ग्रह-नक्षत्रों का व्यक्ति के जीवन पर बहुत प्रभाव पड़ता है। सूर्य, केतु से लेकर बुध तक सभी ग्रह अपनी चाल बदलते हैं। खास बात यह है साल 2021 में राहु-केतु और शनि अपना राशि परिवर्तन नहीं करेंगे। शनि अपनी स्वराशि मकर, राहु वृषभ राशि में और केतु वृश्चिक राशि में ही रहेंगे। जून 2021 ज्योतिष और ग्रहों की दृष्टि से बहुत ही खास रहने वाला है। इस महीने में 12 में से 5 ग्रहों की चाल में बदलाव होगा। बदलाव से शुभ और अशुभ दोनों परिणामों की प्राप्ति होती है। ग्रह राशि परिवर्तन जातकों की जिंदगी में उन्नति, नौकरी और अचानक धन प्राप्ति का योग भी लेकर आता है।
आचार्य राजेश कुमार शर्मा के अनुसार, यह सब आपकी जन्मकुंडली पर निर्भर करता है। इस बार जून माह में सूर्य और मंगल के राशि परिवर्तन के कारण अशुभ योग बनेंगे जिनका असर देश की राजनीति पर पड़ेगा। इस महीने शनि जयंती पर साल का पहला सूर्यग्रहण होने वाला है। हालांकि भारत में नहीं दिखने से इस ग्रहण का प्रभाव यहां के लोगों पर नहीं पड़ेगा लेकिन इसके कारण मौसम में अचानक बदलाव और प्राकृतिक आपदाएं आने की आशंका रहेगी। साथ ही दुर्घटनाएं भी बढ़ सकती हैं।
अशुभ फल देने वाला रहेगा सूर्यग्रहण : इस बार शनि जयंती पर साल का पहला सूर्यग्रहण हो रहा है। सूर्य और शनि आपस में शत्रु माने जाते हैं। इसलिए ज्योतिषीय नजरिये से शनि देव की जन्मतिथि अमावस्या पर सूर्यग्रहण होना अशुभ फल देने वाला रहेगा। इस ग्रहण का असर भारत के लोगों पर तो नहीं पड़ेगा लेकिन इससे प्राकृतिक आपदाएं और दुर्घटनाएं होने की आशंका है।
कोरोना महामारी से मिलेगी राहत : 20 जून को मंगल राशि बदलकर कर्क में आएगा जिससे यह अपने शत्रु ग्रह शनि के सामने होगा। इस तरह शनि और मंगल का अशुभ योग बनेगा। हालांकि संवत 2078 के राजा और मंत्री मंगल जैसे ही कर्क राशि में प्रवेश करेंगे कोरोना महामारी से लोगों को कुछ निजात मिलना शुरू हो जाएगी। मंगल के साथ अमृत संजीवनी के मालिक शुक्र लोगों को राहत प्रदान करेंगे। मंगल के कारण ही लॉकडाउन समाप्त होगा और जनजीवन सामान्य होगा। जून के महीने में कोरोना की वैक्सीन के मामले में वैज्ञानिकों को बड़ी सफलता मिलेगी तथा बीमारियों के इलाज में सफलता प्राप्त होगी।
जून महीने के प्रारंभ में अग्नि तत्व प्रधान ग्रह मंगल के कर्क राशि में आने से वर्षा की अधिकता देश के कई राज्यों में देखने को मिल सकती है। लगातार बदलता मौसम लोगों को मानसिक तनाव दे सकता है। इस दौरान भारत की सीमाओं में दुश्मन देश घुसपैठ करने की कोशिशें भी कर सकते हैं। नौकरीपेशा लोगों को जीवन में भी काफी चुनौतियां सामने आ सकती हैं। देश-दुनिया में तनाव, विवाद और झगड़े बढ़ेंगे। देश की सीमाओं पर भी तनाव बढ़ सकता है।
बुध के वृषभ राशि में वक्री होने से बुध ग्रह एक राशि पीछे आएगा : बुध ग्रह वक्री यानी टेढ़ी चाल चलते हुए आगे बढ़ने की बजाय 3 जून को एक राशि पीछे आ जाएगा। इसके साथ ही यह ग्रह सूर्य के पास होने की वजह से अस्त भी रहेगा। इस कारण देश में आर्थिक गतिविधियां बढ़ेंगी और आयात-निर्यात से जुड़े बड़े मामले सामने आएंगे। भारत को आर्थिक मोर्चे पर कुछ सकारात्मक परिणाम देखने को मिलेंगे। सरकार आर्थिक संकट से उबरने के लिए नई योजना बना सकती है। आम जनजीवन पर इस गोचर का अच्छा प्रभाव पड़ेगा, खासकर कारोबारी वर्ग के लोगों पर। इस दौरान कारोबार पटरी पर लौटता नजर आएगा और सामान्य जिंदगी चलती रहेगी। इस ग्रह के कारण गले से जुड़ी बीमारियां बढ़ सकती हैं।
