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लॉकडाउन के बावजूद स्कूल बना रहे फीस जमा करने का दबाव, जेडी ने कहा-अनैतिक

BareillyLive. पूरा देश जहां कोरोना वायरस से जंग लड़ रहा है। पूरे भारत में लॉकडाउन है। बरेली में बीती 22 मार्च से क्या शहर और क्या गांव सभी जगह लॉकडाउन के चलते लोग घरों के अन्दर हैं। ऐसे में जब स्कूलों में भी 14 अप्रैल तक लॉकडाउन है, इसके बावजूद बरेली के कुछ स्कूलों को अगले सत्र की फीस 31 मार्च तक जमा कराने की पड़ी है। इस मुद्दे को युवा भाजपा नेता और समाजसेवी मनीष अग्रवाल ने प्रशासन तक पहुंचाया तो शिक्षा विभाग ने विज्ञप्ति जारी कर स्कूलों से फीस के अनैतिक दवाब न बनाने को कहा है।

बता दें कि मामला बरेली के बड़े स्कूल एसआर इण्टरनेशनल का है। बताते हैं कि स्कूल प्रबंधन ने अभिभावकों को बार-बार मैसेज कर 31 मार्च तक फीस अगले सत्र की फीस जमा करने को कहा। अभिभावकों ने वर्तमान परिस्थितियों में असमर्थता जतायी तो उन्हें प्रतिदिन के हिसाब से एक मोटी फाइन जमा करने की बात कही गयी।

ऐसे ही एक अभिभावक मोहित चौधरी ने बताया कि स्कूल प्रबंधन द्वारा फीस जमा न होने की स्थिति में 01 अप्रैल से शुरू होने वाली ऑनलाइन क्लासेज में बच्चों को शामिल न होने देने की बात कही। इस पर चिन्तित मोहित चौधरी ने भाजपा नेता मनीष अग्रवाल को समस्या की चर्चा की। मनीष ने आज सुबह ही इस मुद्दे की गंभीरता को समझते हुए अपर जिलाधिकारी शहर से इस बारे में बात की। उन्होंने छात्र एवं अभिभावक हित में इस मुद्दे को सुलझाने की गुजारिश की।

इस एडीएम ने मामले का तुरन्त संज्ञान लेते हुए संयुक्त शिक्षा निदेशक डॉ. प्रदीप कुमार से बात की। संयुक्त शिक्षा निदेशक इस मामले का तत्काल संज्ञान लेते हुए एक विज्ञप्ति जारी कर दी।

अभिभावक पर फीस वसूली का दबाव न बनाया जाये

उन्होंने विज्ञप्ति में कहा है कि वर्तमान में जब राष्ट्रीय स्तर से लेकर राज्य स्तर तक सभी संस्थाएं संकल्पबद्ध होकर कोरोना वायरस से लड़े के वचनबद्ध हैं, ऐसे में फीस वसूली के दबाव बनाना अनैतिक है। संयुक्त शिक्षा निदेशक ने कहा है कि इस संकट की घड़ी में सबको अपने स्तर से सहयोग करना पड़ेगा। अतः किसी भी भी अभिभावक पर 31 मार्च तक फीस वसूली का दबाव न बनाया जाये। उन्होंने इसके अनुपालन में शिक्षा विभाग से जुड़े सभी लोगों का सहयोग मांगा है।

बच्चे पढ़ेंगे तो फीस जमा करेंगे ही लेकिन यह दबाव अनुचित : मनीष अग्रवाल

इस बारे में मनीष अग्रवाल ने बताया कि जब अभिषेक ने मुझे समस्या बतायी तो मुझे हैरानी हुई कि वर्तमान हालात में कोई स्कूल प्रबंधन ऐसा कैसे कर सकता है? यह समस्या किसी एक अभिभावक की नहीं, बरेली के निजी स्कूलों में पढ़ने वाले अधिकतम बच्चों के पैरेण्ट्स की है। जब पैरेण्ट्स बच्चों को स्कूल में पढ़ायेंगे तो फीस तो जमा करेंगे ही। लेकिन इस तरह लॉकडाउन के दौर में ऐसा बनाना किसी भी सूरत में अनुचित ही है।

vandna

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