बरेली। रुहेलखंड विश्वविद्यालय के असिस्टेंट प्रोफ़ेसर डॉ आशुतोष प्रिय ने कहा कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने आज़ादी सन् 1945 में ही ले ली थी और 11 देशों ने उसको स्वतंत्र राष्ट्र का दर्जा भी दे दिया था। उन्होंने सिविल सर्विसेस की नौकरी छोड़कर देश की आज़ादी के लिए संघर्ष किया और आज़ाद हिंद फ़ौज बनायी। ये एक व्यक्ति के जीवन में तत्कालीन परिस्थितियों को देखते हुए महत्वपूर्ण उपलब्धि थी।
डॉ आशुतोष प्रिय नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तत्ववधान में आयोजित एक गोष्ठी में बोल रहे थे। गोष्ठी में डिग्री कॉलेज के विद्यार्थी उपस्थित रहे हैं जिन्होंने नेताजी के विषय में अपने विचार रखे।
संघ के महानगर प्रचारक विक्रांत ने कहा कि आज हमारे युवाओं के हीरो फ़िल्मी कलाकार बनते जा रहे हैं जबिक हमें अपने जीवन में नेताजी जैसे हीरो को आदर्श मानकर आगे बढ़ना चाहिए। ड़ॉ अतुल अग्रवाल ने कहा कि नेताजी बड़े जननायक थे। आजाद भारत की सरकारों ने हमें नेताजी के विषय में बहुत अधिक पढ़ने का मौक़ाही नहीं दिया। हमें विकृत इतिहास पढ़ाया गया है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद देते हुए कहा कि नेताजी की 125वीं जयंती को पराक्रम दिवस का नाम देकर उन्होंने देश का गौरव बढ़ाया है।
महानगर प्रचार प्रमुख आलोक प्रकाश ने कहा कि नेताजी सभी आयु वर्ग के लोगों के आदर्श हैं। युवाओं के आदर्श स्वामी विवेकानंद की तरह ही नेताजी सुभाष चंद्र बोस हमारे हृदय में बसते है। उन्होंने कहा कि पराक्रम दिवस पर विद्यार्थी यह संकल्प लें की वे नेताजी को अधिक से अधिक जानने का प्रयास करेंगे।
कार्यक्रम में विहिप के महानगर अध्यक्ष आशु अग्रवाल, विभाग संगठन मंत्री रामशंकर कौशिक, विशेष,अभिषेक,अरुण इत्यादि का विशेष सहयोग रहा।