बरेली। (Ala Hazrat Urs 2020) तीन रोज़ा 102वें उर्स ए रज़वी के आखिरी दिन बुधवार को आला हज़रत के कुल शरीफ की रस्म अदा की गई। सभी रस्में दरगाह आला हज़रत और उर्सगाह इस्लामिया मैदान पर कोविड-19 की गाइड लाइन के अनुसार अदा की गईं।
सुबह बाद नमाज़ ए फ़ज़र कुरानख्वानी हुई। इसके बाद दरगाह प्रमुख मौलाना सुब्हान रज़ा खान (सुब्हानी मियां) की सरपरस्ती, सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन रज़ा क़ादरी (अहसन मियां) की सदारत और उर्स प्रभारी सय्यद आसिफ मियां की देखरेख में कारी सखाबत ने तिलावत ए कुरान से महफ़िल का आगाज़ सुबह 9 बजे किया। निज़ामत (संचालन) मौलाना यूसुफ रज़ा संभली ने की। नातख़्वा मशहर बरेलवी, आसिम नूरी ने नात और शायर ए इस्लाम फ़ारूक़ मदनापुरी ने मनकबत का नज़राना पेश किया ।
मुफ़्ती सलीम नूरी ने अपने खिताब में कहा कि अगर हमें कुरान से रहनुमाई हासिल करनी है तो पहले हदीस को समझना होगा और हदीस को समझने के लिए बुजुर्गो के नक्शे कदम पर चलना होगा। आज का नौजवान तबका गुमराही तबके से दूर रहे। बिना किसी तस्दीक़ सोशल मीडिया पर किए गए किसी भी पोस्ट पर यकीन न करे। इस्लाम के नाम पर किसी को भी आतंक फैलाने की इजाज़त नहीं दी जाएगी। गैर मसलक द्वारा सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए किसी भी साहित्य का यकीन न करे। ऐसे लोगों से होशियार रहें। इंटरनेट पर हिंसा फैलाने पर मैसेज को नज़र अंदाज़ करें। ऐसा मैसेज देखें तो फौरन पुलिस को खबर करें।
उन्होंने कहा कि दरगाह प्रमुख हज़रत सुब्हानी मियां और सज्जादानशीन मुफ़्ती अहसन मियां ने हमेशा दहशतगर्दी की मज़ज़्मत की। आला हजरत ने हमेशा अमन और शांति का पैगाम दुनिया को दिया। नबीरे आला हज़रत मुफ्ती अरसालान रज़ा खान ने आला हज़रत के उर्स पर भीड़ इकठ्ठी करना कमाल की बात नहीं बल्कि उनके बताए रास्ते पर अमल करना कमाल की बात है।
नबीरे आला हज़रत सय्यद सैफ मियां और सूफी रिज़वान रज़ा खान ने भी आला हज़रत को खिराज़ पेश की ।
मौलाना मुख्तार बहेड़वी ने सबसे पहले दरगाह प्रमुख सुब्हानी मियां को मुबारकबाद देते हुए कहा कि कोविड-19 के मुताबिक आपने अपने शहर और मुल्क की हिफाज़त को पहले तरजीह दी। आपकी एक आवाज़ पर सारी दुनिया के अकीदतमंदों ने लबबैक की। सिर्फ वही लोग आए जिन्हें इजाज़त दी। बाकी लोगों ने ऑनलाइन अपने घर पर उर्स की रस्म अदा की। उन्होंने आगे कहा कि कहा कि पर्दा इस्लाम का अहम हिस्सा है। मुसलमान अपनी मां, बहनों ओर बेटियों को पर्दे की ताकीद कराएं। अपनी बेटियों को खुद हिफाज़त करें। ऐसा करने पर हिंदुस्तान में बलात्कार के मामले खुद व खुद खत्म हो जाएंगे।
मौलाना सय्यद फुरकान रज़ा और मौलाना अख्तर ने अपनी तकरीर में कहा कि आला हजरत से सच्ची मोहब्बत रखना सुन्नियत की पहचान है। आप एक किताब के मुसन्निफ़ (लेखक) नहीं बल्कि पूरी की पूरी लाइबेरी का नाम आला हज़रत है। मुफ़्ती अय्यूब खान नूरी ने महफ़िल को खिताब करते हुए कहा कि हम लोग रूह वालों से नहीम रूहानियत वालो से रिश्ता जोड़ लें तो यहां भी कामयाब और वहां भी कामयाब हो जाएंगे। मौलाना ज़िकरुल्लाह मक्की ने कहा कि आला हज़रत ने हमेशा इश्के रसूल में डूब कर शायरी लिखी जिसे आज सारी दुनिया में पढ़ा और सुना जा रहा है। मुफ्ती रिज़वान नूरी ने कहा कि आला हज़रत ने 4 साल की उम्र में कुरान पढ़ लिया, 6 साल में मिलाद और 8 साल की कम उम्र में अरबी में किताब लिख डाली और 14 साल में मुफ्ती की डिग्री हासिल कर ली। साथ ही 27 दिनों में कुरान हिफ़्ज़ कर लिया।
