आंवला (बरेली)। चुनावी मौसम में नगर पालिका अधिशासी अधिकारी राजेश सक्सेना के निलम्बन से आंवला में राजनीति गर्मा गयी है। राजेश सक्सेना पर अनियमितताओं और गबन के आरोपों के दृष्टिगत शासन ने यह कार्रवाई की है। उनके खिलाफ चल रही टीएसी की जांच में नगर पंचायत विशारतगंज में 14वें वित्त आयोग में 32 लाख की हेराफेरी का दोषी पाया। इस पर उनको नगर विकास विभाग निदेशक डा. काजल ने तत्काल प्रभाव से निलम्बित करते हुए डीएम बरेली कार्यालय से सम्बद्ध कर दिया।

सपा नेता आबिद ने लगाये आय से अधिक सम्पत्ति के आरोप

पालिका के अधिशासी अधिकारी के निलम्बन पर पूर्व चेयरमैन व सपा नेता सैयद आबिद अली ने अपने तरकश से तीर छोड़ना शुरू कर दिया। उन्होंने पत्रकारों से बात करते हुए कहा है कि प्रदेश में भाजपा की सरकार आते ही तत्कालीन जिला उपाध्यक्ष संजीव सक्सेना ने सांठ-गांठ करते हुए पालिका में अपने रिश्तेदार राजेश सक्सेना की तैनाती करा दी। सुपरसीट के दौरान राजेश सक्सेना ने जमकर गोलमाल किया।

इसके बाद संजीव सक्सेना पालिका के चेयरमैन बन गये। आबिद अली ने मांग की कि पिछले सवा साल की भी राजेश सक्सेना व संजीव सक्सेना के संयुक्त कार्यकाल की भी जांच होनी चाहिए। साथ ही पालिकाध्यक्ष संजीव सक्सेना की आय से अधिक सम्पत्ति की जांच हो तो बडे़ घोटाले सामने आएंगे। कहा कि जिस व्यक्ति के पास सवा साल पहले साईकिल तक नहीं थी आज वह महंगी कारों में सफर करता है। उनमें पेट्रोल व डीजल पालिका का पड़ता है। पालिका के संविदा कर्मी संजीव सक्सेना व ईओं की गाड़ी पर ड्राईवर हैं तथा घरों पर काम करते हैं। वह निरन्तर अपने करीबियों व रिश्तेदारों को लाभ पहुंचा रहे हैं।

संजीव सक्सेना बोले- आबिद बताएं कि कहां से आयीं चार-चार कोठियां

अपने ऊपर लगाए गए आरोपों को निराधार बताते हुए चेयरमैन संजीव सक्सेना ने कहा कि उनके पास अपनी पैतृक कृषि भूमि व आय के अन्य साधन हैं। परन्तु आबिद अली बताएं कि कुछ सालों पहले वह खेतों में बकरियां चराने के साथ-साथ इतने बडे़ आदमी कैसे बन गये?

आज उनके पास अनेक मकान, कोठियां व बारात घर हैं। उनसे पालिका ने संविदा कर्मचारियें को अपने आवास पर कार्य कराने के ऐवज में लाखों की वसूली की थी। उनके समय में पालिका में भ्रष्टाचार चरम पर था हमने तो अब संविदा कर्मचारियें का वेतन भी उनके खाते में भेजने का काम किया है जबकि आबिद अली के जमाने में भयंकर गोलामाल होता था।

ज्ञातव्य हो कि पालिका में तैनात ईओ के खिलाफ सभासदों ने बोर्ड की बैठक में निंदा प्रस्ताव भी पारित किया था। साथ ही मण्डलायुक्त से मिलकर शिकायत सौंपी थी जिस पर टीएसी कमेटी ने जांच भी की थी।

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