आंवला (बरेली) : नगर के एक निजी अस्पताल में स्टाफ की लापरवाही के चलते एक गर्भवती महिला की डिलीवरी के बाद मौत हो गयी। प्रसूता की मौत पर परिजनों ने अस्पताल में हंगामा किया। सूचना पर पहुंची पुलिस ने जब पीड़ित पक्ष को कार्रवाई का आश्वासन दिया तब जाकर मामला शांत हुआ।
नगर के प्रवेश द्वार के समीप अभी कुछ माह पूर्व ही एक अस्पताल खुला है। तहसील क्षेत्र के ग्राम बिलौरी निवासी रामसिंह ने बताया कि बुधवार 26 जून को उसकी गर्भवती पत्नी पूनम को प्रसव पीड़ा हुई तो वह पहले सीएचसी पहुंचा। वहां उसका उपचार न हो पाने के चलते उसे अन्यत्र दिखाने को कहा गया। इसके बाद वह पुरैना मंदिर के समीप स्थित एक निजी अस्पताल में अपनी गर्भवती पत्नी को ले गया। वहां मौजूद स्टाफ ने उसकी पत्नी को तत्काल एडमिट करके खून की व्यवस्था करने को कहा।
साथ ही बताया गया कि पूनम का ऑपरेशन किया जाएगा। अस्पताल द्वारा रक्त (ब्लड) के नाम पर उससे 16 हजार रूपए जमा करा लिये गये। साथ ही डिलीवरी व दवाईयों का ठेका करते हुए उससे 50 हजार रूपए की मांग की। उसने शीघ्र ही रकम का बंदोवस्त कर अस्पताल में जमा करा दी।
बुधवार को शाम 5 बजे डाक्टरों द्वारा उसकी पत्नी का आपरेशन किया गया तथा उसके पुत्र का जन्म हुआ। ऑपरेशन के बाद डाक्टर वहां से चले गए। कुछ समय बाद उसकी पत्नी की तबीयत बिगडने लगी तो उसने वहां मौजूद स्टाफ से डॉक्टर को बुलाने को कहा। इस पर स्टाफ आनाकानी करता रहा। इधर पूनम की तबीयत लगातार बिगड़ती गयी।
रामसिंह ने बताया कि उसने स्टाफ की मिन्नतें कीं परन्तु उसकी पीड़ा से व्याकुल पत्नी को देखने डॉक्टर नहीं पहुंचे। गुरुवार की प्रातः उसकी पत्नी पूनम की मौत हो गई। रामसिंह ने धटना की तहरीर पुलिस को दे दी है।
नगर व आसपास के क्षेत्र में झोलाछापों का धंधा स्वास्थ्य विभाग के संरक्षण में बेरोक-टोक तेजी से फलफूल रहा है। यह झोलाछाप अपनी कमाई के आगे बेचारे मरीजों की जान से व स्वास्थ्य से जमकर खिलवाड़ कर रहे हैं। घरों में क्लीनिक व बड़े-बडे़ अस्पताल एवं मेडीकल स्टोर बिना किसी रोक-टोक के चल रहे हैं। इन अस्पतालों में मरीजों का ऑपरेशन भी होता है और इलाज भी जबकि यहां डॉक्टर्स की कोई स्थायी व्यवस्था नहीं है। सबकुछ ठेके पर चलता है। अपने निजी स्वार्थ के चलते स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी इन पर कोई कार्रवाई नहीं करते।
अभी कुछ दिनो पूर्व रामनगर के एक गांव में एक महिला की मौत के बाद उसके परिजनों की शिकायत पर खानापूर्ति करते हुए स्वास्थ्य विभाग ने कार्यवाही भी की, लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात ही रहा।
सीएचसी आवंला पर तैनात चिकित्सा अधीक्षक राजेन्द्र कुमार का कहना है कि उनके पास यदि शिकायत आती है तो वह कार्यवाही करेंगे। अन्यथा जिले से आदेश आने पर ही वह कोई कदम झोलाछापों के खिलाफ उठा सकते हैं।
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