सम्भल। सम्भल में कोर्ट के आदेश पर शाही जामा मस्जिद का सर्वे करने सर्वेक्षण दल के पहुंचने पर जमकर बवाल और पथराव हुआ। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े। इस घटना का वीडियो भी सामने आया है जिसमें दिख रहा है कि पुलिस और एसपी हेलमेट पहने नजर आ रहे हैं और दूसरी तरफ से पत्थरबाजी हो रही है। फिलहाल संभल में हालात तनावपूर्ण हैं। पुलिस अधीक्षक का कहना है कि बवाल करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।

बता दें कि वरिष्ठ अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन द्वारा सम्भल के सिविल जज की अदालत में मस्जिद के मंदिर होने का दावा करने वाली याचिका दायर करने के बाद, 19 नवंबर को स्थानीय पुलिस और मस्जिद की प्रबंधन समिति के सदस्यों की मौजूदगी में इसी तरह का सर्वेक्षण किया गया। इससे पहले 19 नवंबर को सम्भल जिले की चंदौसी स्थित सिविल जज सीनियर डिवीजन आदित्य सिंह की कोर्ट ने जामा मस्जिद के एडवोकेट कमिश्नर सर्वे का आदेश दिया था। कोर्ट के आदेश के बाद पहली बार मंगलवार को सर्वे करने के लिए टीम पहुंची थी।

कोर्ट के आदेश पर सम्भल की शाही जामा का सर्वे करने टीम पहुंची थी। टीम के दुबारा पहुंचने की सूचना पर भीड़ जुटनी शुरू हो गई थी। गुस्साई भीड़ ने सर्वे टीम के अंदर जाने के कुछ देर बाद ही उग्र रूप ले लिया और नारेबाजी करते हुए पथराव कर दिया। इस दौरान फायरिंग भी की गई। तनाव और बवाल को बढ़ते देखकर आसपास के जिलों से फोर्स मौके पहुंचे।

उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने संभल में शाही जामा मस्जिद का सर्वेक्षण करने के लिए एक सर्वेक्षण दल के पहुंचने पर पथराव की घटना पर कहा, “न्यायालय के आदेश का पालन करवाना ये सरकार और पुलिस प्रशासन की जिम्मेदारी है। उसका पालन करवाया जाएगा और जो न्यायालय के आदेश के अनुपालन में बाधा डालेंगे उसके खिलाफ कानूनन कार्रवाई होगी।

संभल डीएम राजेंद्र पैंसिया ने बताया, “सर्वे पूर्ण हो चुका है और सर्वेक्षण टीम को हमने सुरक्षित अपनी जगह पर पहुंचा दिया है। स्थिति नियंत्रण में है। जो भी शरारती तत्व हैं उन पर कठोर कार्रवाई की जाएगी और किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा।

एक स्थानीय अदालत के आदेश पर पिछले मंगलवार को जामा मस्जिद का सर्वेक्षण किया गया था जिसके बाद से संभल में पिछले कुछ दिनों से तनाव व्याप्त है। दरअसल स्थानीय अदालत में एक याचिका दाखिल करके दावा किया गया है कि उस स्थान पर हरिहर मंदिर था।

स्थानीय प्रशासन के अनुसार विवादित स्थल पर अदालत के आदेश के तहत एक ‘‘एडवोकेट कमिश्नर’’ ने दूसरी बार सर्वेक्षण कार्य सुबह सात बजे के आसपास शुरू किया और इस दौरान मौके पर भीड़ जमा होने लगी।

पुलिस अधीक्षक कृष्ण कुमार विश्नोई ने कहा, ‘‘ घटनास्थल के पास एकत्रित भीड़ में से कुछ उपद्रवी बाहर आए और उन्होंने पुलिस दल पर पथराव किया। पुलिस ने स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए हल्का बल प्रयोग किया और आंसू गैस के गोले दागे।’’

उन्होंने कहा कि पथराव करने वालों और उन्हें उकसाने वालों की पहचान की जाएगी और उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। जिला मजिस्ट्रेट राजेंद्र पेसिया ने कहा, ‘‘ कुछ उपद्रवियों ने पथराव किया लेकिन स्थिति अब शांतिपूर्ण है और सर्वेक्षण कार्य जारी है।’’ संभल में सर्वेक्षण स्थल के पास कथित तौर पर पुलिस पर पथराव करते युवाओं के वीडियो सार्वजनिक हुए हैं।

उच्चतम न्यायालय के अधिवक्ता एवं मामले में याचिकाकर्ता विष्णु शंकर जैन ने बताया था कि दीवानी न्यायाधीश (सीनियर डिवीजन) की अदालत ने जामा मस्जिद के सर्वेक्षण के लिये ‘एडवोकेट कमीशन’ गठित करने के निर्देश दिये। उन्होंने बताया था कि अदालत ने कहा है कि वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी सर्वेक्षण कराकर कमीशन के माध्यम से अदालत में रिपोर्ट दाखिल की जाए।

जैन ने पिछले मंगलवार को कहा था कि मस्जिद से संबंधित याचिका में केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार, मस्जिद समिति और संभल के जिला मजिस्ट्रेट को पक्षकार बनाया गया है। विष्णु शंकर जैन और उनके पिता हरि शंकर जैन ने ज्ञानवापी मस्जिद-काशी विश्वनाथ मंदिर विवाद सहित पूजा स्थलों से संबंधित कई मामलों में हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व किया है।

हिंदू पक्ष के स्थानीय वकील गोपाल शर्मा ने शुक्रवार को बताया कि अदालत में दाखिल उनकी याचिका में कहा गया है कि ‘‘बाबरनामा और आइन-ए-अकबरी किताब में इस बात का उल्लेख है कि जिस जगह पर आज जामा मस्जिद है वहां कभी हरिहर मंदिर हुआ करता था।’’

उन्होंने यह भी दावा किया कि मंदिर को मुगल सम्राट बाबर ने 1529 में ध्वस्त कराया था। समाजवादी पार्टी (सपा) के सांसद जिया उर रहमान बर्क ने इस घटनाक्रम पर आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा, ‘‘संभल की जामा मस्जिद ऐतिहासिक और बहुत पुरानी है। उच्चतम न्यायालय ने 1991 में एक आदेश में कहा था कि 1947 से जो भी धार्मिक स्थल जिस भी स्थिति में हैं, वे अपने स्थान पर बने रहेंगे।’’ इस मामले में अगली सुनवाई 29 जनवरी को होगी।

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