Bareillylive : उत्तराखंड सांस्कृतिक समाज द्वारा संचालित श्री रामलीला महोत्सव तृतीय दिवस का मुख्य आकर्षण रहा, रानी कैकई अपनी दासी मंथरा के उकसाने पर राजा दशरथ द्वारा पूर्व में दिए गये दो वरदान मांगती है। एक वरदान से राम को तपस्वी वेश में 14 वर्ष का बनवास तथा दूसरा अपने पुत्र को राज्यभिषेक इस प्रकार श्री राम का जिस दिन राज्यभिषेक होना था उसी दिन उन्हें 14 वर्ष के लिए वन जाना पड़ता है। राजा दशरथ अपने विस्वास पात्र मंत्री. को उनके साथ इस आशय के साथ भेजते हैं कि वे उन्हें कुछ दिन बन घुमाकर वापस अयोध्या लौटा लाये पर श्री राम उन्हें समझाकर वापस भेज देते हैं। रास्ते में उन्हें केवट व निषाद मल्हाह के रूप में मिलते हैं और वे तमसा नदी पार कर चित्रकूट की ओर निकल जाते हैं। सुमंत अत्यंत ब्यथित होकर वापस राजा दशरथ को पूर्ण बृतांन्त सुनाते हैं और इस प्रकार राजा दशरथ राम के बियोग में अपना देह त्याग देते हैं। राम लीला के सफल आयोजन में गोकुलानंद पाठक, हरीश तिवारी, फकीर चंद्र टम्टा, भुवन चंद्र जोशी, सुरेंद्र सिंह बिष्ट, कैलाश चंद्र पांडे, कोषाध्यक्ष हरिनंदन तिवारी का विशेष योगदान रहा।