बरेली। अभिनय को ऐसे करो जैसे यही जीवन है और जीवन को ऐसे जियो जैसे अभिनय। मनुष्य के जीवन का परम लक्ष्य स्वयं को जानना है। जीवन में परम शांति की प्राप्ति ही उसका उद्देश्य है। यही सत्य है और इस सत्य तक की यात्रा अपने अभिनय से करायी मनोज मिश्रा ने। मौका था विश्व रंगमंच दिवस का और स्थान था अपने शहर का ‘विण्डरमेयर‘। कार्यक्रम का आयोजन सोमवार को रंगविनायक रंगमंडल के बैनर तले किया गया था।
‘अभिनय से सत्य तक’ का सजीव मंचन, निर्देशन, लेखन नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा के रेपर्टरी मनोज मिश्र ने किया था। इस नाटक के माध्यम से उन्होंने जीवन को एक रंगमंच बताया। अपने कुशल अभिनय से जीवन के सत्य से परिचय कराया।
दर्शकों को अपने अभिनय से सत्य तक ले जाने के दौरान मनोज मिश्र ने एक साथ कई नाटकों जैसे रोमियो जूलियट, अंधा युग, आषाढ़ का एक दिन, इडीपस, बिच्छू, मिट्टी की गाड़ी नाटकों के अनेक चरित्रों को जीवन्त किया। वह कृष्ण भी बने और अश्वत्थामा भी। सरदार भगत सिंह भी और कुशल आइटम डान्सर भी। इन चरित्रों को जीते हुए अचानक भीतर के प्रकाश का अनुभव करते हैं, उसके अंदर की चेतना जागृत हो जाती है।
अब वह परमात्मा, ईश्वर, अल्लाह, शून्य और मौन हर परिस्थिति से अवगत हो जाता है। फिर वह न भविष्य में जीता है औ न भूत में, जीवन है तो बस इसी क्षण, अर्थात वर्तमान में। वह सूफी डांस के जरिए सत्य की झलक दिखाते हैं। सूफी नृत्य करते हुए एक दौर ऐसा आता है जब नृतक विलुप्त हो जाता है, बचता है सिर्फ नृत्य। नृतक, नृत्य में खो जाता है, यही तो है सत्य। ईश्वर में खुद को विलुप्त होते देखना अर्थात ईश्वर हो जाना।
इस अवसर पर डा. बृजेश्वर सिंह, पूर्व मेयर सुप्रिया ऐरन, सभासद राजेश अग्रवाल, स्वामी ज्ञान समर्पण, पंकज गंगवार, भावना, शोभना सक्सेना, विशाल गुप्ता, सचिन श्याम भारतीय आदि समेत बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिक मौजूद रहे।