बरेली। ताजुश्शरीया के उर्स-ए-चेहल्लुम के कुलशरीफ के जलसे की शुरूआत उन्हीं की नात- ‘जिंदगी ये नहीं है किसी के लिए, जिंदगी है नबी के नबी के लिए। नासमझ मरते हैं जिंदगी के लिए, जीना मरना है सब कुछ नबी के लिए’, से की गई। इसे इस्लामिया इंटर कॉलेज मैदान पर नातख्वा सैयद कैफी अजहरी और मुजफ्फर रजा ने पढ़कर पूरे मजमे को बांध लिया।
ताजुश्शरीया हजरत अख्तर रजा खां (अजहरी मियां) के चेहल्लुम के कुल में शामिल होने के लिए अकीदतमंदों की भारी भीड़ उमड़ी। खचाखच भरे मैदान में दोपहर में जलसे की शुरुआत अजमेर शरीफ से आए कारी जमाल उद्दीन ने तिलावते कुरान से की। जलसा शहजादे ताजुश्शरीया मुफ्ती असजद रजा खां कादरी की सदारत और जमात के नायब सदर सलमान हसन कादरी की निगरानी में हुआ। इसमें तमाम उलमा ने ताजुश्शरीया की जिंदगी पर रोशनी डालते हुए उनके इल्म और शख्सियत पर चर्चा की। शाम छह बजे कुल शरीफ की रस्म अदा की गई। इसमें मुफ्ती अफजाल रजवी, मौलाना शहजाद आलम, कारी शर्फुद्दीन ने फातेहा पढ़ी। खुसूसी दुआ मुफ्ती असजद रजा खां कादरी ने की। निजामत कारी नाजिम रजा ने की।
इस दौरान कालपी शरीफ के सज्जादानशीन सैयद ग्यास मियां, अल्लामा जियाउल मुस्तफा, मुफ्त सलमान रजा खान, मौलाना हस्सान रजा खां, हाजी मंसूब रजा, हाजी बुरहान अली, फरहान रजा खां, हुस्साम रजा खां, मौलाना अदनान रजा कादरी, अल्लामा गुलाम मुस्तफा (रुदौलवी), मुफ्ती आफताब कासिम (डरबन), सांसद गुलाम रसूल बलयाबी सहित देश-विदेश के तमाम आलिम मौजूद रहे। सुबह कुरानख्वानी के बाद दिन भर मजार शरीफ पर जायरीन की हाजिरी का तांता लगा रहा। इस बीच चादरों के कई जुलूस भी मजार शरीफ पर पहुंचे।