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बरेली के पत्रकारों ने किए बाबा बर्फानी का दर्शन, जानिये कैसा रहा अनुभव

निर्भय सक्सेना, बरेलीः बालटाल में विराजित बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए अमरनाथ की वार्षिक 43 दिवसीय यात्रा 30 जून 2022 को अपने दोनों आधार शिविरों मध्य कश्मीर के गांदरबल में बालटाल मार्ग एवं दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग में नुनवान-पहलगाम मार्ग से शुरू हुई थी। यह पवित्र यात्रा आगामी 11 अगस्त को रक्षाबंधन के दिन संपन्न होगी। होगी। बरेली के पत्रकारों के एक दल ने बीती 4 जुलाई को बाबा बर्फानी के दर्शन किए। रोजाना 10 से 15 हजार श्रद्धालु बाबा बर्फानी के दर्शन को पहुंच रहे हैं। अधिकारिक सूत्रों ने बताया कि अब तक लगभग एक लाख से अधिक तीर्थयात्री बाबा बर्फानी के दर्शन कर चुके हैं।

यूपी जर्नलिस्ट एसोसियेशन (उपजा) बरेली के उपजा प्रेस क्लब से जुड़े पत्रकारों ने छायाकार पुत्तन सक्सेना, जो पूर्व में अमरनाथ यात्रा कर चुके थे, के अनुभव का लाभ उठाने कि लिए उनको अमरनाथ यात्रा की फॉर्म संबंधी औपचारिकताएं पूर्ण करने का दायित्व सौंपा। 1 जुलाई 2022 को पत्रकारों का दल जिसमें वरिष्ठ पत्रकार निर्भय सक्सेना, जितेंद्र वर्मा जीतू, महेश पटेल, अशोक शर्मा, पुत्तन सक्सेना, विवेक मिश्र के अलावा अंश मोहन, मनीष गुप्ता, गोविंद किशोर, अरुण कुमार, गोपाल आदि कुछ गैर पत्रकार साथी भी थे, बरेली जंक्शन रेलवे स्टेशन पहुंचा। यहां हिंदू संगठन ने इस दल का स्वागत किया। अजय शर्मा, गुरुवचन आदि ने पत्रकारों को पटका आदि देकर सम्मानित किया। इस बीच जाट एक्सप्रेस के खाफी विलम्ब से चलने की सूचना मिली। बाद में सूचना मिली की रामपुर में रेलपथ बाधित होने की वजह से यह ट्रेन बरेली नहीं आएगी बल्कि बरेली कैंट स्टेशन से वाया चंदौसी के रास्ते निकलेगी। इस पर सभी यात्री बरेली कैंट रेलवे स्टेशन पहुंचे और जाट एक्सप्रेस  पकड़ी। 2 जुलाई 2022 को जम्मू रेल स्टेशन के बाहर बने शिविर में अमरनाथ यात्रा की कागजी खानापूर्ति कर कार्ड बनवाए गये। रात्रि में जम्मू के एक होटल में विश्राम किया।

3 जुलाई को सुबह 7 बजे बालटाल के लिए मिनी बस से यात्रा शुरू की। शाम लगभग 8 बजे सामान की चेकिंग के बाद कुछ साथी दोगाम में बदायूं के कैम्प में पहुंच गए जबकि कुछ थके-हारे साथी निर्धारित स्थान पर नहीं पहुंच पाए और बालटाल के कैम्प में ही रात्रि विश्राम किया। सोमवार 4 जुलाई को सुबह 5 बजे बालटाल के बेस कैंप में चेकिंग के बाद 16.5 किलोमीटर की जटिल यात्रा शुरू हुई। युवा साथी तो तेजी से काफी आगे निकल गए पर 66 वर्ष उम्र होने की वजह से मेरी और पत्रकार साथी जितेंद्र वर्मा की सांस फूलने लगी। इस पर मेडिकल कैंप में ऑक्सीजन चेक कराई, ग्लूकोज का पानी पिया और बुराड़ी टॉप तक पैदल ही पहुंच गए। वहां से मैं और जितेंद्र घोड़े पर यात्रा कर शाम 7 बजे गुफा तक पहुंचे। अन्य साथी तब तक बाबा बर्फानी के दर्शन कर चुके थे। सभी ने टैंट में रात्रि विश्राम किया। मैंने, जितेंद्र वर्मा और अशोक शर्मा ने अगले दिन मंगलवार 5 जुलाई  को सुबह 5 बजे रिमझिम वर्षा के बीच बाबा बर्फानी के दर्शन किए और लौट कर टैंट में आ गए।

