सीजेएम ने 25-25 हजार रुपये के बंधपत्र और दो जमानती पेश होने पर ही सीएमओ को दी जमानत
विष्णु देव चाण्डक, बदायूं (BareillyLive.in): इलाहाबाद हाईकोर्ट से जारी वारंट के बाद सीजेएम नवनीत कुमार भारती ने सीएमओ डॉ. प्रदीप वार्ष्णेय को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए तो सीएमओ सकते में आ गए। सीएमओ ने खुद को कोर्ट में सरेंडर किया तो सीजेएम ने उनको कस्टडी में लेने के आदेश दिए। कई घंटे वह कस्टडी में रहे इसके बाद उनके अधिवक्ता की ओर से जमानत अर्जी दाखिल की गई। सीजेएम ने 25-25 हजार रुपये के बंधपत्र और दो जमानती पेश होने के बाद ही सीएमओ को रिहा करने के आदेश दिए।
कुछ माह पहले एएनएम की नियुक्ति के दौरान आरती यादव को आरक्षण के आधार पर भर्ती नहीं किया गया था। उनकी नियुक्ति न होने पर वह स्वास्थ्य विभाग की ओर से की गई भर्ती प्रक्रिया के खिलाफ हाईकोर्ट पहुंचीं और रिट दायर की। हाईकोर्ट में आरती यादव बनाम स्टेट आफ यूपी पर सुनवाई शुरू हुई तो हाईकोर्ट ने सीएमओ को हाईकोर्ट में पेश होने के आदेश दिए। मगर, सीएमओ अपना जवाब दाखिल करने के लिए हाईकोर्ट नहीं पहुंचे। इसके बाद हाईकोर्ट ने सीएमओ के खिलाफ वारंट जारी किए, पर सीएमओ हाजिर नहीं हुए।
CJM न्यायालय ने SSP को दिए थे गिरफ्तारी के आदेश
हाईकोर्ट ने लंबित सिविल मिस रिट पिटीशन आरती यादव बनाम स्टेट आफ यूपी में सीएमओ को तलब किया। बाद में जमानती वारंट का निष्पादन कराने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट के मेल पर प्राप्त आदेश के बाद सीजेएम नवनीत कुमार भारती ने गुरुवार को एसएसपी को आदेश दिए कि सोमवार को सीएमओ को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया जाए। सीजेएम के इस आदेश के बाद सीएमओ हरकत में आ गए। शुक्रवार को सीएमओ डॉ. प्रदीप वार्ष्णेय स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी और कर्मचारियों के साथ सीजेएम की अदालत में पहुंचे और अपने आपको सरेंडर किया।
25-25 हजार रुपया की जमानत दाखिल करने पर रिहा हुए. सीएमओ के सरेंडर के बाद सीजेएम ने कोर्ट मोहर्रिर को उन्हें कस्टडी में लेने का आदेश दिया। इसके बाद उन्हें कस्टडी में ले लिया गया। सीएमओ के अधिवक्ता ने जमानत की अर्जी दाखिल की जिसपर सुनवाई हुई। सीजेएम ने 25-25 हजार रुपये के दो जमानती व अंडरटेकिंग दाखिल करने पर रिहाई के आदेश दिए। इसके साथ ही हाईकोर्ट में नियत तिथि पर उन्हें हाजिर होने के निर्देश भी जारी किया।
सीएमओ कार्यालय के भरोसेमंद लोगों का दावा है कि कुछ महीने पहले मेरठ से तबादले पर आए बाबू ने ही एएनएम भर्ती प्रक्रिया में खेल किया था। उसी बाबू के पास कोर्ट के मामले देखने का चार्ज है। ऐसे में हाईकोर्ट से सम्मन और वारंट सीएमओ के खिलाफ आते रहे, मगर बाबू उन आदेशों को दबाता रहा। उसने सीएमओ की ओर से कोई जवाब नहीं भेजा। इसी वजह से सीएमओ को कई घंटे कस्टडी में रहना पड़ा।