बदायूं @BareillyLive. बदायूं जिले के सहसवान के एक अस्पताल से नकली नोटों के संचालन करने वाले गिरोह का पर्दाफाश हुआ है। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल की कार्रवाई में 50 लाख रुपये के नकली नोट और नोट छापने का सेटअप भी बरामद हुआ है। इसमें एक अण्डर ट्रेनिंग डॉक्टर और सीएससी संचालक समेत तीन लोगों को गिरफ्तार भी किया गया है। खास बात ये रही कि इस कार्रवाई के बारे में स्थानीय पुलिस को कोई जानकारी नहीं दी गयी। जैसे ही यह खबर लोगों में फैली, क्षेत्र में हड़कम्प मचा हुआ है।
यह जानकारी दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल ने एक्स पर ट्वीट करके दी। उसने अपने आधिकारिक एक्स हैंडिल पर लिखा है-बदायूँ, यूपी स्थित अंतरराज्यीय एफआईसीएन सिंडिकेट के 03 प्रमुख सदस्यों, जिनमें एक अंडर-ट्रेनिंग बीयूएमएस डॉक्टर और एक सीएससी सेंटर मालिक शामिल हैं, को स्पेशल सेल (एसडब्ल्यूआर) ने गिरफ्तार किया। अच्छी गुणवत्ता वाली एफआईसीएन राशि रु. संपूर्ण प्रिंटिंग सेट-अप सहित 50 लाख रुपये बरामद किये गये।
दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल टीम ने बदायूँ जिले के सहसवान के तीन लोगों को दिल्ली के अक्षरधाम मेट्रो स्टेशन के पास से गिरफ्तार किया। उनके खुलासे पर सहसवान में संचालित एक निजी अस्पताल में छापा मारकर नकली नोट छापने का सेटअप और कागज आदि बरामद किया। दिल्ली पुलिस के अनुसार इस कार्रवाई में 50 लाख रुपये के नकली नोट बरामद किए गये हैं।
आरोपियों में आसिफ अली, दानिश अली और सरताज खान शामिल हैं। ये तीनों बदायूँ जनपद के रहने वाले हैं। पुलिस ने तीनों के पास से नकली नोट और इन्हें बनाने का सेटअप जब्त कर लिया गया है। नकली नोटों का यह अवैध धंधा सहसवान नगर के चार नंबर चौकी पर स्थित मैक्स अस्पताल में तीसरी मंजिल पर चल रहा था। इसकी भनक आज तक किसी को नहीं लगी पुलिस को भी नहीं।
बताते हैं कि आरोपी पिछले 5 वर्षों से नकली नोटों के धंधे में थे और इन्होंने अबतक करीब 5 करोड़ रुपये के नकली नोट बाजार में खपा दिये हैं। उन्होंने नकली नोट छापने के लिए पूरा सेटअप बनाया हुआ था। यह गिरोह दिल्ली/एनसीआर, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पंजाब और अन्य क्षेत्रों में नकली नोटों को खपा रहा था।
आरोपियों में एक अंडर-ट्रेनिंग बीयूएमएस (बैचलर ऑफ यूनानी मेडिसिन्स एंड सर्जरी) की पढ़ाई करने वाला डॉक्टर और एक सीएससी केंद्र का मालिक है। इनके कब्जे से पचास लाख कीमत के 500 के नोट बरामद हुए हैं। आरोपियों को हिरासत में लेकर सहसवान में छापेमारी की तो वहां से कच्चा माल, उच्च गुणवत्ता वाले लैपटॉप, प्रिंटर और अन्य उपकरणों सहित नोट छापने वाले पूरे सेट-अप को बरामद कर मामले का खुलासा कर दिया है।
हैरत की बात है कि इस धंधे के बारे में मकान मालिक को भी कुछ पता नहीं पता था जबकि यह मकान अब से 5 महीने पहले किराये पर दिया गया था। आरोपियों ने बताया यह सहसवान क्षेत्र में चार नंबर चौकी के बराबर में एक निजी मैक्स अस्पताल में नकली नोट बनाते हैं। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने छापेमारी के दौरान कमरे से नकली नोट बनाने का सामान प्रिंटर लैपटॉप आदि बरामद हुआ नकली नोटों की गड्डिया भी मिली जिसे पुलिस ने जप्त कर ली है।
आरोपी आसिफ अली का जन्म 1996 में बदायूं के सहसवान में हुआ था। उनके पिता किसान और मां गृहिणी हैं। उसने 12वीं कक्षा तक पढ़ाई की। 2013 में 12वीं पास करने के बाद उसने बदायूं के उझानी में एक यूनानी चिकित्सा डॉक्टर के साथ काम करना शुरू किया। यहीं उसे दवाओं के बारे में पता लगा। 2016 में, उसने अपने पैतृक गांव में लोगों को दवाएं देना शुरू किया, लेकिन कमाई कम थी। इसके बाद उसने नोट छापने का काम शुरू कर दिया। पैसों की तंगी ने नोट छापने के कारोबार में हाथ आजमाने का हौसला दिया और तीनों लोग जुर्म की दुनिया में उतर गए।
-बदायूं से विष्णुदेव चाण्डक की रिपोर्ट
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