बरेली। साहित्यिक संस्था शब्दांगन के तत्वावधान में राजकीय पुस्तकालय पर आकाशवाणी की निदेशक मीनू खरे का उनकी सामाजिक एवं साहित्यक उपलब्धियों के लिए सारस्वत अभिनंदन किया गया। नीलम सक्सेना जायद, नीलिमा पाठक, डॉ किरन कैथवाल और प्रमिला सक्सेना ने मीनू खरे का सुनहरी एवं फूलों की माला और उत्तरीय से स्वागत किया। रमेश गौतम, इंद्र देव त्रिवेदी, डॉ अवनीश यादव, सुरेश बाबू मिश्रा और एसके अरोड़ा ने स्मृति चिन्ह और पेंटिंग भेंट की।

मोहन चंद्र पांडे मनुज और डॉ किरन कैथवाल की वाणी वंदना से कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। डॉ अवनीश यादव ने दोहा संग्रह ‘बादल फेंटे ताश’ की समीक्षा प्रस्तुत की और कहा कि नवगीतकार रमेश गौतम ने दोहों में नवगीत जैसा नवीन बिंब विधान करके उनको समयानुकूल बना दिया है। इससे उनकी प्रासंगिकता और सार्थकता समाज के अनुकूल बन गई। रमेश गौतम ने भी कई दोहे सुनाये। उनका यह दोहा खूब पसंद किया गया-

बहुत उलझनें साथ में, फिर भी नहीं उदास।
बच्चों की मुस्कान में, उत्सव रहते पास।।

मीनू खरे ने  कहा कि वे शब्दांगन द्वारा किए गए सम्मान से अभिभूत हैं। जिस साहित्य को समाज का आमजन समझ जाये और उससे अपनत्व मानने लगे, वही साहित्य सबसे अच्छा साहित्य माना जाता है।

इस अवसर पर नवगीतकार रमेश गौतम की दूसरी काव्य कृति ‘बादल फेंटे ताश’ का विमोचन भी हुआ।

कार्यक्रम में निर्भय सक्सेना, विनोद गुप्ता, गुरविंदर सिंह, विशाल शर्मा, रामप्रकाश सिंह ओज, डॉ दीपांकर गुप्ता, केएन दीक्षित, शमशेर बहादुर सक्सेना, मोहम्मद कासिम आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम का काव्यमयी संचालन महामंत्री इंद्र देव त्रिवेदी ने किया और सभी का आभार उपाध्यक्ष डॉ अवनीश यादव ने व्यक्त किया।

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