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अगस्त्य मुनि से मिले शस्त्रों से राम ने संघारे खरदूषण, लखन ने सूर्पनखा की काटी नाक

Bareillylive : ब्रह्मपुरी रामलीला में आज की लीला के आरम्भ में गुरु व्यास मुनेश्वर जी द्वारा वर्णन किया गया कि भगवान श्रीराम को 14 वर्षों का वनवास मिला था जिसमे पहले के कुछ वर्ष उन्होंने चित्रकूट में बिताये थे। चित्रकूट के पास ही सतना (मध्यप्रदेश) स्थित अत्रि ऋषि का आश्रम था। महर्षि अत्रि पत्नी अनुसूइया के साथ चित्रकूट के इसी तपोवन में रहा करते थे। इसके बाद का समय राम ने दंडकारण्य के वनों में बिताया था।

श्रीराम लगातार 10 वर्षों तक दंडकारण्य के वनों में घूम-घूम कर आततायी राक्षसों का वध कर रहे थे व ऋषि मुनियों से भेंट कर विभिन्न विद्याएँ व अस्त्र शस्त्र भी प्राप्त कर रहे थे। इसी क्रम में एक दिन वो महान ऋषि अगस्त्य मुनि के आश्रम तक पहुंचे, जिन्होंने अपने तपोबल से कई दैवीय शक्तियां प्राप्त की हुई थी उनके पास कई ऐसे दिव्य अस्त्र व शस्त्र थे जो शत्रु का विनाश करने में सहायक थे। चूँकि अगस्त्य मुनि अपनी दिव्य शक्ति से भगवान के इस धरती पर जन्म लेने का उद्देश्य व भविष्य को देख सकते थे इसलिये उन्हें यह भी ज्ञात था कि भविष्य में भगवान श्रीराम का राक्षस राज रावण के साथ भीषण युद्ध होगा। इसलिये उन्होंने श्रीराम को कुछ ऐसे अस्त्र भेंट किए जो रावण के साथ युद्ध में उनके काम आये। उन्होंने ही रामजी को पंचवटी में निवास करने के लिए कहा। पंचवटी में खरदूषण जोकि रावण के सौतेले भाई थे वो समुंद्र के इस पार रावण की राक्षसी सेना का नेतृत्व करते थे, रहा करते थे। उनका राज्य दंडकारण्य के वनों में फैला हुआ था, एक दिन इसी वन में रावण की बहन सूर्पनखा ने राम लक्ष्मण को देखा और उसने दोनों भाइयों के सामने विवाह का प्रस्ताव रखा था जिसे दोनों ने ठुकरा दिया। इससे कुपित होकर उसने माता सीता पर आक्रमण कर दिया जिससे क्रोधित होकर लक्ष्मण ने उसकी नाक काट दी। इसके बाद वह रोती हुई अपने भाई खर व दूषण के पास गयी जिसके पश्चात राम द्वारा खर दूषण का वध हुआ।

प्रवक्ता विशाल मेहरोत्रा ने बताया कि कल सीता हरण, जटायु उद्धार व लंका दहन की लीला का मंचन होगा, यहीं ब्रह्मपुरी में चौक पर कृत्रिम लंका बनायी जाती है श्रीं हनुमानजी द्वारा उसका दहन बेहद रोचक होता है। अध्यक्ष सर्वेश रस्तोगी ने बताया कि छोटी ब्रह्मपुरी स्थित अगस्त्य मुनि आश्रम में अगस्त्य मुनि संबाद की लीला हुई उसका पूजन और यात्रा सबके सहयोग से पूर्ण हुआ। साथ ही खर व दूषण के पुतलों के दहन का दर्शकों ने ख़ासतौर पर बच्चों ने बहुत आनंद लिया।

Sachin Shyam Bhartiya

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