कोरोना की मार : एक साल के उच्चतम स्तर के करीब बेरोजगारी

नई दिल्ली। कोरोना की दूसरी लहर न केवल इंसानी जिंदगी पर भारी पड़ रही है बल्कि रोजगार के अवसरों की भी बलि ले रही है। इसने 15 महीनों के अंदर ही दूसरी बार देश में रोजगार का संकट खड़ा कर दिया है। लॉकडाउन/कोरोना कर्फ्यू के कारण तमाम उद्योग-धंधे बंद हैं और जो चल भी रहे हैं, उनमें क्षमता का आधा उत्पादन भी नहीं हो पा रहा है। असंगठित क्षेत्र का हाल तो और भी बुरा है। ऐसे में बेरोजगारी एक बार फिर से एक साल के उच्चतम स्तर के करीब पहुंच गई है।

सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी ( सीएमआईई) की ओर से जारी रिपोर्ट के अनुसार, 16 मई को खत्म हुए सप्ताह के दौरान ग्रामीण बेरोजगारी बीते एक हफ्ते में दोगुनी बढ़कर 14.34% हो गई। इससे पिछले हफ्ते में ग्रामीण बेरोजगारी दर 7.29% थी। इस दौरान शहरी बेरोजगारी भी 11.72% से बढ़कर 14.71% पर पहुंच गई। वहीं, पिछले साल जून में ग्रामीण बेरोजगारी रिकॉर्ड 17.51%  पर पहुंच गई थी। गांवों में बेरोजगारी बढ़ने से 17 मई तक मनरेगा के तहत 4.88 करोड़ लोगों ने काम मांगा था। इनमें से 4.29 करोड़ लोगों का काम मिला लेकिन इनमें से 3.14 करोड़ लोग ही काम करने आए। इससे पता चलता है कि श्रमिक कोरोना संक्रमण के डर की वजह से इसके तहत काम करने नहीं आ रहे हैं। आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है कि बढ़ती बेरोजगारी से पार पाना आने वाले समय में भी मुश्किल होने वाला है क्योंकि दूसरी लहर से कंपनियों की वित्तीय स्थिति बहुत ही प्रभावित हुई है। वे अपने मौजूदा कर्मचारियों से काम तलाएंगी। नई नियुक्तियां बहुत ही कम संख्या में होने की उम्मीद है।

आधे से अधिक खाताधारकों ने पीएफ से धनराशि निकाली

कोरोना काल में नौकरी छूंटने की वजह से लाखों लोगों को घर चलाना मुश्किल हो रहा है। जरूरी खर्चों की भरपाई के लिए लोगो भविष्य निधि (पीएफ) खाते से निकासी का सहारा ले रहे हैं। इसकी वजह से एक अप्रैल 2020 से अब तक 3.5 करोड़ लोगों ने अपने पीएफ खाते से रुपये निकाले हैं। 3.5 करोड़ लोगों द्वारा निकासी का यह आंकड़ा कुल पीएफ खाताधारकों का आधे से भी अधिक है। वर्तमान में ईपीएफओ के लगभग 6 करोड़ खाताधारक हैं। इतना ही नहीं, एक अप्रैल 2020 से 12 मई 2021 तक 72 लाख कर्मचारियों ने कुल 18,500 करोड़ रुपये का नॉन रिफंडेबल कोविड-19 फंड (कोविड एडवांस) का लाभ उठाया है। रिपोर्ट के अनुसार, 3.5 करोड़ खाताधारकों ने कुल मिलाकर 1.25 लाख करोड़ रुपये निकाले हैं।

ईएमआई चूक करने के मामले 50% बढ़े

कोरोना की दूसरी लहर के बाद मई में ईएमआई नहीं भरने वालों की संख्या में करीब 50% की बढ़ोत्तरी हुई है। यह जानकारी एनबीएफसी की ओर से दी गई है। एनबीएफसी कंपनियों ने कहा कि कोरोना और लॉकडाउन के कारण वे कलेक्शन एजेंट घर नहीं भेज पा रही हैं। इससे ईएमआई चूक के मामले में बेतहाशा बढ़ोत्तरी हुई है। कंपनियों का कहना है कि स्थिति पिछले साल से काफी गंभीर है। कोरोना की लहर के कारण कई कलेक्शन एजेंटों की मौत हो गई है। बीते एक महीने में एनपीए खातों की संख्या 25%  बढ़ी है। इसके साथ ही चेक बाउंस के

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