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बरेली श्रीहरि मंदिर में लीला-द्रौपदी की करुण पुकार पर वस्त्रावतार श्रीकृष्ण ने बचायी लाज

बरेली। श्री राधा माधव संकीर्तन मंडल बरेली द्वारा श्रीहरि मन्दिर मॉडल टाउन में आयोजित रास लीला में शुक्रवार को सांयकालीन सत्र में अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त पूज्य स्वामी डा0 देवकी नन्दन जी महाराज द्वारा द्रोपदी चीर हरण लीला का मंचन किया गया। लीला में दिखलाया कि द्रोपदी पांचाल नरेश राजा द्रुपद की पुत्री थी इनकी उत्पत्ति यज्ञ वेदी से हुई थी, द्रोपदी का रुप, लावण्य अनुपम था। इनकी जैसी सुन्दरी उस समय पृथ्वी पर कोई नही थी।

द्रोपदी के शरीर से तुरन्त खिले कमल की सी सुगन्ध निकलकर एक कोस तक फैल जाती थी। इनके जन्म के समय आकाशवाणी हुर्द थी कि देवताओं का कार्य सिद्ध करने के लिए तथा क्षत्रियों का संहार करने के उद्देश्य से इस रमणी रत्न का जन्म हुआ है। इसके कारण कौरवो को बड़ा भय होगा। कृष्णवर्ण होने के कारण यह कृष्णा भी कहलाती थी। पूर्व जन्म में दिये गये भगवान शंकर के वरदान से इन्हें इस जन्म में पाँच पति प्राप्त हुये थे। अकेले अर्जुन के द्वारा स्वयंबर में जीते जाने पर भी माता कुन्ती की आज्ञा से यह पाँचों भाइयों को ब्याही गई थी।द्रोपदी उच्च कोटि की पतिव्रता एवं भगवत् भक्ता थीं।

द्रोपदी की भगवान श्रीकृष्ण के चरणों में अविचल प्रीति थी। यह उन्हें अपना रक्षक, हितैषी एवं परमआत्मीय मानने के साथ ही कृष्ण की सर्वव्यपाकता एवं सर्वशक्तिमता में भी इनका पूर्ण विश्वास था। जब कौरवों की सभा में दुष्ट दुशाःसन ने द्रोपदी का चीर हरण करना चाहा और सभासदों में से किसी ने नहीं रोका तो द्रोपदी ने अत्यन्त आतुर होकर भगवान श्रीकृष्ण को पुकारा। हे गोविन्द, हे द्वारिकावासी, हे सच्चिदानन्द रुप प्रेमधन, हे गोपीजन बल्लभ, हे सर्व शक्तिमान प्रभु मैं कौरवों से घिरकर बड़े संकट में हूँ तथा आपकी शरण में हूँ। कृपया मेरी रक्षा कीजिए। सच्चे हृदय की करुण पुकार भगवान बहुत जल्दी सुनते हैं।

कृष्ण ने वस्त्रावतार के रुप में द्रोपदी के वस्त्रों में छुपकर उसकी लाज बचाई जितना दुशाःसन साड़ी को खींचता था उतनी ही बढ़ती जाती थी। रासलीला के इस सजीव मंचन के द्वारा उपस्थित जनसमूह भगवत भक्ति एवं पातिवृत्य का अद्भुद चमत्कार देखकर गदगद हो गये। द्रोपदी द्वारा अपने लाज बचाने के लिए भगवान कृष्ण को पुकारने का दृश्य इतना मार्मिक था जिसे देखकर महिलाएं अश्रुपात करती रहीं तथा अन्य भक्तजन भी अपने आसुओं को नहीं रोक सके। इस लीला में केवल एक ही बात है जो प्रोत्साहित करती है और वह यह है कि कोई भी आश्रयहीन नहीं है, जगत का आश्रय छूटते ही उसे सर्वशक्तिमान भगवान कृष्ण का आश्रय मिल जाता है।

आज की लीला के मुख्य यजमान कैलाश बाबू-विवेक शरण अग्रवाल, ओमप्रकाश गोयल-संजय गोयल और राजीव अग्रवाल रहे। इनके अतिरिक्त जुगल किशोर साबू, मोहन -अंजु गुप्ता, नरसिंह मोदी, एम.एल.गंगवार, वी.के.गुप्ता, सुरेश मिन्ना, सतीश खट्टर, सुशील हरमिलापी, रवि छावड़ा, नवीन गोयल, मुकेश अग्रवाल, डी.एन.शर्मा, आदि विशेष रुप से मौजूद रहे।

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