बरेली। जयनारायण सरस्वती विद्या मन्दिर इण्टर काॅलेज में वृन्दावन धाम से पधारे भागवत कथा मर्मज्ञ डाॅ0 सुरेश चन्द्र शास्त्री ने छात्रों को उनके कर्तव्यों का स्मरण कराते हुए माता-पिता, गुरु और राष्ट्र के प्रति सदैव कृतज्ञ रहने का संदेश दिया। संत श्री शास्त्री यहां छात्रों का मार्गदर्शन करने पधारे थे।
पूज्य संत ने कहा जीवन में आगे बढ़ने के लिए संयम, त्याग, परोपकार, सेवाभाव आदि महान गुणों का आत्मसात करना होगा सदैव सत्य का पालन, लक्ष्य और धर्म के प्रति सचेत रहते हुए स्वाध्याय करना होगा। ईश्वर को कहीं खोजने की आवश्यकता नहीं हैं वरन् माता-पिता और गुरु के रुप में वह प्रत्यक्ष ही है।उन्होंने बताया कि भारत ऋषियों, मुनियों, वीरों, विद्वानों और इससे भी पूर्व प्रेम और बन्धुत्व का देश है, इसीलिए जाति-पाति, द्वेष, घृणा आदि दर्गुणों का परित्याग कर सभी के प्रति बन्धुत्व भावना को जागृत करो। संत प्रवर ने विद्यालय प्रबंधन की मुक्त कंठ से प्रंशसा करते हुए छात्रों से कहा कि श्रेष्ठ गुणों को आत्मसात् करके श्रेष्ठ, अनुशासित और आदर्श बनने के लिए प्रयत्नशील रहे।
विद्यालय के प्रधानाचार्य बृजमोहन शर्मा ने पूज्य संत एंव साथ में पधारे अन्य विद्वानों का शाॅल ओढ़ाकर स्वागत किया। उन्होंने आगन्तुकों का आभार भी व्यक्त किया। कार्यक्रम मंे डाॅ0 गिरराज सिंह, डाॅ0 कैलाश चन्द्र पाठक, श्री देवशंकर मिश्रा, संदीप मिश्रा, तरुण शर्मा आदि समस्त शिक्षक उपस्थित रहे। संचालन डाॅ0 गोविन्द दीक्षित ने किया।