शाहजहांपुर। शादी के जोड़े में सजी दुल्हन बरात का आने इंतजार कर रही थी, तभी अचानक ऐसी मनहूस खबर मिली कि पूरे घर में कोहराम मच गया। बहन की शादी वाले दिन जयमाला से चंद घंटे पहले भाई की सड़क हादसे में मौत हो गई। वह गांव से दूध लेकर बाइक से वापस आ रहा था। तभी रास्ते में उसकी बाइक सामने से आ रही दूसरी बाइक से टकरा गई।
खुटार क्षेत्र के गांव रघुनाथपुर निवासी साहब दयाल की बहन बसंती की मंगलवार को शादी थी। घर में शादी की तैयारियां चल रही थीं। शाम में करीब साढ़े छह बजे साहब दयाल हलवाई के लिए दूध लेने पास में ही खीरी क्षेत्र के गांव बेला पहाड़ा गया था। वहां से वापस आते समय रास्ते में सामने से आ रही बाइक से उसकी बाइक की भिड़ंत हो गई। हादसे में साहब दयाल, दूसरी बाइक पर सवार कमलेश निवासी मियांपुर कॉलोनी थाना मोहम्मदी खीरी व विश्वनाथ घायल हो गये। राहगीरों की सूचना पर तीनों के परिजन मौके पर पहुंचे। साहब दयाल को पीएचसी पर लाया गया। वहां से डॉक्टरों ने हालत को गंभीर देखते हुए उसको जिला अस्पताल रेफर कर दिया, लेकिन परिजन लखीमपुर खीरी के निजी अस्पताल में लेकर जा रहे थे। तभी रास्ते में उसने दम तोड़ दिया। वहीं घायल हुए कमलेश की भी मौत हो गई।
रात में हुई विदाई, सुबह उठी भाई की अर्थी
एक दिन पहले तक जिस रघुनाथपुर गांव में खुशी का माहौल था, वहां बुधवार को सन्नाटा सा पसरा हुआ था। रात गांव में जो हुआ, वैसा न यहां कभी पहले देखा और न ही सुना गया। साहब दयाल इकलौती बहन की शादी की तैयारी में जुटा था। नाते-रिश्तेदार सब आ चुके थे। इंतजार बरात आने का था। कोई कमी न रह जाए इसलिए सभी तैयारियों पर स्वयं नजर रख रहा था। ईश्वर से प्रार्थना कर रहा था कि सब सकुशल निपट जाए। बहन को वह हंसी खुशी विदा करे, पर ऐसा हो न सका। पल भर में परिवार की खुशियां बिखर गईं। रात में बहन की विदा हुई तो सुबह भाई की अर्थी घर से उठी। शादी के जोड़े में बिलखती बसंती को देख वहां मौजूद लोग भी आंसू न रोक सके। पति श्रवण कुमार उसे संभालने की कोशिश कर रहा था, लेकिन उसकी कोशिशें बेकार थीं। साहब दयाल को अंतिम विदाई देते समय हर शख्स रो पड़ा।
कमरे में रखवाया गया शव
हादसे की सूचना मिलते ही परिवार के लोग घटनास्थल पर पहुंच गये। करीब साढ़े सात बजे अस्पताल पहुंचने से पहले साहब दयाल की मौत हो गई। समझ नहीं आ रहा था कि क्या किया जाए। बड़े बुजुर्गों से राय लेकर शव घर लाया गया तो वहां चीख पुकार मच गई। किसी तरह उन्हें समझा बुझाकर शव को एक कमरे में रखवा दिया गया।
सादगी से निपटी रस्में
रात करीब साढ़े आठ बजे पीलीभीत के बिलसंडा क्षेत्र के मरौरी गांव निवासी श्रवण कुमार बरात लेकर पहुंच गये। उन्हें इस बारे में जानकारी दी गई। जिसके बाद अधिकांश बराती वापस हो गये। कुछ खास लोग रुके। जयमाल की जगह द्वारचार व फेरे के अलावा अन्य रस्में आनन फानन में पूरी की गईं। रात करीब 12 बजे बरात विदा कर दी गई। रात भर बसंती बेचैन रही। भाई की याद करके रोती रही। सुबह पांच बजे ही वह अपने पति के साथ घर पहुंची। भाई के शव से लिपटकर विलाप करती रही।
कौन करेगा बच्चों की परवरिश
तीन भाई व एक बहन में सबसे बड़ा साहब दयाल मजदूरी करता था। पिता मिश्रीलाल के निधन के बाद पत्नी, चार बच्चों के अलावा मां व सबसे छोटे भाई का भी वह ध्यान रखता था। मां कटोरी देवी व पत्नी मंजू देवी का हाल बेहाल था। कह रही थी कि अब परिवार का पालन पोषण कैसे होगा। साहब दयाल की तीन बेटी राधा देवी 8, शोभा 5 व साधना 4 वर्ष की है। जबकि सबसे छोटा बेटा लकी दो वर्ष का है। भाई सेवाराम व पिंटू भी मजूदरी करते हैं।
परिजनों ने नहीं कराया पोस्टमार्टम
एसओ संजय सिंह ने बताया कि राहगीरों ने फोन किया था, मौके पर 100 डायल गई थी। घायलों को परिजन वहीं से अस्पताल ले गये। उन्होंने शवों का पोस्टमार्टम भी नहीं कराया। इससे ज्यादा जानकारी नहीं है।