Bareillylive : श्री राधा संकीर्तन मंडल ट्रस्ट रजिस्टर्ड बरेली द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा एवं विशाल ज्ञान यज्ञ समारोह में वृंदावन से पधारे आचार्य मृदुल कृष्ण गोस्वामी जी ने कल कपिल देवहुति संवाद का वर्णन किया। श्री राधा संकीर्तन मंडल ट्रस्ट रजिस्टर्ड बरेली द्वारा श्री कृष्ण कथा स्थल त्रिवटी नाथ मंदिर प्रांगण बरेली में श्री राधा संकीर्तन मण्डल ट्रस्ट (रजि), बरेली द्वारा आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के तृतीय दिवस की कथा में आचार्य मृदुल कृष्ण गोस्वामी जी महाराज ने तृष्णा के बारे में प्रकाश डालते हुए कहा कि तृष्णा तीन प्रकार की होती है – प्रथम प्रकार की तृष्णा, लोकेषणा होती है जो यह चाहती है कि सदैव हमारी जय-जयकार हो। द्वितीय प्रकार की तृष्णा, पुत्रेष्णा होती है जिसमें पुत्र प्राप्ति की कामना होती है। तृतीय प्रकार की तृष्णा वित्तेष्णा होती है जिसमें व्यक्ति को सदैव धन की कामना बनी रहती है। उन्होंने कहा कि बुद्धि अर्थात मति के भी चार प्रकार बताए गये हैं- प्रथम मति होती है जिसमें अपना कार्य अवश्य बने परंतु दूसरे का कार्य बने या न बने ऐसी भावना होती है। दूसरी सुमति होती है जिसमें अपना भी कार्य बने और दूसरों का भी कार्य बनना चाहिए, ऐसी कामना होती है। इसमें सर्व कल्याण की भावना होती है। तीसरी महामति होती है जिसमें हमारा कार्य चाहे भले बिगड़ जाए परंतु दूसरे का कार्य प्रभु के द्वारा अवश्य बनना चाहिए। चौथी मंदमति होती है इसमें अपना कार्य यदि बिगड़ जाये तो दूसरे का भी कार्य नहीं बनना चाहिए।
महाराज श्री ने बिहारी जी महाराज के श्याम वर्ण के बारे में बताया कि प्रभु बिहारी जी महाराज कहते हैं कि जब भक्त मेरे मंदिर में मेरे दर्शन के लिए आते हैं तो मैं जीवों के अर्जित पापों का समूल नाश करता हूं, इसलिए मेरा रंग काला दिखता है। ईश्वर का आकार, साकार भी है व निराकार भी है तथा भक्तों की भावना के अनुरूप ईश्वर तदाकार हो जाता है। ताली के महत्व को समझाते हुए उन्होंने कहा कि जब भक्त भगवान के कीर्तन-भजन में नृत्य करते हुए ताली बजाता है तो उसे प्रसन्नता व संपन्नता प्राप्त होती है और मन प्रसन्न होकर उत्तम स्वास्थ्य भी प्राप्त होता है। भगवान जगन्नाथ की महिमा के बारे में महाराज श्री ने बताया कि जो एक बार जगन्नाथ भगवान के दर्शन के लिए आता है उसे जगन्नाथ भगवान दर्शन के लिये तीन बार अवश्य ही बुलाते हैं। भगवान जगन्नाथ और भगवान राम में कोई फर्क नहीं है। काष्ठ विग्रह में विराजमान भगवान जगन्नाथ, बलभद्र जी और सुभद्रा जी, साक्षात् भगवान राम, श्री लक्ष्मण जी और माता जानकी जी हैं। आज के प्रसंग में भीष्म पितामह प्रसंग, परीक्षित जन्म कथा, परीक्षित – कलयुग संवाद, परीक्षित श्राप तथा ध्रुव चरित्र की कथा का वर्णन किया। तुम ही मेरे और सब पराये, काम पड़ा तो तुम ही काम आये, कोई कहे गोविंद कोई गोपाला मैं तो कहूं सांवरिया बांसुरी वाला, ना मैं मीरा ना मैं राधा फिर भी श्याम को पाना है जैसे सुमधुर भजनों को सुनकर सभी श्रोतागण मंत्रमुग्ध होकर नृत्य करने लगे तथा राधे राधे के जयकारे से सम्पूर्ण कथा पंडाल गूंज उठा। आज की कथा में भगवान नारायण एवं ध्रुव महाराज की झांकी भी शोभायमान रही। आज की कथा में अध्यक्ष हरीश अग्रवाल, कथा संयोजक विकास अग्रवाल, यजमान गिरीश कुमार अग्रवाल, अरविंद कुमार अग्रवाल, सीमा अग्रवाल, संजय शर्मा, शिवानी शर्मा, अनूप कुमार अग्रवाल, शुभ अग्रवाल, आशीष अग्रवाल, अनूप अग्रवाल, कीर्ति सिंह, विनीत शर्मा, रश्मि अग्रवाल, शशी रानी अग्रवाल, शिल्पी अग्रवाल, अक्षित, राजेश अग्रवाल, मोहित कपूर, रवि अग्रवाल गट्टूमल, आशुतोष गोयल एवं भारी संख्या में नाथ नगरी वासी उपस्थित रहे।