दरगाह आला हजरत

बरेली। मुस्लिम समाज में व्याप्त कुप्रथाओं और शादी-विवाह में बढ़ती फिजूलखर्ची को रोकने के लिए गुरुवार को बड़ी पहल हुई। सुन्नी बरेलवी मसलक की सबसे बड़ी दरगाह में से एक आला हजरत से मुस्लिम बैंड-बाजा, डीजे और आतिशबाजी को लेकर बड़ा फैसला लिया गया। दरगाह के सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन रजा खां कादरी उर्फ अहसन मियां ने देश के तमाम सुन्नी बरेलवी मसलक से जुड़े मौलवी, काजी से कहा कि जिस शादी में बैंड-बाजा, डीजे और आतिशबाजी हो वहां निकाह न पढ़ाएं। गुजरात की आयशा का जिक्र करते हुए उलेमा से यह अपील की गई है। गौरतलब है कि पति की दहेज की बढ़ती मांग से परेशान आयशा ने नदी में कूदकर जान दे दी थी।

अहसन मियां ने कहा कि मजहब-ए-इस्लाम में सामाजिक बुराइयां बढ़ रही हैं। शादियों में बैंड-बाजा, ढोल-ताशा, डीजे, आतिशबाजी, नाच-गाना, दहेज की मांग जैसे रिवाज आम हो रहा है। देशभर के सभी काजी-मौलवियों से अपील की है कि जिन शादियों में बैंड-बाजा, डीजे और आतिशबाजी हो उनके निकाह हरगिज न पढ़ाएं।

अहसन मियां ने कहा है कि देखा जा रहा है कि शादी के नाम पर गैर शरई कामों को अंजाम दिया जा रहा है। लड़की वालों से दहेज की मांग की जा रही है जिसको किसी भी सूरत में सही नहीं ठहराया जा सकता। दहेज की नुमाइश पर भी रोक लगाई जाए। सज्जादानशीन ने कहा कि दहेज की मांग जैसी बुराई का उदाहरण हाल ही में गुजरात की आयशा के साथ हुआ हादसा है। दहेज की बिना पर गरीब लड़कियां घरों में बैठी हैं। अल्लाह के रसूल ने निकाह को आसान करने का हुक्म दिया। डीजे, ढोल-बाजे और आतिशबाजी इस्लाम में नाजायज और हराम है।

दरगाह आला हजरत के मीडिया प्रभारी नासिर क़ुरैशी ने बताया कि सज्जादानशीन की अपील को सोशल मीडिया के जरिए देश भर के उलेमा को भेजा जा रहा है। इस मसले पर काजी और मौलवियों की एक बैठक दरगाह पर बुलाई जाएगी। उलेमा, काजी और मौलवी देशभर में सज्जादानशीन का पैगाम उर्स की महफिल, जलसों और जुमे की नमाज में आम लोगों तक पहुंचाएं।

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