इससे पूर्व आध्यात्मिक गुरु श्रीश्री रविशंकर करीब छह बजे रुहेलखण्ड मेडिकल कॉलेज मैदान में आयोजित नाथ उत्सव में पहुंचे। उनके स्वागत के लिए उनके अनुयायी बड़ी संख्या में हाथों में आरती का थाल लिये कतार में खड़े थे। लेकिन वह पहुंचते ही सीधे उत्सव ग्राउण्ड पर पहुंच गये। वहां उन्होंने अपने अनुयायियों का अभिवादन एवं उपहार स्वीकार किये। इसके बाद पांच मिनट का ध्यान कराया।
ध्यान के बाद श्रीश्री रविशंकर ने सत्संग के दौरान कहा कि जीवन में सफलता लानी है तो निगेटिविटी को खत्म करें। सकारात्मक सोचें, सकारात्मक ही बोलें। यदि कोई अप्रिय घटना या बात हो जाये या कहना पड़े तो उसे न्यूनतम शब्दों में खत्म कर दें। उन्होंने कहा कि जीवन में कुछ बातें स्वयं अनुभव करनी ही चाहिए जबकि कुछ दूसरों से सुनकर मान लेनी चाहिए।
मान्यता का जिक्र करते हुए कहा कि श्रीराम का जन्म अयोध्या में हुआ था। यह बात मानी ही जानी चाहिए। अनुभव का सवाल नहीं है। हजारों सालों से राम के बारे में यही मान्यता है कि उनका जन्म अयोध्या में हुआ था। ऐसे में उसे किसी भी प्रकार से बदला नहीं जा सकता। उन्होंने कहा कि लोगों के जीवन में तनाव और चिन्ता बहुत है। इससे निगेटिविटी बढ़ती है। कहा कि आप लोग खिले रहें, मुस्कुराते रहे इसके लिए गुरु दक्षिणा के रूप में में अपनी चिन्ताएं मुझे दे दीजिए। आप चिन्ता नहीं, चिन्तन कीजिए। ध्यान करें, सकारात्मक चिन्तन करें, सफलता मिलेगी।
उन्होंने मन और विचारों के साथ ही शहर को साफ रखने पर जोर दिया। अपील की कि सभी लोग महीने में दो शनिवार और दो रविवार को तीन-तीन घण्टे हाथों में झाड़ू एवं सफाई के अन्य उपकरण लेकर घरों से निकलें। जहां नालियां चोक दिखें उन्हें खोलें। जब ऐसा करें तो शहर के मेयर को भी वहां बुला लें। यह अभियान चंद दिनों में ही आपके शहर को एकदम चमका देगा। बताया कि बंगलौर में ऐसा ही अभियान 2010 से चला रहे हैं। इसके बहुत ही चमत्कारी परिणाम मिले हैं।
इससे पूर्व श्रीश्री रविशंकर का स्वागत रुहेलखण्ड मेडिकल कॉलेज चेयरमैन डॉ. केशव अग्रवाल ने पगड़ी तो प्रबंध निदेशक डॉ. अशोक अग्रवाल ने चांदी का मुकुट पहनाकर किया। इसके अलावा महापौर उमेश गौतम, अशोका फोम के स्वामी अशोक अग्रवाल, डॉ. प्रमेन्द्र माहेश्वरी, डा. मोहित अग्रवाल समेत अनेक गणमान्य लोगों ने भी श्रीश्री को अंगवस्त्र और स्मृति चिन्ह भेंटकर स्वागत किया।
आयोजन में पार्थो कुनार, अजयवीर सिंह, नीता मूना, रोहित मूना, विशेष कुमार, पारुल चंद्रा, मुकेश कुमार, आलोक कोहरवाल समेत आर्ट आफ लिविंग के शिक्षकों का विशेष योगदान रहा। व्यवस्था में करीब 200 वॉलिण्टियर्स ने सहयोग किया।
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