न फेरे हुए, न निकाह पढ़ा, एक-दूसरे के बना दिये 20 जोड़े : काज़ी-पंडित बोले, विवाह अमान्य

शरद सक्सेना, आँवला। सरकारी योजनाओं का सरकारी लोग किस तरह से मखौल उड़ाते हैं यह खबर उसकी बानगी है। आंवला में नगर पालिका और सरकारी अमले ने मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना को मजाक बनाकर रख दिया। यहां शनिवार को 20 युगल विवाह बंधन में बंधे, लेकिन न हिन्दुओं के फेरे डलवाये गये और न ही मुस्लिमों का निकाह पढ़वाया गया। बस, बिन फरे हम तेरे की कहावत को चरितार्थ कराकर विवाह की औपचारिकता निभायी गयी।

बता दें कि आंवला नगर पालिका परिषद द्वारा शनिवार को 20 जोड़ों की शादी का आयोजन रामनगर रोड स्थित एक बारात घर में किया गया। यहां पहुंचे कैबिनेट मंत्री धर्मपाल सिंह ने नवदम्पतियों को आशीर्वाद दिया औरे 500-500 रूपये का नकद उपहार भी दिया। यहां मौजूद पालिका चेयरमैन संजीव सक्सेना और उनकी धर्मपत्नी सीमा सक्सेना ने भी नवयुगलों को उपहार भेंट किये। कार्यक्रम के गवाह भाजपा नेता व पालिका सभासद बने।

खास बात यह रही कि यहां 22 जोडों का विवाह होना था परन्तु दो जोड़े कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे ही नहीं। न पहुंचने वाले जोड़ों के कन्यापक्ष का कहना है कि उनका रजिस्ट्रेशन तो कराया गया परन्तु उनको विवाह की तारीख की जानकारी नहीं मिली।

विवाह समारोह में उपस्थित स्थानीय नागरिक।

न पड़े फेरे, न पढ़ा गया निकाह

खास बात यह रही कि यहां मौजूद 20 युगलों में 5 मुस्लिम जोड़े शामिल थे। नियमानुसार हिन्दू युगलों को वरमाला के साथ ही फेरे होने पर ही विवाह सम्पूर्ण माना जाता है। इसी तरह मुस्लिम रिवाज के अनुसार काजी की मौजूदगी में निकाह पढ़ा जाता है। निकाहनामा बनता है और उसमें लिखी शर्तों को समस्त लोगों के समक्ष युगल कुबूल करते हैं। तभी विवाह पूर्ण होता है।

इससे इतर यहां सभी जोड़ों ने एक-दूसरे को वरमाला पहनाई और हो गई शादी। समारोह में निकाह पढ़ाने हेतु काजी मौजूद ही नहीं था। वहीं हिन्दू जोड़ों के फेरे नहीं कराये गये। बाद में किसी के टोकने पर एक युगल के फेरे कराकर परम्परा की इतिश्री कर ली गई।

बिना निकाह के शादी अमान्य

मस्जिद गंज कुरैशियान के इमाम व वारहबुर्जी मस्जिद के इमाम का कहना है कि इस्लाम में वरमाला पहनाने का कोई प्रावधान नहीं है। हमारे मजहब में जब तक निकाह नहीं पढ़ा जाता है, तब शादी अमान्य है।

हिन्दू संस्कृति में बिना फेरे के कैसे विवाह

पं. सुरेश शर्मा शास्त्री का कहना है कि हिन्दू धर्म में विवाह तभी सम्पन्न होता है जब पति-पत्नी अग्नि को साक्षी मानकर सात वचनों के साथ फेरे लेते हैं। एक दूसरे को वरमाला पहनाना विवाह नहीं है।

विवाह समारोह को सम्बोधित करते प्रदेश के सिंचाई मंत्री धर्मपाल सिंह। साथ में पालिकाध्यक्ष व अन्य।

क्या है मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना

प्रदेश की योगी सरकार द्वारा गरीब कन्याओं के विवाह हेतु शुरू की गई मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के अर्न्तगत विवाह कराए जाते हैं। इसमें जोड़ों को 20 हजार रूपये का चैक, 10 हजार रूपए का सामान व विवाह आयोजन हेतु 5 हजार रूपए की राशि प्रदान की जाती है।

मामले की जांच करायी जाएगी : SDM

उपजिलाधिकारी विशु राजा का कहना है कि यह मामला उनके संज्ञान में आया है। बिन फेरे के विवाह और बिना काज़ी के निकाह गंभीर है। यदि ऐसा है तो मामले की जांच करायी जाएगी। इसके बाद ही कोई निर्णय लिया जा सकेगा।

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