अशुभ फल देगा षडाष्टक योग : इस महीने 15 जून को सूर्य मिथुन राशि में प्रवेश करेगा। इस दिन मिथुन संक्रांति पर्व रहेगा। इसके बाद अगले एक महीने तक सूर्य और शनि आपस में छठी और आठवीं राशि में रहेंगे। इस स्थिति को षडाष्टक योग कहा जाता है। यह एक अशुभ योग है। सूर्य और शनि आपस में शत्रु होने के कारण इस योग के प्रभाव से देश की जनता और प्रशासन के बीच अविश्वास बढ़ेगा। लोग प्रशासन से असंतुष्ट रहेंगे। हालांकि विद्यार्थियों के लिए यह समय काफी अच्छा रहेगा।
21 जून से गुरु कुंभ राशि में वक्री हो जाएगा, यानी टेढ़ी चाल से चलने लगेगा। देवताओं के गुरु बृहस्पति को धन, विवाह, ज्ञान और सत्कर्म का कारक माना गया है। उन्हें सर्वाधिक शुभ एवं शीघ्रफलदाई ग्रह माना गया है। बृहस्पति की चाल में बदलाव होने से कई लोगों की सेहत बिगड़ सकती है। इससे प्राकृतिक आपदाएं और बीमारियां बढ़ने की आशंका रहेगी।
22 जून को शुक्र मिथुन से निकलकर कर्क राशि में आ जाएगा और अपने मित्र शनि के साथ समसप्तक योग बनाएगा। शुक्र की इस स्थिति से कई लोगों की सेहत संबंधी परेशानियां कम होने लगेंगी। बीमारियों में भी राहत मिलेगी। शुक्र के प्रभाव से लोगों का सुख भी बढ़ेगा। शुक्र के कर्क राशि में होने से बरसात ज्यादा होगी और बाढ़ के आसार भी बन सकते हैं। कर्क राशि के लोगों के लिए यह समय अच्छा रहेगा। इस दौरान लोगों की कामुकता में भी वृद्धि हो सकती है और भौतिक चीजों की ओर आकर्षण बढ़ेगा। काम प्रवृति की चीजों को ज्यादा बढ़ाएगा। यह योग देश के लिए अच्छा नहीं रहेगा। एशिया महाद्वीप के कई देशों में जबरदस्त बारिश और तूफान के कारण आम जनजीवन अस्त व्यस्त होने की भी आशंका है। सीमा विवाद महीने के पहले दो हफ्तों में तूल पकड़ सकते हैं। हालांकि सांप्रदायिक मुद्दों को लेकर इस माह लोग बहुत सुलझे हुए नजर आ सकते हैं। गुरु का वक्री कुछ देशों के लिए अच्छा हो सकता है। इस दौरान अपनी अर्थव्यस्था को सुधारने में कई देशों की रुचि होगी।
कुल मिलाकर कहें तो वैश्विक रूप से यह माह सामान्य से बेहतर रह सकता है। नई-नई दवाइयां और तकनीक विकसित होंगी। रक्त से होने वाले बीमारियों में कमी आएगी। शुक्र बुध मंगल और सूर्य के राशि परिवर्तन से व्यापार में तेजी आएगीय़ रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। आय में इजाफा होगा। प्राकृतिक घटनाएं होंगी। भूकंप आने की आशंका है। राजनीति में बड़े स्तर पर परिवर्तन देखने को मिलेगा। इसका प्रभाव राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय दोनों ही स्तर पर देखा जाएगा। ग्रहों के परिवर्तन से राजस्थान की राजनीति में हलचल दिखाई देगी। साथ ही फेरबदल की संभावना बनेगी। जन आंदोलन या जनाक्रोश होगा। कोरोना महामारी के संक्रमण में कमी आएगी। सोने-चांदी के भाव में तेजी रहेगी।
उपाय : हं हनुमते नमः, ऊॅ नमः शिवाय, हं पवननंदनाय स्वाहा का जाप करें। ईश्वर की आराधना संपूर्ण दोषों को नष्ट एवं दूर करती है। महामृत्युंजय मंत्र और दुर्गा सप्तशती पाठ करना चाहिए। माता दुर्गा, भगवान शिव, विष्णु, लक्ष्मीनारायण और हनुमानजी की आराधना करनी चाहिए।
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