BareillyLive : राष्ट्र संत विजय कौशल जी महाराज ने कहा कि कथा ही भगवान दर्शन का सरल माध्यम है। सच्चे मन से कथा के श्रवण मात्र से ही मनुष्य पापों से मुक्त हो जाता है। उन्होंने कहा कि कथा ही भवसागर से पार उतरने का मार्ग प्रशस्त करती है। खुशहाली फाउंडेशन के तत्वाधान में हरि मंदिर में श्री राम कथा का शुभारंभ करते हुए संत प्रवर विजय कौशल जी ने कथा के महत्व पर विस्तार से चर्चा की उन्होंने कहा कि कथा श्रवण के उपरांत ही मन में प्रभु दर्शन की लालसा उत्पन्न होती है तभी मनुष्य पूजा-पाठ में लीन होता है। उन्होंने आगे बताया कि भगवान शिव व पार्वती एवं हनुमान जी ने भी कथा को माध्यम बनाकर ही लोक कल्याण का रास्ता प्रशस्त किया था सुखदेव जी ने परीक्षित को कथा सुनाई तो उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हुई। संत जी ने कहा की कथा सुनने का अवसर भी भगवान भाग्यशाली को ही देता है कथा सुनने से ही भगवान के दर्शन की लालसा उत्पन्न करती है उन्होंने उदाहरण स्वरूप समझाया भूख लगने पर भोजन की आवश्यकता होती है, आत्मा से कथा सुनने से प्रभु की भक्ति की इच्छा जागृत होती है। संत प्रवर ने कहा कि कथा केवल सुनने के लिए इसे जीवन में उतारने की कोशिश नहीं करनी चाहिए बल्कि इससे भगवान के निकट आने का प्रयत्न करें। उन्होंने कहा कि कलिकाल में भगवान प्राप्ति का मुख्य साधन कथा को छोड़कर जीवन व्यथा की ओर जा रहा है इसीलिए युवा पीढ़ी भटक रही है। उन्होंने आह्वान किया कि अपने बच्चों के माथे पर टीका लगाएं और उन्हें मंदिर अवश्य भेजें उन्होंने जोर देकर कहा कि माथे पर तिलक मनुष्य का मन स्वयं ही बुराइयों से दूर भागता है परिवर्तन होता है। उन्होंने कहा गुरु अवश्य बनाए, उन्होंने बताया कि जिसके पास बैठकर अच्छाइयों को अपनाने और बुराइयों को त्यागने का मन करें उसी को गुरु बनाएं। उन्होंने यह भी आगाह किया कि चमत्कार करने वालों से दूर रहें उनके संपर्क में आने से जेब तो कट सकती है पाप नहीं कटेगा उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति गुरु पर आधारित है गुरु के बिना मनुष्य का बेड़ा पार नहीं हो सकता। आप अपना दान देकर दिखावा करने की प्रथा को भी गलत बताते हुए उन्होंने बताया कि इस पर रोक लगनी चाहिए। गुप्त दान ही असली दान है, दान देकर दिखावा करने से उसका फल नहीं मिलता है। संत जी ने कहा कि सत्य की रक्षा के लिए भी मनुष्य को तत्पर रहना चाहिए, इसके लिए अगर कहीं झूठ भी बोलना पड़े तो गलत नहीं होगा। ज्ञान पर चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि ज्ञान हाथ में होना चाहिए बुद्धि में नहीं, यदि किसी के चेहरे पर चमक है चमक पर और आचरण से दुर्गंध आती हो तो वह किसी काम की नहीं है। इसलिए किसी के दिखावे के पीछे नहीं भागना चाहिए। आज की कथा के मुख्य यजमान प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ अंशु अग्रवाल रहे। मुख्य अतिथि कैंट विधायक संजीव अग्रवाल का आयोजन समिति के अध्यक्ष अतुल खंडेलवाल, डॉ विनोद पागरानी, खुशहाली फाउंडेशन के संरक्षक योगेश मिश्र, डॉ शरद अग्रवाल ने माल्यार्पण कर स्वागत किया। इस अवसर पर हरि मंदिर के अध्यक्ष सतीश खट्टर, मंत्री रवि छाबड़ा, समीर मोहन, अमित अग्रवाल, सुषमा अग्रवाल आदित्य प्रकाश आदि उपस्थित रहे।
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