बरेली। तीन तलाक से आजादी पर बरेली में भी खासी प्रतिक्रिया रही। अपने शहर में भी तलाक पीड़िताओं के हक में लड़ रहीं निदा खान समेत तमाम मुस्लिम महिलाओं ने आज के दिन को मुक्ति दिवस करार दिया है। महिलाओं ने इस कुप्रथा के खात्मे पर मिठाइयां बांटकर खुशियां मनायीं। हालांकि सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला बरेली के उलमाओं एवं मुस्लिम समाज के पुरुषों के गले नहीं उतर रहा है। आगे की एकराय बनाने के लिए उलमाओं ने बैठक बुलायी है, जिसमें वे इस फैसले पर चर्चा करेंगे। अलबत्ता वे इस फैसले को मुसलमानों की धार्मिक आजादी में दखल मान रहे हैं।
तीन तलाक के खिलाफ जंग लड़ रही निदा खान अपने शहर की तलाक पीड़िताओं का चेहरा बनी हैं। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा है कि तीन तलाक तो खत्म हो गया, अब हलाला के खिलाफ लड़ाई लड़ेंगी। निदा के अनुसार महिलाओं को इस फैसले से काफी सुकून मिलेगा।
एक अन्य तीन तलाक पीड़िता इंशा खान ने कहा कि मैं सुप्रीम कोर्ट के फैसले से खुश हूं। शौहर ने मुझे शादी के 10 महीने बाद तीन तलाक देकर सारे रिश्ते खत्म कर दिए थे। ससुराल से निकल निकाल दिया और मेरी जिंदगी बर्बाद कर दी। तलाक को लेकर शहर और ससुरालियों के सामने काफी रोई। उनसे वजह जानने की कोशिश की मगर वह नहीं माने। मुझे तलाक देने से पहले शारीरिक तकलीफ से गुजरना पड़ा। आज जब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मुझे काफी खुशी हुई है।
शहर काजी मौलाना असजद रजा कादरी ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट पर हमें पूरा भरोसा था। कोर्ट ने अपना फैसला रखा है। अब हम सरकार से अपनी बात रखेंगे।
खानकाहे नियाज़िया के प्रबंधक शब्बू मियां नियाजी के अनुसार ऐसे मामले उलमा के उपर ही छोड़ देने चाहिए। धर्म से जुड़े मामलों में सरकार और कानून का दखल सही नहीं है। अगर इनका गलत इस्तेमाल हो रहा है तो उसको रोकने के लिए सरकार को जरुर हस्तक्षेप करना चाहिए। आज कोर्ट ने तीन तलाक के मामले में दखल दी है। कल दूसरे मामलों में भी दखल दी जा सकती है। इससे बेचैनी का माहौल बढ़ेगा। यह धार्मिक स्वतंत्रता के ऊपर भी सवालिया निशान है।
समाजवादी पार्टी की महिला नेता डॉ. फरीदा सुल्ताना ने कहा कि तीन तलाक खत्म होने से मुस्लिम महिलाओं की स्थिति में सुधार होगा। महिलाओं के उत्पीड़न और शोषण पर रोक लगेगी। तीन तलाक से महिलाओं का शोषण किया जा रहा था। सुप्रीम कोर्ट का फैसला स्वागत योग्य एवं देश हित में है।
केन्द्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी की बहन और समाजसेवी फरहत नकवी के अनुसार सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर तलाक पीड़िताओं को राहत मिली है। अब सरकार को कानून बनाकर तीन तलाक मामले में अपना फैसला देना होगा। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद मोहल्ला गढ़िया स्थित आवास पर मिठाइयां बांटीं। बता दें कि फरहत नकवी को भी उनके शौहर ने तलाक दिया था, इसके बाद से ही इस मुहिम में लग गईं। उनका कहना है कि कुरीतियों के खिलाफ जंग जारी रहेगी।
अधिवक्ता मुहम्मद ख़ालिद जीलानी ने कहा कि भारत जैसे विश्व के महान प्रजातंत्र में जहाँ पच्चीस करोड़ मुस्लिम रहते हैं। उनके धार्मिक और अत्यंत निजी मामलों में सरकार या कोर्ट का दख़ल ठीक नहीं।