नई दिल्ली। (Arnab Goswami relieved from Supreme Court) रिपब्लिक टीवी के एडिटर इन चीफ अर्णब गोस्वामी को सुप्रीम कोर्ट से एक बार फिर राहत मिल गई है। शीर्ष अदालत ने अर्णब को प्राप्त दंडात्मक कार्रवाई से संरक्षण को तीन सप्ताह के लिए बढ़ा दिया है। हालांकि अदालत ने मामले को सीबीआई को सौंपे जाने की उनकी मांग को खारिज कर दिया है। साथ ही उनके खिलाफ दर्ज पहली एफआईआर को छोड़कर अन्य सभी को रद्द कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है,“पत्रकारिता की आजादी बोलने और अभिव्यक्ति की आजादी का मूल आधार है।”
न्यायमूबर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और एमआर शाह की पीठ ने अर्णब गोस्वामी को शुरुआती प्राथमिकी निरस्त कराने के लिए सक्षम अदालत जाने को कहा। अर्णब गोस्वामी के खिलाफ सबसे पहले नागपुर में प्राथमिकी दर्ज की गई थी और बाद में इसे मुंबई ट्रांसफर किया गया था। बाद में उनके खिलाफ देश के अलग-अलग हिस्सों में प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी।
महाराष्ट्र के पालघर में भीड़ द्वारा दो साधुओं और उनके ड्राइवर की पीट-पीटकर हत्या के मामले पर एक समाचार शो में कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी के खिलाफ कथित अपमानजनक बयान को लेकर अर्णब गोस्वामी के खिलाफ प्राथमिकियां दर्ज कराई गई हैं।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने बीती 11 मई को निर्देश दिया था कि मुंबई पुलिस द्वारा दर्ज नई प्राथमिकी में अर्णब गोस्वामी के खिलाफ कोई निरोधक कार्रवाई नहीं होनी चाहिए। अदालत ने उनकी दोनों याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रखा था।
अर्णब गोस्वामी ने सुप्रीम कोर्ट में दावा किया था कि मुंबई पुलिस ने कथित मानहानि वाले बयानों के संबंध में दर्ज प्राथमिकी के सिलसिले में उनसे 12 घंटे से अधिक समय तक पूछताछ की थी और उनके खिलाफ मामले में जांच कर रहे दो अधिकारियों में से एक को कोविड-19 (कोरोना वायरस) के संक्रमण की पुष्टि हुई है।
महाराष्ट्र सरकार ने भी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई को दौरान आरोप लगाया कि अर्णब गोस्वामी शीर्ष अदालत द्वारा प्राप्त संरक्षण का दुरुपयोग कर रहे हैं और पुलिस को धमका रहे हैं।
अर्णब गोस्वामी की ओर से वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने सुनवाई के दौरान दलील दी थी कि पूरा मामला एक राजनीतक दल द्वारा एक पत्रकार को निशाना बनाने का है क्योंकि शिकायती एक पार्टी विशेष के सदस्य हैं।