Bareillylive. फाजिल ए बरेली आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा खान के 104वें उर्स के दूसरे दिन इस्लामिया मैदान में सुबह आठ बजे अंतरराष्ट्रीय आपसी सौहार्द कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया। इसकी सदारत (अध्यक्षता) दरगाह प्रमुख हज़रत मौलाना सुब्हान रज़ा खान (सुब्हानी मियां) और सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन रज़ा क़ादरी (अहसन मियां) ने की। इसमें विश्व भर के चोटी के उलेमाओं ने भाग लिया। बता दें कि तीन दिनी उर्स में आला हजरत को खिराज़ पेश करने विश्व भर के लाखों ज़ायरीन समेत बड़ी संख्या में उलेमा बरेली पहुंच चुके हैं।
मीडिया प्रभारी नासिर कुरैशी ने बताया कि कॉन्फ्रेंस का आगाज़ कारी रिज़वान रज़ा ने तिलावत-ए-कुरान से किया। निज़ामत कारी यूसुफ रज़ा संम्भली हैं। कारी सखावत रज़वी ने देश भर से आये उलेमा व मस्जिदों के इमामों से अपील करते हुए कहा कि वो लोग जुमे की नमाज़ के खुतबे में आपसी सौहार्द को बढ़ावा देने, नफरत मिटाने और आपसी भाईचारा मज़बूत करने पर जोर दे। अपनी तकरीर में इस टॉपिक को शामिल करें।
सर तन से जुदा और दहशतगर्दी की इस्लाम में कोई जगह नहीं है।
वही मदरसा मंज़र-ए-इस्लाम के वरिष्ठ मुफ्ती सलीम नूरी ने इस्लाम और शांतिवाद और मानवतावाद पर खिताब करते हुए कहा कि मज़हब-ए-इस्लाम अमन और शांति का मज़हब है जिसमे सर तन से जुदा, खून-खराबा, लड़ाई झगड़ा और दहशतगर्दी की इस्लाम में कोई जगह नहीं है। मुस्लिम नवयुवकों के ऐसे किसी कार्यों से अपने आप को दूर रहने की ज़रूरत है। साथ ही उन्होंने नवयुवकों से नशाखोरी जैसी बुराई से दूर रहते हुए तालीम हासिल करने पर जोर दिया। मौलाना मुख्तार बहेड़वी ने सामाजिक बुराइयों, समाज सुधार, बढ़ती हिन्दू मुस्लिम दूरी के खात्मे पर अपील करते हुए कहा कि मुल्क और समाज के लिए इस दौर में नफरतों के खात्मे की ज़रूरत है।
इतिहास गवाह है मिलजुल कर रहने से ही हमारा मुल्क तरक़्क़ी कर सकता है। मौलाना इंतेज़ार रज़वी ने कहा कि अब वक्त की ज़रूरत है कि हिन्दू-मुस्लिम के बीच देश प्रेमियों को आगे आकर गठजोड़ बनाने के लिए अभियान की सख्त जरूरत है। कारी अब्दुर्रहमान खान क़ादरी ने कहा कि आज का नौजवान भड़काऊ, आपत्तिजनक सामग्री, भावनाओं को आहत करने वाली गैर कानूनी सामग्री को अपलोड न करे। साथ ही उन्होंने हुक़ूमत-ए-हिन्द से ऐसे लोग जो पैगम्बर मोहम्मद सल्ल0 व अन्य मज़हबों के रहनुमाओं के खिलाफ टिप्पणी करते हैं उनके लिए सख़्त कानून बनाने की मांग की।
संचालन करते हुए कारी यूसुफ रज़ा सम्भली ने सामाजिक बुराई जैसे महिलाओं के साथ होने वाली जुल्म ज़्यादती, बढ़ती दुष्कर्म की घटनाएं, आपसी लड़ाई झगड़े, सूद के कारोबार, शराब, ज़िना, नशाखोरी, शादियों में फुजूलखर्ची, डीजे ढोल बाजे, मुसलमानों के शिक्षा के क्षेत्र में पिछड़ेपन पर फिक्र ज़ाहिर करते हुए लोगों से एसी सामाजिक बुराइयों से दूर रहने का आव्हान करते हुए इस्लाम के अहकाम नमाज़ों की पाबंदी पर ज़ोर दिया।
कांफ्रेस दोपहर 12 बजे तक चली। इसके अलावा मौलाना आसिफ रज़ा उड़ीसा, अल्लामा हसन रज़ा पटनवी, मुफ़्ती आसिफ मंज़री (मॉरीशस), मुफ़्ती अब्दुल कादिर(मॉरीशस), कारी अलीम बरकाती(साउथ अफ्रीका), मौलाना फूल मोहम्मद नेमत बरकाती(नेपाल), मौलाना फुरकान फ़ैज़ी (नेपाल), मौलाना सबीरुल क़ादरी(बिहार), मौलाना साजिद(दिल्ली), सैफुल्लाह(कोलकाता), मुफ़्ती शमशुद्दीन, मुफ़्ती शहरयार(पूर्णिया) आदि ने भी खिताब किया।
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