बरेली। दंपति हत्याकांड के खुलासे पर सत्संगी परिवार संतुष्ट नहीं हैं परिवार में खुलासे को लेकर पुलिस के प्रति नाराजगी हैं। रूपा सत्संगी के चरित्र पर आरोपी और पुलिस की ओर से गई टिप्पणी को लेकर सत्संगी परिवार ने जोरदार तरीके से सवाल उठा दिए हैं। उन्होंने पुलिस के खुलासे की कहानी को झूठा बताकर कहा कि अगर रूपा पति को मारना चाहतीं तो खुद मार सकती थीं, किसी को पांच लाख देने की क्या तुक थी। आरोपी के हड्डी टूटने के बाद भी इतनी यात्रा अकेले करने पर परिवार को संशय है।
खुलासे के बाद होटल में रुके नीरज सत्संगी के भाई संजय ने पुलिस की कार्यप्रणाली को संदिग्ध बताते हुए साफ कहा कि पूरा खुलासा मनगढ़ंत लग रहा है। सब जानते हैं कि 2004 में छत से गिरकर पैरालिसिस के शिकार हुए उनके भाई नीरज के इलाज और देखरेख में भाभी रूपा ने किस तरह जीवन गुजार दिया। अगर उन्हें कोई अनैतिक कदम उठाना था तो वह पंद्रह साल पहले ही उठा लेतीं, बुढ़ापे में ऐसा करने की तुक नहीं है। पति बेहद कमजोर थे, अगर चाहतीं तो उन्हें रूपा खुद भी मार सकती थीं, इसके लिए किसी को पांच लाख रुपये ऑफर करना भी समझ से परे है। सुपारी किलर को सामान्य तौर पर व्यक्ति तब बुलाता है जब वह मौके पर मौजूद न हो। अपने सामने पति की हत्या कराने का भी कोई लॉजिक समझ में नहीं आता। ये सब बातें भी मान लें तो हत्या करते समय खुद चीखकर पड़ोसियों को बुलाने की बात समझ नहीं आती। उन्हें तो यह भी शक है कि आरोपी की हड्डी छत से कूदने की वजह से नहीं बल्कि पिटाई से टूटी है।
क्यों बदनाम किया, अफसरों से मांगे परिवार ने जवाब
- संजय सत्संगी ने खुलासे की कहानी चैनलों पर चलने के बाद कई पुलिस अधिकारियों को कॉल की। उनसे पूछा कि देर रात और सुबह के वक्त उन्हें बुलाकर आरोपी से सामना कराया गया था। तब आरोपी जो बातें कह रहा था पुलिस उससे इंकार कर रही थी। बड़े अधिकारी कह रहे थे कि वे मीडिया के सामने केवल हत्यारोपी को पेश करेंगे। उसकी बताई संबंधों की कहानी की पहले प्रमाण के साथ तस्दीक की जाएगी फिर सार्वजनिक किया जाएगा। पुलिस ने उनसे वादाखिलाफी की है। इससे मृतकों की तो बदनामी हुई ही है, बेटा-बहू और पूरे परिवार को मुंह छिपाने की नौबत आ गई है। उनका कहना था कि बहुत सारे ऐसे सवाल हैं जिनके जवाब वह पुलिस से लेंगे। पुलिस संतुष्ट नहीं करेगी तो वह पीएमओ, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट भी जाएंगे पर हकीकत सामने लाकर रहेंगे। पुलिस किसके दबाव में केस को ये घुमाव दे रही है वह समझ नहीं पा रहे। मौके पर कोई गवाह नहीं था और मृतक अपने चरित्र पर लग रहे लांछन का जवाब देने आ नहीं सकते।
पड़ोसियों की नजर में तो सीता थीं रूपा
- पड़ोसियों को भी डबल मर्डर के खुलासे की कहानी हजम नहीं हो रही है। दोपहर बाद सत्संगी परिवार के कई पड़ोसी गली में खड़े होकर इसी बात पर चर्चा कर रहे थे। उन्हें जब रूपा के संबंधों और सुपारी देकर पति की हत्या कराने की बात पता लगी तो बिफर पड़े। पड़ोसी हरिस्वरूप शर्मा का कहना था कि रूपा ने पंद्रह साल बिस्तर पर पड़े पति की जिस कदर सेवा की वो दूसरी महिलाओं के लिए मिसाल है। उनकी नौकरी की पूरी पूंजी पति की बीमारी और बेटे की पढ़ाई पर खर्च हुई। कभी भी दंपति में झगड़े की आवाज उन लोगों ने नहीं सुनी तो इतना बड़ा इल्जाम लगाने से पहले सोचा जाता। मीना अरोड़ा का कहना था कि पड़ोसियों से रूपा का व्यवहार काफी अच्छा था। अनुराग को भी गलत तरीके से उनके घर में जाते या कोई हरकत करते कभी किसी ने नहीं देखा तो बात इतने आगे बढ़ने के बारे में वो लोग सोच भी नहीं पा रहे। एक पड़ोसिन ने कहा कि संबंध की बात मान भी ली जाए तो पति की हत्या कराने की सुपारी देना तो बहुत बड़ी बात है।
बैंक ने रूपा को बताया पाक-साफ, बेटे को दिया प्रमाणपत्र
- रूपा के बारे में खुलासे की कहानी सुनकर बेटा जतिन बहुत आहत था। कई दिनों से शहर में रहकर कागजी कार्रवाई पूरी करा रहे जतिन ने नियुक्ति स्थल सेंट्रल बैंक से भी मां के फंड व अन्य देय संबंधी कागजों के लिए आवेदन कर रखा था। बुधवार को कोहाड़ापीर ब्रांच ने यह प्रमाणपत्र जारी कर दिया। इसमें प्रबंधक की ओर से रूपा का कार्य व्यवहार और चरित्र बहुत अच्छा बताया गया है। लिखा है कि वे एक सम्मानीय और जिम्मेदार अधिकारी थीं। उनके खिलाफ आज तक कोई शिकायत नहीं थी। वे मेहनती थीं और टीम भावना से काम करने व कराने में यकीन रखती थीं। पूरा स्टाफ और बैंक कस्टमर उनके व्यवहार के कायल थे।
अमर उजाला साभार