बरेली @BareillyLive. बरेली स्थित फ्यूचर यूनिवर्सिटी देश का प्रथम प्रौद्योगिकी आधारित और नवाचार केंद्रित विश्वविद्यालय बन गया है। आज का दौर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का दौर है। लेकिन हमें एआई को एक अच्छा सर्वेण्ट बनाकर रखना होगा। उसे अपना मास्टर नहीं बनने देना है। तकनीकि तभी लाभदायक सिद्ध होती है जब वह सेवक के रूप में प्रयोग की जाये। जब हम तकनीकि के गुलाम बन जाते हैं तो ये नकारात्मक प्रभाव उत्पन्न करती है। यह बातें गुरुवार को फ्यूचर विश्वविद्यालय की ओर से आयोजित एडीयूएआई समिट-2025 में मुख्य अतिथि उच्च शिक्षा, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने कहीं।

उन्होंने कहा कि जैसा विश्वविद्यालय का नाम है, वैसा ही इसमें छात्रों का भविष्य बन रहा है। विश्वविद्यालय का दर्जा मिलने के बाद यहां विद्यार्थियों के भविष्य की शिक्षा की दिशा तय की जा रही है।

उन्होंने कहा कि एआई के बिना 2047 तक विकसित भारत का सपना पूरा नहीं हो सकता। नई शिक्षा नीति के आधार पर फ्यूचर यूनिवर्सिटी की इस पहल से संस्कार, रोजगार और तकनीक से जोड़ना युवाओं और देश की सफलता का पर्याय है।

कुलाधिपति मुकेश गुप्ता ने कहा कि फ्यूचर यूनिवर्सिटी में हम केवल शिक्षा नहीं, बल्कि भविष्य के नेतृत्व को आकार दे रहे हैं। प्रो-वाइस चांसलर प्रो. पंकज मिश्रा ने कहा कि अनुकूलित पाठ्यक्रम प्रत्येक छात्र की व्यक्तिगत आवश्यकताओं के अनुसार तैयार किया जाता है। उन्होंने इसकी जानकारी दी। 

समूह निदेशक प्रो. डॉ. हेमंत यादव ने कहा कि वैश्विक उद्योग साझेदारी अकादमिक शिक्षा और वास्तविक जीवन के अनुप्रयोगों को जोड़ने में अहम भूमिका निभाती है।

मुख्य वक्ता आईबीएम, एक्सिबिया और ईसी काउंसिल से आए मनीष शर्मा, क्षितिज सिंह, हर्ष श्रीवास्तव ने विश्वविद्यालय संग हुए अनुबंध से छात्रों को होने वाले फायदे और करियर के बारे में जानकारी दी। 

जिला पंचायत अध्यक्ष रश्मि पटेल, एमएलसी जयपाल सिंह व्यस्त, कुंवर महाराज सिंह, सांसद छत्रपाल गंगवार, विधायक प्रो. श्याम बिहारी लाल, एमपी आर्य, डॉ. डीसी वर्मा, डॉ. राघवेंद्र शर्मा, वीर विक्रम सिंह, हरीश अरोरा, राजेंद्र गुप्ता, अश्वनी ओबराय, संदीप मेहरा, दानिश, सुरेंद्र त्यागी आदि मौजूद रहे।

संघटक शिक्षकों को मिलेगी आयुसीमा में छूट

कार्यक्रम के बाद पत्रकारों से बात करते हुए एक सवाल के जवाब में उच्च शिक्षा मंत्री ने कहा कि संघटक महाविद्यालयों का संचालन विश्वविद्यालयों को करना था। लेकिन कुछ कारणों से सरकार को ये महाविद्यालय अपने नियंत्रण में लेने पड़े। अब इनमें नये सिरे से आयोग द्वारा शिक्षकों की भर्तियां की जाएंगी। इसके लिए आयोग के नियम लागू होंगे। हां, जिन लोगों ने संघटक महाविद्यालयों में शिक्षक के रूप में सेवा की है उन्हें आयोग की भर्तियों में कुछ अतिरिक्त अंक एवं शिक्षण कार्य के अनुसार अधिकतम आयुसीमा में छूट दी जाएगी।

By vandna

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