ठीक 2.38 बजे कुल शरीफ की रस्म शुरू हुई। फातिहा कारी अमानत रसूल और कारी रिज़वान ने, शिज़रा मौलाना शीरान रज़ा खान तथा ख़ुसूसी दुआ मुफ़्ती अहसन मियां और मौलाना हस्सान रज़ा खान ने की। कुल शरीफ के बाद ज़ोहर की नमाज़ मुफ्ती अहसन मियां ने अदा कराई।
इस मौके पर खानदान ए आला हज़रत के अल्लामा तौसीफ रज़ा खान, खानकाह ए तहसिनिया के सज्जादानशीन हस्सान रज़ा खान, मौलाना सिराज रज़ा खान, मौलाना शीरान रज़ा खान, मौलाना फैज़ रज़ा खान, मुफ्ती आकिल रज़वी, मुफ़्ती कफील हाशमी, मुफ़्ती अफरोज़ आलम, मुफ्ती बशीर क़ादरी, मौलाना ज़ाहिद रज़ा, कारी अब्दुर्रहमान क़ादरी, मौलाना डॉक्टर एजाज़ अंजुम आदि मौजूद रहे।
उर्स का लाइव ऑडियो प्रसारण आईटी हेड ज़ुबैर रज़ा खान ने किया। अमेरिका, इंग्लैंड, फ्रांस, सऊदी अरब, दुबई, ऑस्टेलिया, साउथ अफ्रीका, मारीशस, पाकिस्तान, नेपाल, श्रीलंका, हालैंड, नार्वे, इराक, मिस्र समेत पूरी दुनिया में लोगों ने लाइव उर्स को सुना।
दरगाह आला हज़रत के मीडिया प्रभारी नासिर कुरैशी ने बताया कि उर्स की व्यवस्था राशिद अली खान, हाजी जावेद खान, शाहिद नूरी, अजमल नूरी, नासिर कुरैशी, परवेज़ नूरी, औररंगज़ेब नूरी, ताहिर अल्वी, मंज़ूर खान, तारिक सईद, शान रज़ा, आसिफ रज़ा, सय्यद जुनैद, यूनुस साबरी, गौहर खान, फ़ारूक़ खान, हाजी शकील, आरिफ रज़ा,शारिक उल्लाह खान, सुहैल खान, एडवोकेट काशिफ, साजिद नूरी, रईस रज़ा, शारिक बरकाती, अमान खान, लाल यार खान, वासिफ मिर्ज़ा, जुनैद मिर्ज़ा, इशरत नूरी, जावेद रज़ा, आसिफ रज़ा, मोहसिन रज़ा, सय्यद माजिद, अश्मीर रज़ा, आलेनबी, काशिफ सुब्हानी,ज़ोहिब रज़ा, हाजी शारिक नूरी, अब्दुल वाजिद, सय्यद मुदस्सिर अली, शारिक बरकाती, नईम नूरी, इरशाद रज़ा, जावेद रज़ा, मुस्तकीम नूरी, सबलू रज़ा, आसिफ नूरी, इशरत नूरी, हाजी अब्बास नूरी, ज़हीर खान आदि ने संभाली।
1-उर्स ए रज़वी को दुनिया भर के 25 लाख से ज्यादा अकीदतमंदों ने अपने घरों/मस्जिदों के लाउडस्पीकर और कार्यालयों में ऑलाइन सुना।
2-सर्वर डाउन न हो इसके लिए पांच वेबसाइट्स (www.aalahazrat.in, wwww.ala-hazrat.com, www.markaznews.com, www.alahazrat.org और www.aalahazrat.org) पर किया गया लाइव आडिय़ो प्रसारण।
3-वेबसाइट्स क्रेश न हो इसके लिए दिल्ली स्थित सर्वर और वेबसाइट्स प्रोवाइडर कंपनी के सीईओ भी सीधे संपर्क में रहे।
4-दूसरे देशों के जो मुकर्रिर कोविड-19 के कारण नहीं आ सके, उन्होंने अपने घर से ही इस्लामिया ग्राउंड के लाइव कार्यक्रम से जुड़कर खिताब किया।
5-उर्स के लाइव प्रसारण की जिम्मेदारी नबीरा ए उस्तादे ज़मन व शहज़ादा ए उवैस ए मिल्लत ने निभाई।
6-उर्स से रज़वी के प्रोग्राम में नबीरा ए उस्तादे ज़मन व शहजादा ए शहजादा ए उवैस ए मिल्ल्त अनीस मियां और शोएब मियां ने भी शिरकत की।
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