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नल-नील ने राम सेतु बनाया, अंगद ने फिर पैर ज़माया, कोई जिसे हिला ना पाया

Bareillylive : ब्रह्मपुरी में चल रहीं ऐतिहासिक 164 वीं रामलीला में आज गुरु व्यास मुनेश्वर जी ने लीला के साथ-साथ वर्णन किया कि हनुमानजी जब लंका जला कर लौट आये और प्रभु श्रीराम जी को माता सीता से भेंट की सूचना दी तो सभी ने सर्वसम्मति से लंका पर आक्रमण की योजना बनायी और फिर सभी समुद्र तट पर पहुंचे, वानरसेना के समक्ष विशाल समुद्र लहरें मार रहा था और उसे पार करना एक बहुत बड़ी समस्या थी। राम ने पहले तो समुद्र देव से रास्ता देने की याचना की, फिर उनके क्रोध से भयभीत होकर समुद्र ने स्वयं वहाँ आकर बताया कि सुग्रीव की सेना में नल और नील कुशल शिल्पी हैं। उनके नेतृत्व में समुद्र पर सेतु बाँधना सम्भव हो सकेगा। नल-नील असंख्य वानरों को लेकर सेतु निर्माण के कार्य में जुट गये। उनके आदेश के अनुसार वानर सेना बड़े-बड़े वृक्षों को उखाड़ कर समुद्र तट पर एकत्रित करने लगे। इस प्रकार निरन्तर परिश्रम करके उन्होंने चार सौ कोस लम्बा पुल बना डाला। अब नल-नील के प्रयत्नों से चालीस कोस चौड़ा और चार सौ कोस लम्बा मजबूत पुल बन कर तैयार हो गया। उधर रावण के द्वारा अपमानित होकर उनके भाई विभीषण भी राम सेना से आ मिले, श्री राम जी अपनी पूरी सेना के साथ पुल द्वारा लंका के पास आ गए, इस सेना के लंका में पहुँचते ही राक्षसों में भयानक हलचल मच गई। वे लंका दहन की घटना को स्मरण कर भयभीत होने लगे। रामजी के निर्देशानुसार सुग्रीव ने वहीं तट पर तंबुओं का शहर बना लिया, रामजी ने सभी मंत्रियों से चर्चा की तो सबने दूत के रूप में बालि कुमार अंगद को भेजने की बात कही, अंगद रावण के दरबार में पहुंचे और कहा कि आप मेरे पिता के मित्र हैं इसलिए मैं आपसे निवेदन करता हूं कि आप माता सीता को लौटा दो और श्री राम की शरण में चले जाओ। रावण जब बहुत समझाने पर भी नहीं माना तो अंगद ने श्रीराम का नाम लेकर अपना पांव जमीन में जमा दिया और कहा कि यदि कोई मेरे पांव को हिला भी देगा तो रामजी सेना समेत लौट जाएंगे, कई सूरमाओं ने प्रयास किया पर कोई नहीं हिला सका अंत में रावण जब स्वयं उठा तो अंगद ने कहा कि वो यदि श्रीराम के आगे झुके तो उद्धार हो जायेगा।

प्रवक्ता विशाल मेहरोत्रा ने बताया कि कल रामलीला में युद्ध की शुरुआत, लक्ष्मण को शक्ति एवं कुंभकर्ण बध की लीला का मंचन होगा। अध्यक्ष सर्वेश रस्तोगी ने कल हुई लंका दहन मंचन में सहयोग के लिए सबका आभार व्यक्त किया।

Sachin Shyam Bhartiya

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