पूरे रास्ते में भोले के भक्तो के लिए लंगर की भरमार रही। दर्शन के बाद जब टैंट में 8 बजे वापस आए, तभी प्रसारण हुआ की वर्षा के कारण यात्रा रोक दी गई है। फिर 3 बजे सूचना मिली की दर्शन कर चुके यात्री बालटाल जा सकते हैं। इस पर सभी लोग बालटाल के लिए निकल पड़े और अगले दिन मध्य रात्रि में बालटाल कैम्प पहुंचे। क्योंकि सभी को 6 जुलाई को जम्मू से शाम 7 बजे की ट्रेन पकड़नी थी, इस कारण जल्द ही बस से जम्मू के लिए निकाल पड़े। रास्ते में बनिहाल से पहले कई घंटे का जाम लग गया और निर्धारित समय 7 बजे जम्मू नहीं पहुंचने पर कुछ साथी कटरा से माता वैष्णो देवी की यात्रा पर निकल गए। बाकी साथी जम्मू रेलवे स्टेशन आ गए जहां काफी देर विश्राम करना पड़ा। बरेली की ट्रेन नहीं होने पर कुछ साथी दिल्ली की ओर जाने वाली ट्रेन से रवाना हो गये। मैंने, जितेंद्र वर्मा आदि ने 6 जुलाई को जम्मू-गाजीपुर ट्रेन से वापसी की। ट्रेन का बरेली में ठहराव नहीं था, इस कारण मुरादाबाद में ही उतरना पड़ा।      

श्राइन बोर्ड की भूमिका  

अमरनाथ यात्रा की व्यवस्था श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड (एसएएसबी) द्वारा की जाती है  जिसे वर्ष 2000 में जम्मू-कश्मीर राज्य विधानमंडल के एक अधिनियम द्वारा गठित किया गया था। अधिनियम की धारा 16 के अनुसार श्राइन बोर्ड को निम्नलिखित भूमिका और जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं- पवित्र तीर्थस्थल में पूजा की उचित की व्यवस्था करना, निधियों, मूल्यवान वस्तुओं और गहनों की सुरक्षित अभिरक्षा तथा बोर्ड निधि के संरक्षण की व्यवस्था करना, धर्मस्थल और उसके आसपास के क्षेत्रों से संबंधित विकासात्मक गतिविधियां, वेतनभोगी कर्मचारियों को उपयुक्त परिलब्धियों के भुगतान की व्यवस्था, तीर्थयात्रियों को धार्मिक शिक्षा और सामान्य शिक्षा प्रदान करने के लिए उपयुक्त व्यवस्था, उपासकों और तीर्थयात्रियों के लाभ के लिए कार्य करना, तीर्थयात्रा पर आने वाले भक्तो के रहने की व्यवस्था,  साफ-सफाई, संचार सुविधा, चिकित्सा सुविधा।  

श्राइन बोर्ड के गठन के बाद भी घोड़ा, खच्चर, पालकी से यात्रा के लिए वर्ग विशेष पर निर्भरता बनी हुई है। इस कारण उनके रेट भी मनमाने हैं। बालटाल बेस कैंप से ऊपर जाने के लिए घोड़े वाले 4 हजार और पालकी वाले 10 हजार रुपये मांगते हैं। जरूरत इस बात की है कि इनकी मनमानी पर श्राइन बोर्ड अंकुश लगाए। कुछ सूत्रों ने बताया कि शासन में अभी भी वर्ग विशेष के अधिकारियों की भरमार है जिसके चलते घोड़ा, खच्चर के रेट निर्धारित होने में समस्या आ रही है।

gajendra tripathi

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