बरेली, 12 अप्रैल। नवरात्रों के छठे दिन माता कात्यायनी की अराधना मां भक्तों ने मनोयोग से की। मुगलवार की सुबह से ही देवी मन्दिरों में मां भक्तो का जनसैलाव देखा गया। मां कात्यायनी की एक कथा प्रचलित है। बताया जाता है कि एक बार कात्यायन ऋषि ने तप करके देवी को प्रसन्न कर वरदान मांगा कि आप मेरे कुल में पुत्री के रूप में जन्म ले।
मां प्रसन्न हुई और मां ने कात्यायन ऋषि की प्रशंसा के लिए अजन्मा स्वरूप त्याग कर ऋषि कुल में कन्या के रूप में जन्म लिया,इसी कारण देवी मां का नाम कात्यायनी पड़ा।
वैसे तो समान्यता पुत्री का गोत्र पिता के गोत्र से अधिक पति के गोत्र से चलता है लेकिन यहा तो देवी सदा सर्वदा के लिए पिता के गोत्र कात्यायन से जुड गई।
मान्यता है कि आज की रात्रि में जागरण और जप करने से साधक को सहज मां कात्यायन की कृपा का लाभ मिलता है। विद्वानों ने मां देवी की अर्चना के लिए मंत्र बताया ‘‘या देवी सर्वभुतेषु स्मृति रूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः’’ मां के इस मंत्र से पूजा करने वाले श्रद्वालुओं की मनोकामना पूर्ण होने के साथ साथ घर परिवार और समाज में शान्ति और स्मृद्वि की प्राप्ति होती है। मां कात्यायनी की पूजा के लिए साहूकारा स्थित नव दुर्गा मन्दिर प्राचीन दुर्गा मन्दिर, नेकपुर स्थिमत ललिता देवी मन्दिर, बदार्यू रीोड स्थित 84 देवी घन्टा मन्दिर, कालीबाडी स्थित मां काली देवी मन्दिर, धोपेश्वर नाथ स्थित मां दुर्गा मन्दिर सहित जनपद के समस्त देवी मन्दिरों में मां कात्यायनी की पूजा अर्चना की गई। दोपहर के समय क्षेत्रीय महिलाओं ने मन्दिरों में देवी गीत व छन्द गाकर पूरे वातावरण को भक्तिमय बना दिया।