BareillyLive. आंवला। बरेली की तहसील आंवला की 150 साल पुरानी रामलीला कोरोना के ग्रहण के बीच आज 19 अक्टूबर से शुरू हो रही है। लेकिन इस वर्ष न कोई मेला लगेगा और न ही राजगद्दी शोभायात्रा निकाली जाएगी। साथ ही प्रति वर्ष 21 दिन चलने वाली रामलीला इस बार केवल 9 दिनों में सम्पन्न की जाएगी। दशहरे पर रावण दहन भी सांकेतिक रूप से किया जाएगा। फिलहाल रामलीला 19 अक्टूबर से शुरू हो रही है।
आंवला में श्रीरामलीला मेला दशहरा कमेटी के तत्वावधान बीते 150 सालों से पारंपरिक रुप से श्रीरामलीला का मंचन किया जाता रहा है। कमेटी के अध्यक्ष डा. नंदकिशोर मौर्य और महामंत्री वीरसिंह पाल ने बताया कि कोरोना के चलते सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन के अनुसार ही कमेटी ने निर्णय लिया है। बताया कि भगवान की लीला का मंचन मात्र 9 दिन ही कच्चा कटरा में पारंपरिक रूप से होगा तथा दशहरा पर सांकेतिक रूप से रावण के पुतले का दहन किया जाएगा। इस बार मेला नहीं लगेगा और भगवान की रामबारात और राजगद्दी की शोभायात्रा भी नहीं निकाली जाएगी।
इतिहासकार गिरिराज नंदन गुप्ता और वरिष्ठ पत्रकार राकेश मथुरिया का कहना है कि आंवला की रामलीला करीब 150 साल पुरानी है। पहले दुकानों के आगे बडे-बडे चबुतरे हुआ करते थे। आज भी अनेक पुरानी दुकानों के आगे इस प्रकार के चबूतरे हैं। करीब 150 साल पहले दुकानों के आगे इन चबूतरों पर मोहल्ला गंज में रामलीला का मंचन स्थानीय लोगों के सहयोग प्रारम्भ हुआ।
गिरिराज नन्दन बताते है कि करीब 70-80 साले पहले लाला रतनलाल गुप्ता, पं0 अवध बिहारी शर्मा, पं0 नवल बिहारी शर्मा, कैलाश नारायण, अयोध्या प्रसाद आदि स्वयं राम, लक्ष्मण, सीता, रावण, दशरथ हनुमान आदि के पात्रों को निभाते थे। धीरे-धीरे नगर के तीन प्रमुख स्थानों गंज त्रिपोलिया, पक्का कटरा व कच्चा कटरा बागबख्शी में अलग-अलग स्थानों पर रामलीलाओं के मंचन होने लगे।
बाद में सभी ने बैठक करके यह निर्णय लिया कि तीनों स्थानों पर अलग-अलग नाट्य कम्पनी लाने से बेहतर है एक ही कम्पनी द्वारा तीनों स्थानों पर निर्धारित दिनों के साथ रामलीला का मंचन कराया जाए। इसके बाद पिछले करीब 40-50 सालों से एक ही नाट्य कम्पनी के कलाकारों द्वारा तीनो स्थानों पर रामलीला का मंचन होता है। इसमें 9 दिन की रामलीला कच्चा कटरा में होती है। जिसमें दशहरा पर विशालकाय रावण के पुतले का दहन होता है। साथ ही तहसील क्षेत्र का सबसे बड़ा मेला लगता है।
इतिहासकार गिरीराज नंदन बताते हैं कि जमींदार मियां खानदान द्वारा कई दशकों पूर्व अपनी जमीन रामलीला के लिए दी गई है। आज भी 9 दिनों के लिए कच्चा कटरा में इस जमीन को खाली कराकर उसमें रामलीला का मंचन पारंपारिक रूप से किया जाता है।
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