वाशिंगटन डीसी। @BareillyLive. आर्ट आफ लिविंग के बैनर तले तीन दिवसीय विश्व संस्कृति महोत्सव 2023 दक्षिण एशिया, लैटिन अमेरिका और कैरेबियाई द्वीपों के जीवंत प्रदर्शनों के साथ सम्पन्न हुआ। साथ ही कई अन्तरधार्मिक नेताओं ने मंच पर अपने अनूठे तरीकों से वैश्विक शांति के लिए प्रार्थना की। नफरत और कट्टरता से ऊपर उठने का आह्वान किया। इन तीन दिनों में, 180 देशों के दस लाख से अधिक लोगों ने अपनेपन और भाईचारे का संदेश दिया। साथ ही वाशिंगटन डीसी के प्रतिष्ठित नेशनल मॉल में, मानवता की एक ऐतिहासिक सभा में नृत्य, संगीत, ध्यान और संस्कृति के माध्यम से मानव विविधता का जश्न मनाया।
आर्ट ऑफ लिविंग के कम्युनिकेशन सेण्टर के स्टेट कोआर्डिनेटन पार्थो कुनार के अनुसार आयोजन में 180 देशों ने भाग लिया। साथ ही 10 लाख के बीच दुनिया भर से 51 सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी गयीं। कार्यक्रम को 50 गणमान्य अतिथियों ने संबोधित किया। इसके अलावा 1000 योग प्रेमी लिंकन मेमोरियल में गुरुदेव के साथ योग, श्वास और ध्यान सत्र के लिए एकत्र हुए। 10 हजार गरबा नर्तकों के साथ करीब 17 हजार कलाकारों ने वैश्विक एकता के लिए प्रदर्शन किया।
उत्सव के सबसे यादगार क्षणों में यूक्रेनी दल के भावपूर्ण पाठ के बाद गुरुदेव श्रीश्री रविशंकर के नेतृत्व में यूक्रेन के लोगों के लिए प्रार्थना की गयी। स्किप मार्ले (प्रसिद्ध बॉब मार्ले के पोते) के प्रतिष्ठित वन लव के प्रदर्शन पर लोगों ने झूमते हुए झंडे लहराये। गो-गो बैंड के जीवंत प्रदर्शन ने लोगों को खुशी और जश्न में जीवंत धुनों पर थिरकने पर मजबूर कर दिया।
कोलंबिया के सांसद जुआन कार्लोस-टेरेस ने उपस्थित लोगों की जोरदार तालियां बटोरीं, जब उन्होंने कहा, “गुरुदेव, दुनिया में एक ऐसा देश है जिसे पूरी तरह आपका आभारी होना चाहिए – मेरा। क्योंकि आपने बोगोटा आने, हमारे राष्ट्रपति से मिलकर और फिर हवाना जाने का निर्णय लिया। आपने एफएआरसी के विद्रोहियों को अहिंसा के रास्ते पर चलने के लिए मना लिया।“
इस अवसर पर श्रीश्री रवि शंकर ने अपने संबोधन में कहा, कि हमारे भीतर अच्छाई निहित है, और इसे सामने आने की आवश्यकता है।यह तब आता है जब हमें एहसास होता है कि हम एक विश्व परिवार हैं।“
भारत के सांस्कृतिक कैनवास की एक झलक के रूप में इस महोत्सव में 5 भारतीय शास्त्रीय नृत्य कलाओं- भरतनाट्यम, कथक, ओडिसी, कुचिपुड़ी और मोहिनीअट्टम के माध्यम से ’पंचभूतम’ की प्रस्तुति की गई और सितार, वायलिन, वीणा, तबला, मृदंगम, बांसुरी, घंटम और 250 वाद्ययंत्र वादकों की सिम्फनी प्रस्तुत की गई। 10,000 लोगों के जोशीले गरबा प्रदर्शन, 200 कलाकारों के साथ जबरदस्त भांगड़ा, कश्मीरी लोक नृत्य और 200 चेंदा ढोलवादको ने सबका मन मोह लिया।
वैश्विक प्रदर्शनों में अफ्रीका, जापान, मध्य पूर्व, कैरेबियन द्वीप समूह, अर्जेंटीना, नेपाल, स्लाव देशों और मंगोलिया के मंत्रमुग्ध कर देने वाले नृत्य शामिल थे। इसमें 1,000 चीनी-अमेरिकी गायकों और नर्तकियों का शानदार समूह, पाकिस्तान का भावपूर्ण प्रदर्शन, लैटिन अमेरिकी नृत्य, श्रीलंकाई ड्रम और नृत्य और नेपाली सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ भी प्रदर्शित हुईं। मोहिनीअट्टम प्रदर्शन की कोरियोग्राफर बीना मोहन ने साझा किया, “यह जबरदस्त और बहुत सुंदर है। हमने इस अनुभव से सीखा।“
उल्लेखनीय उपस्थित लोगों में भारत के पूर्व राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविन्द,भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर, संयुक्त राष्ट्र के 8वें महासचिव महामहिम बान की मून, पूर्व लोकसभा अध्यक्ष श्रीमती सुमित्रा महाजन, यूएस सर्जन जनरल मा. डॉ. विवेक मूर्ति, डी.सी. मेयर म्यूरियल बोसेर, सांसद जापान श्री हकुबुन शिमोमुरा, एरिक सोल्हेम; पूर्व संयुक्त राष्ट्र उप महासचिव और यूएनईपी के कार्यकारी निदेशक, और अन्य राजनेता शामिल थे।
भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने कहा, “यह सभा एक शक्तिशाली पुष्टि का प्रतिनिधित्व करती है कि मानवता सभी विभाजनों से ऊपर है। हमें एक ऐसी दुनिया बनाने के लिए मिलकर काम करना चाहिए जहां शांति और सद्भाव बना रहे ।“
संयुक्त राष्ट्र के 8वें महासचिव बान की मून ने आगे कहा, “एकता एक विकल्प नहीं बल्कि एक आवश्यकता है। विश्व संस्कृति महोत्सव 2023 जैसे आयोजन हमें याद दिलाते हैं कि हम एक साझा नियति का हिस्सा हैं।“
वैश्विक शांति के प्रयासों के लिए एकता, करुणा और सामूहिक जिम्मेदारी का एक आम संदेश साझा करने के लिए, विविध पृष्ठभूमि के अंतरधार्मिक नेता उत्सव में एक साथ आए। धार्मिक नेताओं में यूएसए के सिख धर्म के प्रचारक भाई साहिब सतपाल सिंह खालसा, तथा पश्चिम गोलार्ध और सिख धर्म के मुख्य धार्मिक और आध्यात्मिक नेता- रब्बी शेरोन एनिसफेल्ड, हिब्रू कॉलेज के अध्यक्ष, और पारसी धर्म की नेत्री सौसन अबाडियन, अन्य गणमान्य अतिथियों में शामिल थे।
अपने ज्ञान को साझा करते हुए, भाई सतपाल सिंह खालसा ने कहा, “हमें उस सामान्य सूत्र को पहचानना चाहिए जो सीमाओं और विश्वासों से परे हम सभी को बांधता है। एकता और करुणा स्थायी शांति का मार्ग है।“