बरेली। ऑल इंडिया कल्चरल एसोसिएशन एवं जिला समारोह समिति के संयुक्त तत्वावधान में संजय कम्युनिटी हॉल में 75वें स्वतंत्रता दिवस पर पांचाल महोत्सव मनाया गया। इसमें सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ कवि सम्मेलन एवं सम्मान समारोह का आयोजन वरिष्ठ रंगकर्मी, संस्था संस्थापक/राष्ट्रीय अध्यक्ष जेसी पालीवाल के संयोजन में हुआ। कवि सम्मेलन की अध्यक्षता वरिष्ठ कवि रणधीर प्रसाद गौड़ ‘धीर’ ने की। मुख्य अतिथि वरिष्ठ शायर विनय सागर जायसवाल रहे। कार्यक्रम का शुभारंभ मां शारदे की वंदना एवं नात से हुआ।

इस अवसर पर जेसी पालीवाल ने कहा कि स्वतंत्रता दिवस पर इस बार भी सांस्कृतिक एवं साहित्यिक क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान करने वाली विभूतियों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया है।

कवि सम्मेलन में कवियों ने स्वतंत्रता सेनानियों को नमन करते हुए ओजस्वी काव्यपाठ से समां बांधे रखा और रचनाओं से सद्भाव एवं सौहार्द्र का संदेश दिया।

संचालन करते हुए रोहित राकेश ने अपनी रचना इस प्रकार प्रस्तुत की-

 कभी न हिले वो बुनियाद चाहिए।

 वतन हमेशा ही आबाद चाहिए।।

रणधीर प्रसाद गौड़ ‘धीर’ ने अपनी रचना के माध्यम से कहा-

फहराएगा सकल विश्व में अपुन तिरंगा प्यारा रे।

यह जो अपना देश है भारत सारे जग से न्यारा रे।।

गीतकार उपमेंद्र सक्सेना एड. ने राष्ट्र के प्रति अपने गीत की कुछ पंक्तियाँ इस प्रकार कहीं-

जननी होती है जन्म-भूमि, उसके हित में क्या-क्या न किया

हम सबको अमृत मिल जाए, इसलिए गरल खुद यहां पिया

आजादी की बहती गंगा भागीरथ बनकर लाए हैं

भारत के वीर सपूतों ने अरियों के दिल दहलाए हैं।

विनय सागर जायसवाल ने कहा-

सुलग रही है मातृभूमि के सीने पर चिंगारी

आज उऋण होने की कर लें हम पूरी तैयारी।

डॉ शिव शंकर यजुर्वेदी ने अपने ओजस्वी गीत से समां बाँध दिया-

भारत मां के मंदिर की लौ, कभी न बुझने देंगे।

चाहे जो हो जाए तिरंगा, कभी न झुकने देंगे।।

डॉ राम शंकर शर्मा प्रेमी ने सुनाया-

हे मातृ-भू हमारी, हम तुझको सिर नवाएं।

तेरी पवित्र रज को मस्तक से हम लगाएं।।

रामधनी निर्मल ने अपनी रचना पढ़ते हुए कहा-

सद्भाव के दीप सब मिल जरइयो।

बतावो मीत कब रोवत को हसइयो।।

रितेश कुमार साहनी ने सुनाया-

 75 वर्ष हुए देश आजाद हुए

 अंतरात्मा भी हो आजाद अपनी

कवि बृजेंद्र अकिंचन ने सुनाया-

नमन के वचन से, भजन सदैव करो

पुण्यतीर्थ होती हैं शहीदों की समाधियां।

मनोज दीक्षित टिंकू ने कहा-

देश की खातिर दे गए, जो अपना बलिदान।

उन्हें नमन कर कीजिए, बारंबार प्रणाम।।

सत्यवती सिंह सत्या ने सुनाया-

ताक में है गद्दार लुटेरे कहीं चमन लुट जाए न।

वतन के पहरेदारों जागो कहीं वतन लुट जाए न।।

डॉ अदनान काशिफ़ ने सुनाया-

जात मजहब में और इलाकों में

आदमी बैठ गया है खानों में।

धर्मपाल सिंह चौहान ‘धर्म’ ने सुनाया-

सुखी रहे यह देश हमारा हम इसका सम्मान करें,

लहर-लहर लहराए तिरंगा सब मिलकर गुणगान करें।

कार्यक्रम में महबूब आलम,  गजल राज, उपमेंद्र सक्सेना, पवन कालरा, रामकुमार अफरोज,  राममूर्ति गौतम, निर्भय सक्सेना, असगर नसीमी, एस ए हुदा सोंटा, रश्मि वर्मा, ताबिश बरेलवी, मेवाराम पटेल, मसर्रत अली, मोहम्मद नबी, हरजीत कौर, नाहिद बेग, ज्योति शर्मा, राधा, महेंद्र कुमार वैश्य एवं चेतराम गंगवार आदि उपस्थित रहे। अंत में आभार जेसी पालीवाल ने व्यक्त किया।

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