लखनऊ।  उत्तर प्रदेश की जेलों में बंद अपराधियों के मौज-मस्ती करने व सजा काट रहे बदमाशों द्वारा जेल से ही आपराधिक गतिविधियों को अंजा देने की कई घटनाएं सामने आने के बाद योगी आदित्यनाथ सरकार ने जेलों की सुरक्षा-व्यवस्था मजबूत करने के लिए कई बड़े फैसले किये हैं। दिल्ली की तिहाड़ जेल  की तर्ज पर प्रदेश की जेलों में दोहरी जांच व्यवस्था लागू कराने के लिए 1300 पुलिसकर्मियों को प्रतिनियुक्ति पर कारागार विभाग को दिये जाने का निर्देश दिया गया है। हर दो माह में जेलकर्मियों के तबादले सुनिश्चित करने और हर मुलाकाती को सीसीटीवी कैमरे की नजर से गुजराने के भी निर्देश दिए गए हैं। मुख्यमंत्री ने अल्टीमेटम दिया है कि जेलों में सुधार छह माह के भीतर नजर आने चाहिए।

कारागार प्रशासन एवं सुधार विभाग की मंगलवार रात हुई बैठक में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्वयं जेलों की मौजूदा स्थिति और कामकाज की समीक्षा की। निर्देश दिया कि जेलों में दो स्तर पर सुरक्षा-व्यवस्था की जाए और सुरक्षा के लिए जिम्मेदार अधिकारियों की जवाबदेही भी तय की जाए। दरअसल, बीते दिनों महानिदेशक जेल आनंद कुमार ने शासन को प्रस्ताव भेजा था कि प्रदेश की 25 संवेदनशील जेलों के बाहरी हिस्से में जांच पुलिस द्वारा कराई जाए। इसके लिए 1300 पुलिसकर्मियों की मांग की गई थी। ये पुलिसकर्मी संबंधित जिले के एसएसपी/एसपी के अधीन रहेंगे और हर 45 दिनों में इनकी ड्यूटी बदलेगी। मुख्यमंत्री ने इस प्रस्ताव को अपनी मंजूरी दे दी है।

प्रदेश की पांच जेलों को हाई सिक्योरिटी जेलों में तब्दील करने के प्रस्ताव पर भी चर्चा की गई। निर्देश दिया गया कि जेलों के 150 मीटर दायरे में मोबाइल फोन सिग्नल न काम करें, इसके लिए समुचित प्रयास किए जाएं।  

मुख्यमंत्री ने कहा कि कहा कि जो जेलें शहर के बीच आ गई हैं, उनकी जमीनें बेशकीमती हो गई हैं। ऐसी जेलों को बेचकर शहर से 15-20 किलोमीटर दूर नई जेलें बनाई जाएं। जेलों की जमीनें बेचकर हासिल होने वाली रकम से अन्य जिलों में नई जेलें बनवाने व सुरक्षा संबंधी संसाधन जुटाने के लिए रकम भी मिल जाएगी। बैठक में प्रयागराज, श्रावस्ती, सिद्धार्थनगर, संतकबीरनगर और इटावा में निर्माणाधीन जेलों के काम की समीक्षा भी की गई।

मुख्यमंत्री ने कहा कि जिला निगरानी समिति की बैठक में हर माह जिलाधिकारी और जिला पुलिस कप्तान मिलकर जिला जज से वार्ता कर जेलों में ही न्यायिक अधिकारियों से सुनवाई सुनिश्चित कराएं। साथ ही कहा कि राजनीतिक मुकदमे उत्पीडऩ का जरिया बन गए हैं, ऐसे मुकदमों को समाप्त करने के कदम भी उठाये जाएं।

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