्धि के लिए इन चुनौतियों का समाधान करना बहुत आवश्यक है और ऐसा केवल ध्यान के माध्यम से ही किया जा सकता है।
ध्यान जीवन की गहरी समझ लाता है। हमारा जीवन प्रकृति का दिया हुआ सबसे अनमोल उपहार है किंतु हम इस उपहार को सदैव आवरण में लपेट कर रखे रहते हैं, कभी खोलते ही नहीं। जरा कल्पना करें कि कोई आपको उपहार दे और आप उसे खोलें भी नहीं, तो आप उसकी सुंदरता का आनंद कैसे उठाएंगे?
हम कभी शरीर रूपी आवरण को निहारते रहते हैं, कभी उसमें दोष निकालते हैं या फिर उसकी प्रशंसा करते हैं लेकिन हम उसके भीतर के आत्मारूपी कोष की खोज नहीं करते। हममें से प्रत्येक व्यक्ति आनंद और अनुग्रह का स्रोत है। इसका अनुभव करने के लिए, जीवन के वास्तविक आनंद और सुंदरता को पाने के लिए आपको पाँचों इंद्रियों से परे जाने की आवश्यकता है।
जीवन वास्तव में छठी इंद्रिय, अंतर्ज्ञान या सहजबोध की अनुभूति से शुरू होता है। सहज बोध की अनुभूति क्या है? आपकी बुद्धि कोई मार्ग चुनने के लिए तार्किक तर्क दे सकती है लेकिन आपकी अन्तःप्रज्ञा कहती है कि ‘नहीं मुझे यह मार्ग नहीं चुनना चाहिए, मुझे दूसरा मार्ग चुनना चाहिए।’ जब आप ऐसा करते हैं तो आप अपने निर्णय से संतुष्ट और प्रसन्न होते हैं। इसी तरह कई बार आपके निर्णय गलत हो सकते हैं, आपकी बुद्धि भूल कर सकती है लेकिन आपकी अन्तःप्रज्ञा या इन्ट्यूशन कभी गलत नहीं हो सकता। आपका निर्णय समय-समय पर बदलता रह सकता है। आप किसी को देखते हैं और उसके विषय में एक राय बनाते हैं लेकिन थोड़ी देर बाद आपको ऐसा लग सकता है कि आपका विचार गलत था। हमारा मस्तिष्क अक्सर ऐसे ही कई पूर्वाग्रहों से भरा रहता है। इन पूर्वाग्रहों से ऊपर उठने और अपनी छठी इंद्रिय तक पहुंचने के लिए आपको ध्यान करने की आवश्यकता है। केवल ध्यान ही आपको बुद्धि के पूर्वाग्रहों से पार जाने में मदद कर सकता है।
स्वयं को थोड़ा समय देने और प्रतिदिन ध्यान का अभ्यास करने से आपके जीवन में एक नया आयाम खुलेगा। तब आप देखेंगे कि जीवन में कितना सौंदर्य और प्रेम छुपा हुआ है। यह आपको ‘अचाह – कुछ न चाहने’, ‘अकिंचन- कुछ न होने’ और ‘ अप्रयत्न- कुछ न करने’ की सजगतापूर्ण लेकिन पूर्ण विश्राम की स्थिति में ले आएगा। ध्यान वह सर्वोच्च प्रार्थना है जो हमें जीवन से प्राप्त होने वाले आनंद और कृपा की झलक देता है।
बढ़ते उत्तरदायित्वों और महत्वाकांक्षाओं से भरे विश्व में ध्यान करना पहले से कहीं अधिक महत्त्वपूर्ण हो गया है। कभी आत्मज्ञान का मार्ग माने जाने वाले ध्यान को अब तनाव के प्रबंधन और आरोग्य की वृद्धि के लिए एक बहुत प्रभावी उपकरण के रूप में पहचाना जाने लगा है। यह आपकी आंतरिक शक्ति को पुनर्जीवित करके आपको चुनौतियों का डटकर सामना करने में सक्षम बनाता है। यह आपके मस्तिष्क को वर्तमान पर केंद्रित रखकर, अतीत के पश्चाताप या भविष्य की चिंताओं से मुक्त रखकर जीवन की सभी चुनौतियों से निपटने में आपकी सहायता करता है।
ध्यान केवल विश्राम करने का साधन नहीं है, बल्कि यह एक आवश्यक साधना है जो हमारे जीवन को पूर्ण बना सकती है। जीवन में शांति और संतुलन लाने के लिए सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हम हर दिन कुछ मिनटों के लिए ध्यान करें। यदि हम हर दिन ध्यान के लिए केवल 10 से 20 मिनट का भी समय निकालते हैं तो हमारे मन और शरीर को गहरा विश्राम और ऊर्जा प्राप्त होती है।
आइए इस विश्व ध्यान दिवस पर ध्यान, प्राणायाम और योग को अपने दिन प्रतिदिन के जीवन में स्थान देने का संकल्प लें और आंतरिक शांति से विश्व शांति के लक्ष्य को साकार करें।
(आप भी 21 दिसंबर रात्रि 8:00 बजे से गुरुदेव के साथ उनके आधिकारिक यूट्यूब चैनल पर ‘वर्ल्ड मेडिटेट्स विद गुरुदेव’ में निर्देशित ध्यान कर सकते हैं।)