बरेली। एसआरएमएस ट्रस्ट ने हिंदुस्तान की साझा विरासत को पुनर्जीवित करने और संजोने के उद्देश्य से रिद्धिमा मंच एवं ललित कला केंद्र की स्थापना की है। इसकी ओर से पहला आयोजन चित्रोत्सव एवं वसंतोत्सव के रूप में किया जा रहा है।

ट्रस्ट के सचिव आदित्य मूर्ति ने गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि हमारे प्रेरणास्रोत स्वतंत्रता सेनानी एवं पूर्व मंत्री स्वर्गीय राममूर्ति का भारतीय कला और संस्कृति की ओर विशेष झुकाव था। उन्हीं से प्रेरणा लेकर रिद्धिमा मंच एवं ललित कला केंद्र का बीती 8 फरवरी को लोकार्पण किया गया। कथक गुरु जितेंद्र महाराज, सुप्रसिद्ध शायर प्रोफेसर वसीम बरेलवी और शब्बू मिया ने इसे बरेली को समर्पित किया। यह केंद्र चुन्ना मियां और पंडित राधेश्याम कथावाचक द्वारा स्थापित गंगा-जमुनी तहजीब की विरासत को संजोए रखने में मील का पत्थर साबित होगा। इसके माध्यम से युवा पीढ़ी को अपनी साझा विरासत को जानने के साथ ही शास्त्रीय नृत्य, शास्त्रीय और सुगम संगीत, नाट्य कला, ललित कला एवं रंगमंच की बारीकियों को सीखने का भी मौका मिलेगा। इन विधाओं को संजोने और लोगों को इनसे परिचित कराने के लिए द्वारा समय-समय पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाएगा।

आदित्य मूर्ति ने कहा कि एसआरएमएस ट्रस्ट की ओर से ऋतुओं के अनुसार मनाए जाने वाले त्योहारों और संस्कृति से लोगों को परिचित कराने के लिए रिद्धिमा के सौजन्य से कार्यक्रम आयोजित किए जाते रहेंगे। दिल्ली और लखनऊ की तरह बरेली के नाट्य प्रेमियों के लिए अगले माह यानी मार्च में प्रत्येक शनिवार को नाटक का मंचन किया जाएगा। जिसमें ख्याति प्राप्त नाटक कारों द्वारा लिखे गए ड्रामा का मंचन होगा। इसके साथ ही हमारे हिंदुस्तानी वाद्ययंत्रों को भी संरक्षित किया जाएगा। उसके लिए बुलबुल तरंग, अलगोजा, गुबगुबा, झल्लरि, विचित्र वीणा, रुद्र वीणा, सुरबहार, दिलरुबा, पखावज, नाल तरंग, नागफनी, एकतारा जैसे 70 से ज्यादा वाद्ययंत्र देश के कोने-कोने से मंगवाए जा रहे हैं। मार्च में रिद्धिमा में इनके पहुंच जाने के साथ ही संग्रहालय स्थापित हो जाएगा।

रिद्धिमा मंच एवं ललित कला केंद्र की सेंटर हेड डॉ कविता अरोरा ने वसंतोत्सव और चित्रोत्सव की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने कहा कि दो दिवसीय चित्रोत्सव का आयोजन 26 फरवरी से होगा। राष्ट्रीय चित्रकला प्रतियोगिता के रूप में आयोजित इस चित्रोत्सव का विषय “फाल्गुन के रंग, जीवन के संग” रखा गया है। कनिष्ठ (18 वर्ष से 21 वर्ष) और वरिष्ठ वर्ग (22 वर्ष से 26 वर्ष) में विभाजित इस प्रतियोगिता में पांच नकद पुरस्कार प्रदान किए जाएंगे। प्रथम पुरस्कार 2500 रुपये का होगा। द्वितीय और तृतीय पुरस्कार के रूप में क्रमशः 1500 और 1000 रुपये की राशि विजयी प्रतियोगी को प्रदान की जाएगी। इसके साथ दो सांत्वना पुरस्कार 750 रुपये और 500 के दिए जाएंगे। डॉ अरोरा ने बताया कि वसंतोत्सव का आयोजन 27 फरवरी को होगा। इसमें देश के प्रसिद्ध घरानों से संस्थान में शामिल हुए गुरुजनों की प्रस्तुतियां होंगी। रिद्धिमा के गुरुजन भरतनाट्यम, कथक जैसे शास्त्रीय नृत्यों के साथ ही गायन और वादन की प्रस्तुति भी देंगे।

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