बरेली। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के पूर्व निदेशक और हार्ट केयर फाउंडेशन के प्रमुख पद्मश्री डॉ. केके अग्रवाल का सोमवार देर रात कोरोना संक्रमण के कारण निधन हो गया। उन्होंने जीवन के अंतिम दिनों में भी चिकित्सक होने का कर्तव्य नहीं छोड़ा। ऑक्सीज लगी होने के बावजूद वह वीडियो बनाकर रोगियों की काउंसिलिंग करते रहे। डॉ. केके अग्रवाल कई दिन से एम्स के ट्रॉमा सेंटर में भर्ती थे। तीन दिन पहले ही तबीयत बिगड़ने के चलते उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया था। उनके निधन से चिकित्सा जगत में शोक की लहर है। बरेली के चिकित्सकों ने भी डॉ. केके अग्रवाल के निधन पर शोक संवेदनाएं व्यक्त की हैं।
कौन थे हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. केके अग्रवाल
देश के प्रमुख हृदय रोग विशेषज्ञ और सर्जन केके अग्रवाल का सोमवार रात 11ः30 बजे निधन हो गया। कोरोना पॉजिटिव हो जाने के बाद भी उनके चेहरे पर एक शिकन नजर नहीं आ रही थी। यहां तक कि अस्पताल में भर्ती होने से पहले भी वो ऑनलाइन मरीजों की परेशानियां सुलझाते रहे। अस्पताल में भर्ती होने के बाद उनके मुंह पर ऑक्सीजन पाइप लगी हुई थी बावजूद वे मरीजों को सलाह देते रहे। अग्रवाल को साल 2010 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था।
बता दें कि दो महीने पहले ही डॉ. केके अग्रवाल ने वैक्सीन की दोनों खुराक भी ली थीं, लेकिन बीते माह वह संक्रमण की चपेट में आ गए। इसके बावजूद वह कोरोना संक्रमण की चपेट में आग गये। इसके बाद उन्हें एम्स के आईसीयू में भर्ती कराया गया था। केके अग्रवाल ने अपने ट्विटर अकाउंट पर बीते 28 अप्रैल को जानकारी दी थी कि वह कोरोना संक्रमित हैं।
हजारों लोगों का किया मुफ्त इलाज
डॉ. केके अग्रवाल के पिता मध्यप्रदेश के रहने वाले थे। उनके पिता दिल्ली में नौकरी करने आए थे। बताते हैं कि डॉक्टर अग्रवाल बचपन से ही सभी को साथ लेकर चलने के समर्थक थे। उन्होंने अपने इस गुणा को एक डॉक्टर के रूप में पेशेवर जीवन में भी नहीं छोड़ा। 62 वर्षीय डॉ. के के अग्रवाल एक नेकदिल इंसान थे। कोरोना संकट में उन्होंने हजारों लोगों की मदद की। आर्थिक रूप से कमजोर मरीजों का उन्होंने मुफ्त इलाज किया।
ये हैं डॉ. अग्रवाल की उपलब्धियां
डॉ. के.के. अग्रवाल भारत में दिल के दौरे के लिए स्ट्रेप्टोकिनेस थेरेपी (streptokinase therapy) इस्तेमाल करने वाले अग्रदूत थे। उन्होंने भारत में कलर डॉपलर इकोकार्डियोग्राफी की तकनीक की भी शुरूआत की। डॉ. अग्रवाल को 2005 मेडिकल कैटेगरी के सर्वोच्च पुरस्कार, डॉ बीसी रॉय पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। इसके बाद वर्ष 2010 में उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा डॉक्टर अग्रवाल ने विश्व हिंदी सम्मान, राष्ट्रीय विज्ञान संचार पुरस्कार, फिक्की हेल्थ केयर पर्सनालिटी ऑफ द ईयर, डॉक्टर डीएस मुंगेकर राष्ट्रीय आईएमए समेत कई अवॉर्ड्स हासिल किए। उन्होंने आधुनिक एलोपैथी के साथ प्राचीन वैदिक चिकित्सा, इकोकार्डियोग्राफी पर 6 टेक्स्ट बुक और राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मीडिया में उनके लेख भी प्रकाशित हुए। इसके अलावा उन्होंने मेडिकल साइंसेज पर कई किताबें लिखीं हैं।
इन्होंने व्यक्त किया शोक
डॉक्टर के के अगवाल के निधन से हम सभी को बहुत दुख है। एक अच्छे व्यक्ति और अच्छे डॉक्टर को हमने खो दिया। यह समय बेहद कठिन है। हम सभी डॉक्टर और पैरामेडिकल और सभी देशवासियों के लिए, समाज के लिए हम सभी को बेहद सावधानी रखनी चाहिए और सभी को कोविड-19 एप्रोप्रियेट व्यवहार अपनाना चाहिए।
-मेडिसिटी अस्पताल के निदेशक और क्रिटिकल केयर विशेषज्ञ डॉ. विमल भारद्वाज
भारतीय चिकित्सा जगत में डॉ. के.के. अग्रवाल का योगदन अविस्मरणीय है। अस्पताल में भर्ती होने से पहले भी वो ऑनलाइन मरीजों की परेशानियां सुलझाते रहे।उनके निधन से चिकित्सा जगत ने अपना एक अमूल्य रत्न खो दिया है। –आयुर्वेद चिकित्सा विशेषज्ञ डॉ. दिनेश विश्वास
प्रसिद्ध कार्डियोलॉजिस्ट और समाजसेवा में भी अग्रणी रहने वाले डॉ के के अग्रवाल के निधन से हुई क्षति की भरपाई असंभव है। मरीजों के प्रति डॉ के के अग्रवाल का समर्पण इस कदर था कि लोग कहा करते थे कि वो जिस मरीज के बिस्तर पर बैठ जाएं तो निश्चित रूप से गम्भीर से गम्भीर मरीज भी सही हो जाता था। भले ही मैं उनसे कभी नहीं मिला लेकिन हम जैसे हजारों लोगों के लिए डॉ के के अग्रवाल एक प्रेरणास्रोत रहे हैं।
फिजियोथेरेपिस्ट डॉ. गौरी शंकर शर्मा
बरेली लाइव परिवार की ओर से भी पद्मश्री डॉ. के.के. अग्रवाल को भावभीनी श्रद्धांजलि। ईश्वर उन्हें अपने श्रीचरणों में स्थान दें और चिकित्सा जगत के लोगों को डॉ. के.के. अग्रवाल के जीवन से प्रेरणा लेने के लिए प्रेरित करें।