बरेली @BareillyLive. बरेली बार एसोसिएशन का चुनाव प्रचार आज अंतिम दौर में है। सभी प्रत्याशी अपनी अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए सभी हथकण्डे अपना रहे हैं। कहीं चाय-काफी, समोसा तो कहीं सब्जी-पूड़ी मतदाताओं को खिलाकर रिझाने का दौर विगत कई दिनों से चल रहा है। चुनाव के अंतिम दौर में तो समीकरण उलटफेर करने को प्रत्याशियों ने लंच-डिनर (वेज-नॉनवेज) से आगे तक की पार्टियां देकर माहौल को गरमा दिया है किन्तु ये घमासान खासतौर पर अध्यक्ष और सचिव के पद हथियाने के लिए ही हो रहा है।
बरेली बार एसोसिएशन के चुनावी समर में इस बार 11 पदों के लिए 71 प्रत्याशी मैदान में हैं जिसमें अध्यक्ष पद के लिए छह, सचिव के लिए छह, वरिष्ठ उपाध्यक्ष के लिए पांच, उपाध्यक्ष के लिए आठ, कनिष्ठ उपाध्यक्ष के लिए चार, कोषाध्यक्ष के लिए तीन, संयुक्त सचिव (प्रशासन) के लिए चार, संयुक्त सचिव (प्रकाशन) के लिए छह, संयुक्त सचिव (पुस्तकालय) के लिए चार, प्रबंध कार्यकारिणी (वरिष्ठ) के छह पदों के लिए दस तथा प्रबंध कार्यकारिणी (कनिष्ठ) के छह पदों के लिए पन्द्रह प्रत्याशियों ने नामांकन कराया है।
इनमें सर्वाधिक महत्वपूर्ण पद अध्यक्ष और सचिव के हैं।अध्यक्ष पद के छह दावेदारों में मुकाबला वरिष्ठ अधिवक्ता एवं पूर्व में अध्यक्ष रह चुके अनिल द्विवेदी और पूर्व डीजीसी मनोज हरित के बीच ही माना जा रहा है। दोनों ही प्रत्याशी बड़ी शिद्दत से चुनाव लड़ रहे हैं और मतदाताओं को रिझाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। कल दिनभर मतदाताओं ने दोनों प्रबल दावेदारों के लंच व डिनर….पार्टियों का रसास्वादन किया। कुछ लोग जातिगत नजरिये से भी इसे देख रहे हैं, उनका मानना है कि अनिल द्विवेदी कद्दावर व व्यवहार कुशल हैं इसलिए उन्हें सभी बिरादरी व मुस्लिम मतदाताओं का प्रबल समर्थन है।
वहीं मनोज हरित गंभीर और रिजर्व नेचर के हैं। उनके पिता नानक हरित जो रिटायर्ड जज हैं,वे भी बेटे के समर्थन में लोगों से मुलाकातें कर रहे हैं। डीजीसी रह चुके मनोज कुमार हरित सभी के लिए जाना पहचाना चेहरा है और वकीलों के लिए कुछ नया करने का वादा कर रहे हैं। वहीं कुछ अधिवक्ताओं का यह भी मानना है कि जब वह डीजीसी थे तब उनका रवैया कुछ अलग ही था, इतनी जल्दी उनकी पुरानी छवि को भुला नहीं पाये हैं, किन्तु दोनों ही प्रत्याशी अपनी अपनी जीत के प्रति आश्वस्त हैं। इनके अतिरिक्त अरुण कुमार सक्सेना, धर्मेंद्र कुमार शर्मा, शशिकांत शर्मा और नरेश कुमार सिंह भी चुनावी मैदान में डटे हुए हैं।
इस चुनाव में सबसे दिलचस्प मुकाबला सचिव पद के दावेदार अंगन सिंह, दीनदयाल पाण्डेय, गौरव सिंह राठौर, संजय वर्मा, शंकर कुमार सक्सेना और निवर्तमान सचिव वीरेंद्र प्रसाद ध्यानी के मध्य है। सभी प्रत्याशी अपनी सामर्थ्य अनुसार जनबल और धनबल का इस्तेमाल कर साथी अधिवक्ताओं को रिझा रहे हैं। कुछेक प्रत्याशी तो चुनावी घोषणा के बाद से ही दिन से रात तक की पार्टियां देकर मतदाताओं को खुश करने में लगे हैं। उनका मानना है कि चुनाव जीतने के लिए ये जरूरी है। वहीं वीरेंद्र प्रसाद ध्यानी सचिव पद के एकमात्र ऐसे प्रत्याशी हैं जिन्होंने किसी को एक चाय भी नहीं पिलाई है। उनका कहना है यह विद्वान अधिवक्ताओं का चुनाव है। वह पार्टियां देकर चुनाव जीतने के लिए नहीं बल्कि अधिवक्ताओं के हितों की लड़ाई लड़कर उनके दिलों को जीतने के लिए मैदान में हैं। पहले भी वकील भाइयों ने उनको ऐसे ही अपना प्रतिनिधि चुना था और वे पुन: उनके एजेंडे को पूरा करने का मौका अवश्य देंगे।
तीसरा अहम मुकाबला कोषाध्यक्ष पद के लिए। इस पद के तीन दावेदार हैं अमित अवस्थी, पूर्व में इसी पद विजयी रहे जयपाल कश्यप और मंजू शर्मा हैं। तीनों ही प्रत्याशी कड़ी मेहनत कर रहे हैं फिर भी जयपाल कश्यप को उनके अनुभव और कार्यशैली के मद्देनजर प्रबल दावेदार माना जा रहा है। आज शाम चुनावी गहमागहमी समाप्त हो जायेगी और कल प्रातः मतदान के शुरू होने के बाद सारी अटकलें थम जायेंगी।
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