Bareillylive : भगवान श्री रामजी की सवारी और अपने आराध्य के दर्शन को लालायित भक्तों की फौज, अश्रुपूरित नयन, मनमोहक वातावरण, पुष्पों की वर्षा और जय श्रीराम का उद्घोष। कल पूरे शहर का जर्रा जर्रा राममय हो गया, जब ब्रह्मपुरी के नरसिंह मंदिर से पूरे ठाठ बाट से श्रीराम जी, लक्ष्मण जी, सीता जी और श्रीं हनुमानजी के स्वरुपों का मुख्यातिथि महापौर डॉ उमेश गौतम ने आरती उतार कर शोभायात्रा का शुभारंभ किया। दोपहर करीब 2 बजे से चली ये यात्रा नरसिंह मंदिर से शुरू होकर मलूकपुर चौराहा, बिहारीपुर, घंटाघर से कोतवाली, रोडवेज, कालीबाड़ी, श्यामगंज, शिवाजी मार्ग, बड़ा बाजार होते हुए रात 9 बजे साहूकारे फाटक पर ठहरी जहां पर भरत मिलाप की लीला हुई, स्वागत सत्कार हुआ। उसके बाद किला चौकी, सिटी सब्जीमंडी, गांधी मूर्ति होते हुए वापस नर्सिंग मंदिर पर रात 12 बजे सम्पन्न हुई, शहर के कई क्षेत्रों से आज ये शोभायात्रा गुज़री। जगह-जगह पर लोगों ने पुष्प वर्षा कर स्वागत- सत्कार किया।
श्री रामचरित मानस में उद्धत है कि श्रीराम-रावण युद्ध के अंतिम दिन जब भगवन श्रीराम ने ब्रह्मास्त्र का संधान करके लंका के राजा रावण को मार गिराया तब वह श्रीराम का नाम लेता हुआ रथ समेत भूमि पर गिर पड़ा। इसके पश्चात उसका छोटा भाई विभीषण, पत्नियाँ, प्रजागण इत्यादि प्रलाप करने लगे। भगवान श्रीराम उन सभी को समझाने का प्रयास कर रहे थे कि इसी बीच लंका के राज परिवार का एकमात्र जीवित पुरुष माल्यवान लंका के राजा का मुकुट, राजसी तलवार लेकर वहां पहुंचे। रावण के नाना माल्यवान ने श्रीराम के सामने आत्म-समर्पण किया तथा रावण की मृत्यु के पश्चात लंका की पराजय स्वीकार की। उन्होंने कहा कि अब से वे सभी उन्हें लंका का स्वामी स्वीकार करते है। पर श्रीराम ने सभी के सामने माल्यवान जी का अनुरोध अस्वीकार कर दिया तथा उन्हें बताया कि उन्होंने यह युद्ध लंका पर आधिपत्य स्थापित करने या लंकावासियों को अपने अधीन करने के लिए नही लड़ा। उन्होंने तो यह युद्ध पापियों का सर्वनाश करने तथा अपनी पत्नी सीता को रावण के चंगुल से छुड़ाने के लिए लड़ा था। युद्ध से पहले ही वे रावण के छोटे भाई तथा धर्म के ज्ञाता विभीषण को लंका का राजा मान चुके हैं। विभीषण को वहां का राजा बनाकर अपनी पत्नी सीता, भाई लक्ष्मण तथा अन्य लोगों के साथ अयोध्या के लिए पुष्पक विमान से चल दिये। लंका विजय से लौट कर प्रभु श्री राम, सीता जी और लक्ष्मण जी का अयोध्या में जोरदार स्वागत हुआ, माताओं ने उनकी आरती उतारी, उनके साथ लंका के राजा विभीषण, वानर राज सुग्रीव, नल, नील, जामवंत और युवराज अंगद तथा हनुमानजी भी आये। प्रभु श्री राम ने एक एक कर अपने वनवासी मित्रों का परिचय गुरु वशिष्ठ से कराते हुए बताया कि बिना इन सबके सहयोग के राक्षसों को मार पाना मुश्किल था। माता कौशल्या ने भी उन सबको पुत्रवत मानते हुए आशीर्वाद दिया। सभी वनवासी मित्रों के साथ प्रभु श्री राम अपने महल की ओर चले तो अयोध्यावासी इस अलौकिक दृश्य को देखने के लिए घरों की छतों पर चढ़ गए और इस अलौकिक दृश्य को देखने लगे। सभी लोगों ने मंगल के लिए दरवाजों पर वंदनवार, ध्वजा और पताकाएं लगा दीं। स्त्रियां व युवतियां उनकी आरती करने को व्याकुल हो गईं। इस बीच गुरु वशिष्ठ ने ब्राह्मणों को बुलवाया और कहा कि आज शुभ घड़ी, सुंदर दिन और सभी शुभ योग हैं। आप सब अनुमति दें ताकि श्री रामचंद्र राज सिंहासन पर विराजमान हों। ब्राह्मणों ने भी कहा कि श्री राम का राज्याभिषेक पूरे जगत को आनंद देने वाला है इसलिए इस काम में अब देरी नहीं करना चाहिए।
शोभायात्रा में श्री रामलीला सभा के समस्त पदाधिकारी और सैकड़ों रामभक्त अध्यक्ष सर्वेश रस्तोगी के नेतृत्व में साथ चल रहे थे और साथ साथ सबसे मतदान अवश्य करने की अपील भी कर रहे थे। प्रवक्ता विशाल मेहरोत्रा ने बताया कि आज राम जी का राज्याभिषेक कर सभी राजतिलक करेंगे। कल की शोभा यात्रा में सर्वेश रस्तोगी, विवेक शर्मा, नवीन शर्मा, अंशु सक्सेना, राजू मिश्रा, राजकुमार गुप्ता, नीरज रस्तोगी, पार्षद संजीव रस्तोगी, सुरेश रस्तोगी आदि लोगो का विशेष योगदान रहा। पदाधिकारियों में महेश पंडित, पंकज मिश्रा, सुनील रस्तोगी, लवलीन कपूर, गौरव सक्सेना, दिनेश दद्दा, अखिलेश अग्रवाल, पंडित सुरेश कटिहा, सत्येंद्र पांडेय, महिवाल रस्तोगी, दीपेन्द्र वर्मा, धीरज दीक्षित, पंडित विनोद शर्मा, कमल टण्डन, अनमोल रस्तोगी, बॉबी रस्तोगी, बंटी रस्तोगी, सचिन श्याम भारतीय, कौशिक टण्डन आदि शामिल रहे।